तिरंगा हाथों में लेकर लोगों ने बलिदानी निशांत मलिक को दी श्रद्धांजलि, पिता ने दी मुखाग्निनी
जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ में हांसी का निशांत मलिक बलिदान हो गया था। इस घटना देश के चार सैनिक बलिदान हुए थे। निंशात मलिक का पार्थिव शरीर हांसी पहुंचा है। इसके बाद उनके पैतृक गांव में अंतिम संस्कार किया जाएगा।
हांसी (हिसार) संवाद, सहयोगी। जम्मू-कश्मीर के राजौरी में आंतकवादियों के हमले में बलिदान हुए हांसी के निशांत मलिक का पार्थिव शरीर गांव ढंडेरी में पहुंचा। यह देखकर लोगों की आंखें भर आईं। गांव के श्मशान घाट में हजारों की संख्या में भीड़ है। इस दौरान लोगों ने बलिदान निशांत मलिक अमर रहे के नारे लगाए। अंतिम यात्रा पर फूल बरसाए और भारत माता की जय के नारे लगाए। बलिदानी के अंतिम यात्रा में महिलाओं ने भी फुल बरसा कर निशांत मलिक को श्रद्धाजंलि दी। हांसी से कुछ किलोमीटर दूर गांव तक पहुंचने के लिए शहीद की अंतिम यात्रा को करीब 3 घंटे लग गया।
बलिदानी को दिया गार्ड ऑफ ऑनर
गांव में पहुंचे सेना के अधिकारी ने बलिदानी को गार्ड ऑफ ऑनर दिया। वहीं दौरान राजनीतिक और सामाजिक लोग भी मौजूद रहे। आर्मी के अधिकारियों ने पिता को तिरंगा भेंट किया। इस दौरान बलिदान निशांत की मां, बहन और पिता की आंखे भर आई। जिसके बाद पिता ने तिरंगे को अपने माथे पर लगाकर बलिदानी निशांत मलिक को मुखाग्निनी दी।
रक्षा बंधन पर देश की रक्षा करते हुए बलिदान
जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में बृहस्पतिवार को दो आतंकवादियों ने सेना के एक शिविर पर हमला कर दिया था। लेकिन हमारे जांबाज सैनिकों ने आतंकियों के नापाक इराके के पूरा नहीं होने दिया। इस मुठभेड़ में देश के चार सैनिक बलिदान हो गए। जिसमें हांसी उपमंडल के ढंढेरी गांव निवासी जवान निशांत बलिदान हो गया।
तीन बहनों का इकलौता भाई हुआ
निशांत तीन बहनों का इकलौता भाई था। निशांत के बलिदानी होने की खबर मिलते ही गांव में शोक में डूब गया था। निशांत का पार्थिव शरीर हांसी पहुंचा। जिसके बाद उसके पैतृक गांव ढंढेरी में अंतिम संस्कार किया जाएगा। करीब 20 वर्ष से निशांत मलिक का परिवार हांसी में रह रहा है।
छोटी बहन की शादी जनवरी में होनी थी
निंशात जुलाई में अपनी छुट्टी पूरी करके वापस ड्यूटी पर गया था। निशांत करीब ढाई साल पहले ही भारतीय सेना में भर्ती हुआ था। सेना में भर्ती होने के बाद उसकी पोस्टिंग राजौरी में थी। गश्त के दौरान आतंकियों द्वारा उनके कैंप पर हमला कर दिया गया। जिसमें निशांत आतंकियों का मुकाबला करते हुए बलिदान हो गया।
निशांत के पिता जयवीर भी आर्मी से हवलदार के पद से सेवानिवृत्त है। निशांत के पिता कारगिल युद्ध में गोली लगने से घायल हो गए थे। निशांत के पिता आर्मी कैंट में हो रहे सम्मान समारोह में भाग लेने के लिए गए हुए थे। इसी दौरान आर्मी के अफसरों ने निशांत के पिता जयवीर को उनके बेटे निशांत मलिक के बलिदान होने की बात बताई।