पोल्ट्री कारोबारियों से जुड़ी खबरी, अब इन नियमों का करना होगा पालन, हरियाणा राज्य प्रदूषण विभाग करेगा जांच
हरियाणा (Haryana) में पोल्ट्री कारोबारियों को पर्यावरण का भी ध्यान रखना होगा। पर्यावरण की सुरक्षा के लिए पोल्ट्री कारोबारियों के लिए सीटीई और सीटीओ जरूरी। आदेशों की पालना करवाने के लिए हरियाणा राज्य प्रदूषण विभाग की टीम करेगी जांच।
करनाल, जागरण संवाददाता। पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर एकल उपयोग प्लास्टिक पर रोक के बाद अब प्रदेश के पोल्ट्री कारोबारियों को हिदायतों का पालन करने निर्देश दिए हैं। एक स्थान पर 25,000 से अधिक पक्षियों को संभालने वाले पोल्ट्री फार्मों को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड / प्रदूषण नियंत्रण से जल अधिनियम, 1974 और वायु अधिनियम 1981 के तहत स्थापित करने के लिए सहमति (सीटीई) और संचालन के लिए (सीटीओ) प्राप्त करना होगा।
एकल स्थान पर पांच हजार से अधिक पक्षियों को संभालने वाले पोल्ट्री फार्म भी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड / प्रदूषण नियंत्रण समिति से जल अधिनियम, 1974 और वायु अधिनियम 1981 के तहत स्थापित करने के लिए सहमति (सीटीई) और संचालन के लिए सहमति (सीटीओ) प्राप्त करनी होगी।
धरातल पर कमजोर साबित हो रहे एकल प्लास्टिक पर रोक के आदेश
राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) की पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर समय-समय पर हिदायत जारी की जाती है। बीते दिसंबर में एकल उपयोग प्लास्टिक पर रोक के लिए जारी की सूचना के अनुसार इस वर्ष जुलाई माह में अधिकारियों की ओर से कार्रवाई की गई। आदेशों को धरातल पर लागू करने के लिए प्रशासन के अधिकारी बेश्क मीटिगों में चर्चा करते रहे लेकिन धरातल पर एकल प्लास्टिक उपयोग पर रोक नहीं लगा पाए। अब पोल्ट्री कारोबारियों पर यह आदेश कितने सार्थक होते हैं समय पर निर्भर है।
गैर-अनुपालन के मामले में दंडात्मक कार्रवाई : शैलेंद्र
हरियाणा राज्य प्रदूषण विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी शैलेंद्र अरोड़ा ने बताया कि एक उपयोग प्लास्टिक पर कार्रवाई को लेकर विभाग की टीमों सहित नगर निगम और नगर पालिकाओं के अधिकारी धरातल पर काम कर रहे हैं। पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर अब पोल्ट्री फार्मों को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड / प्रदूषण नियंत्रण से जल अधिनियम, 1974 और वायु अधिनियम 1981 के तहत स्थापित करने के लिए सहमति (सीटीई) और संचालन के लिए (सीटीओ) प्राप्त करना होगा।
इसके अलावा प्रदेश में चल रही फुटवियर इंडस्ट्री अब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कन्सेंट मैनेजमेंट के दायरे में आ गई है। अपर को छोड़कर जूते के अन्य पार्ट बनाने वाली फुटवियर इकाइयां बोर्ड की एनओसी के बिना नहीं चल सकेंगी। हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस आशय की अधिसूचना भी जारी कर दी है। फुटवियर निर्माता इकाइयों को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से कन्सेंट टू एस्टाबलिश (सीटीई) व कन्सेंट टू आपरेट (सीटीओ) 30 दिन के भीतर लेना होगा।
अधिकारी के अनुसार बोर्ड का तर्क है कि फुटवियर इंडस्ट्रीज में कई ऐसे केमिकलों का प्रयोग होता है, जिनसे वायु प्रदूषण फैलता है। इन औद्योगिक इकाइयों को भी प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए एयर पोल्यूशन कंट्रोल डिवाइस के साथ-साथ भवनों में एग्जास्ट लगाना भी जरूरी है। जिला में फुटवियर इंडस्ट्रीज को अनुमति लेने के लिए जागरूक किया जा रहा है।