ओवैसी को छोड़ लालू की लालटेन थामने का शाहनवाज को मिला इनाम, जगदानंद के बेटे को भी मिला मंत्री पद
Nitish Cabinet Expansion नीतीश कुमार की नई कैबिनेट के संभावित चेहरे में कई एकदम नए हैं। ये पहली बार विधायक भी चुने गए हैं। कई अनुभवी और पिछली सरकारों के मंत्री रह चुके हैं। जदयू में सभी चेहरे पुराने हैं।
पटना, आनलाइन डेस्क। Nitish Cabinet Expansion: बिहार सरकार में मंत्री पद संभालने जा रहे विधायकों में कई अनुभवी तो कई एकदम नए हैं। इनमें ऐसे भी हैं जो पहली बार जीतकर आए हैं। जदयू में तो सभी चेहरे पुराने ही हैं जो कई बार मंत्री रह चुके हैं। राजद के कई विधायक पहली बार मंत्री बनेंगे। हम आपको बताते हैं आपके मंत्रियों के बारे में।
तेज प्रताप यादव- लालू प्रसाद यादव के बड़े पुत्र हैं। समस्तीपुर जिला के हसनपुर से विधायक हैं। इससे पहले भी विधानसभा के लिए निर्वाचित हो चुके हैं। स्वास्थ्य मंत्री की कमान भी इन्होंने महागठबंधन सरकार में संभाली थी।
सुरेंद्र प्रसाद यादव- गया जिले के बेलागंज से आठ बार विधायक बने सुरेंद्र यादव को लालू यादव का बेहद करीबी माना जाता है। ये इंटरनेट मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं। दो बार जनता दल और चार मर्तबा राजद से विधायक बने। ये सांसद भी रह चुके हैं। तब 1998 में तत्कालीन उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के हाथ से पर्चा छीनकर इन्होंने फाड़ दिया था।
मास्टर कार्तिक- पहली बार राजद के विधान पार्षद बने हैं। राजद के विधायक रहे अनंत सिंह से इनकी नजदीकी चर्चा में रही। तेजस्वी के भी ये करीबी हैं। अनंत सिंह इन्हें मास्टर साहब कहकर बुलाते हैं। मोकामा के रहने वाले कार्तिक सिंह शिक्षक भी रहे हैं।
अनीता देवी- राजद की ओर से अनीता देवी मंत्री बनींं हैं। ये रोहतास के नोखा से विधायक हैं। लगातार तीसरी बार जीती हैं। 2015 में बनी महागठबंधन की सरकार में ये मंत्री थीं। इन्हें पूर्व सीएम राबड़ी देवी का करीबी माना जाता है।
आलोक मेहता- समस्तीपुर के उजियारपुर से तीसरी बार विधायक बने आलोक कुमार मेहता राजद के कद्दावर नेताओं में शुमार हैं। ये बिहार सरकार में मंत्री रह चुके हैं। लालू और तेजस्वी का इन्हें करीबी माना जाता है। ये सांसद भी रह चुके हैं।
कुमार सर्वजीत- गया जिले के बोधगया से तीसरी बार विधायक बने कुमार सर्वजीत इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुके हैं। राजनीति इन्हें विरासत में मिली है। दलित समुदाय से आने वाले सर्वजीत के पिता राजेश कुमार सांसद थे। तेजस्वी यादव से इनकी निकटता है।
समीर कुमार महासेठ- मधुबनी शहर के तीसरी बार विधायक बने 64 वर्षीय समीर महासेठ आम्रपाली बैंक्वेट प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक हैं। इन्हें लालू परिवार का करीबी माना जाता है।
शाहनवाज-अररिया के जोकीहाट से पहली बार विधायक बने हैं। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम के विधायक शाहनवाज कुछ दिन पहले ही राजद में शामिल हुए थे।
चंद्रशेखर- मधेपुरा से चौथी बार विधायक बने प्रो. चंद्रशेखर लालू यादव के करीबी हैं। 2019 में ये चर्चा में तब आए थे जब दिल्ली में इन्हे 10 कारतूस के साथ गिरफ्तार किया गया था।
इसराइल मंसूरी- मुजफ्फरपुर जिले के कांटी से पहली बार विधायक बने इसराइल मंसूरी व्यवसायी भी हैं। इन्हें उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का करीबी बताया जाता है।
शमीम अहमद- पूर्वी चंपारण के नरकटिया विधानसभा से विधायक शमीम अहमद को बिहार सरकार ने आंतरिक संसाधन एवं केंद्रीय सहायता समिति का सभापति बनाया था। ये भी तेजस्वी के करीबी हैं।
ललित यादव- दरभंगा ग्रामीण के विधायक ललित यादव 1995 से लगातार छह बार जीते हैं। पहले भी मंत्री पद संभाल चुके हैं। राजद के वरिष्ठ नेताओं में शुमार, लालू यादव के करीबी।
रामानंद यादव- पटना जिले के फतुहा से राजद विधायक लालू यादव को प्रिय हैं। ये तेजस्वी के भी करीबी हैं।
सुधाकर सिंह- राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र कुमार सुधाकर कैमूर के रामगढ़ से विधायक चुने गए हैं।
सुरेंद्र राम- सारण के गड़खा से विधायक हैं।
ये हैं जदयू कोटे के मंत्री
बिजेंद्र यादव- जदयू के वरिष्ठ और कद्दावर नेता कई मंत्रालय संभाल चुके हैं। सुपौल से लगातार विधायक चुने जाते रहे हैं। 1990 से जीत का सिलसिला 2020 तक कायम रहा।
विजय कुमार चौधरी-समस्तीपुर के सरायरंजन से विधायक विजय कुमार चौधरी पांच बार जीत हासिल कर चुके हैं। सीएम नीतीश कुमार के ये बेहद खास माने जाते हैं। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इन्हें विधानसभा अध्यक्ष, शिक्षा और संसदीय कार्यमंत्री जैसी बड़ी जिम्मेदारी दी गई।
अशोक चौधरी-कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके विधान परिषद के सदस्य हैं। ये नीतीश कुमार के बेहद करीबी हैं। राजनीति इन्हें विरासत में मिली है। हिंदी के साथ ही अंग्रेजी पर अच्छी पकड़ रखते हैं।
लेशी सिंह-ये पांचवीं बार जीती हैं। पूर्णिया के धमदाहा से विधायक हैं। इनके पति मधुसूदन सिंह उर्फ बूटन सिंह की सन 2000 में दिनदहाड़े पूर्णिया कोर्ट में कर दी गई थी। पति की मौत के बाद ये सक्रिय राजनीति में आईं। नीतीश सरकार में मंत्री थीं।
शीला मंडल- एनडीए सरकार में परिवहन मंत्री थीं। मधुबनी जिले के फुलपरास से आती हैं।
सुनील कुमार- आइपीएस अधिकारी रह चुके सुनील कुमार गोपालगंज के भोरे से पहली बार विधायक बने। सीएम नीतीश कुमार ने इन्हें मद्य निषेध विभाग का मंत्री बनाया था।
मदन सहनी- दरभंगा जिले के बहादुरपुर से विधायक मदन सहनी तीसरी बार विधायक बने। राजद से राजनीति की शुरुआत की। नीतीश सरकार में ये मंत्री रहे हैं।
जमा खान- कैमूर जिले के चैनपुर से पहली बार बसपा के टिकट पर चुनाव जीते। जीतने के बाद ये जदयू में शामिल हो गए। नीतीश कुमार ने मंत्री बना दिया। एक बार फिर मंत्री बनने जा रहे हैं।
संजय कुमार झा-विधान पार्षद हैं। जदयू के राष्ट्रीय महासचिव हैं। एनडीए सरकार में जल संसाधन मंत्री थे। सीएम नीतीश कुमार के काफी करीबी।
जयंत राज- अमरपुर बांका से पहली बार चुनाव जीते। एनडीए सरकार में मंत्री रहे। पिता जनार्दन मांझी से विरासत में राजनीति मिली।
कांग्रेस के मंत्री
आफाक आलम-पूर्णिया के कसबा से लगातार चौथी बार विधायक बने हैं। इन्हें जाप सुप्रीमो पूर्व सांसद पप्पू यादव की पत्नी राज्यसभा सदस्य रंजीत रंजन का करीबी माना जाता है।
मुरारी गौतम- रोहतास जिले के चेनारी से तीसरी बार विधायक चुने गए हैं। कांग्रेस की वरिष्ठ नेतृ मीरा कुमार के करीबी हैं।
हम के मंत्री
संतोष सुमन: पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के पुत्र हैं। हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और एमएलसी हैं। एनडीए सरकार में लघु सिंचाई मंत्री थे।
निर्दलीय
सुमित कुमार सिंह ने भी मंत्री पद की शपथ ली है।