Delhi Wrestler: पहलवानों को फ्री प्रशिक्षण देकर कुश्ती को नई ऊंचाइयों पर ले गए महाबली सतपाल
कुश्ती के खेल में महाबली सतपाल के कई शिष्यों ने ओलिंपिक में पदक जीते हैं। इनमें सुशील कुमार योगेश्वर दत्त बलरंग पुनिया और रवि दहिया शामिल हैं। उनके शिष्यों की ख्याति और सफलता उनके परिश्रम और योगदान को रेखांकित करती है।
नई दिल्ली [शिप्रा सुमन]। भारतीय कुश्ती को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाले सर्वोच्च पहलवान और सर्वश्रेष्ठ कोच महाबली सतपाल युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा स्नोत हैं। अपने करियर में लगभग तीन हजार कुश्ती जीतने वाले सतपाल 16 बार नेशनल चैंपियन रहे हैं। कुश्ती के खेल में उनके कई शिष्यों ने ओलिंपिक में पदक जीते हैं। इनमें सुशील कुमार, योगेश्वर दत्त, बलरंग पुनिया और रवि दहिया शामिल हैं। उनके शिष्यों की ख्याति और सफलता उनके परिश्रम और योगदान को रेखांकित करती है।
खेल की भावना जागृत करने का प्रयास
67 वर्षीय सतपाल कहते हैं कि उनका उद्देश्य खिलाड़ियों में खेल की भावना को जागृत करना है। इसी भावना के तहत छत्रसाल स्टेडियम में उन्होंने खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करने का कार्य शुरू किया। उन्होंने बताया कि करीब 300 कोचिंग सेंटर खोले, जिसमें खिलाड़ियों को निश्शुल्क प्रशिक्षित किया। तीरंदाजी, क्रिकेट सहित कई खेलों में ज्यादा से ज्यादा बच्चों को ग्राउंड में उतारने का प्रयास किया। गुरु शिष्य परंपरा के तहत खिलाड़ियों में समर्पण की जज्बा पैदा करने के लिए कार्य किया। उन्होंने खुशी जताई कि उनके प्रयास से हजारों छात्रों को खेल में आगे बढ़ने का मौका मिला। वह कहते हैं कि खिलाड़ी को केवल पदक जीतने तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि नई पीढ़ी के खिलाड़ियों को प्रशिक्षण भी देना चाहिए।
ओलिंपिक में भी अच्छा करेंगे हमारे पहलवान
सतपाल कहते हैं कि बर्मिघम के राष्ट्रमंडल खेलों में 12 पहलवान गए थे। इनमें छह पुरुष और छह महिला पहलवान शामिल हैं। सभी का प्रदर्शन लाजवाब रहा और वह उम्मीद करते हैं कि आने वाले ओलिंपिक में भी उनका प्रदर्शन शानदार होगा। 53 सालों के खेल और प्रशिक्षण का अनुभव रखने वाले सतपाल ने राष्ट्रमंडल खेल वर्ष 1974, 1978 और 1982 में सिल्वर मेडल जीते थे। वह आगे कहते हैं कि कांस्य और रजत मिलने के बाद 2024 की ओलिंपिक में रेसलिंग में देश के लिए गोल्ड आने की बहुत उम्मीद है। वह कहते हैं कि भारत और राज्य सरकार से उन्हें पूरा समर्थन मिला है। उनका कहना है कि जिम्नास्टिक, स्वीमिंग को बेहतर बनाने के क्षेत्र में कार्य करना होगा। नीरज चोपड़ा ने स्वर्ण जीतकर एथलीट को फिर से जिंदा कर दिया है।
सुबह पांच बजे देते हैं प्रशिक्षण
प्रतिदिन सुबह पांच बजे से ही सतपाल छत्रसाल स्टेडियम में खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने का काम शुरू कर देते हैं। फिलहाल वह 300 खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। उनके साथ एक टीम है जिसमें सात-आठ कोच हैं।
प्रतिभा की कमी नहीं है
सतपाल का कहना है कि देश में प्रतिभा की कमी नहीं है बस उन्हें निखारने की जरूरत है। सुविधाएं लगातार बढ़ रही हैं। नरेला, बवाना, सिंघु सहित दिल्ली के कई इलाकों में उन्होंने प्रशिक्षण केंद्र खोले हैं, ताकि हर कोने से नई प्रतिभा सामने आए और बच्चों को दूर न आना पड़े। वह कहते हैं उन्हें हार पसंद नहीं इसलिए वह खिलाड़ियों को पूरी शिद्दत से खेलने के लिए प्रेरित करते हैं। खिलाड़ियों में लगन होनी चाहिए।
जीवन की पहली कमाई चार चवन्नी
महाबली सतपाल कहते हैं, 15 मई, 1967 को गुरु हनुमान के अखाड़े में आया था। कुछ समय बाद मैंने अपनी पहली कुश्ती लड़ी थी। मैंने एक ही दिन चार कुश्ती लड़ी थी और चारों जीती थी। मुझे इनाम में चार चवन्नी (25 पैसे का सिक्का) प्राप्त हुआ था। वह मेरे कुश्ती करियर की शुरुआत थी और उसके बाद मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
इन पुरस्कारों से किए गए सम्मानित
- 1974 - अजरुन पुरस्कार (कुश्ती)
- 1983 - पद्मश्री पुरस्कार
- 2009 - द्रोणाचार्य पुरस्कार
- 2015 - पद्म-भूषण पुरस्कार
क्या कहते हैं पहलवान
महाबली सतपाल किसी भी खिलाड़ी में भेदभाव नहीं करते और सभी खिलाड़ियों के साथ हमेशा खड़े रहते हैं। वह खिलाड़ियों से पहले ग्राउंड पर पहुंच जाते हैं। वह अपने शिष्यों को एक परिवार की तरह समझते हैं।
लाभांशु, पहलवान, एशियन चैंपियनशिप के स्वर्ण पदक विजेता।
महाबली सतपाल का शिष्य होना मेरे लिए गर्व की बात है। मैंने जिंदगी में जो भी हासिल किया है वह उनकी देन है। उन्होंने हमेशा ईमानदारी से मेहनत करना सिखाया और बताया कि अपने देश का तिरंगे का मान बढ़ाएं।
प्रशांत यादव, पहलवान, एशियन स्टूडेंट ओलिंपक में रजत पदक विजेता।