Move to Jagran APP

Delhi News: शैक्षणिक संस्थानों में देशविरोधी नारे लगना शिक्षा की विफलता : प्रो. योगेश सिंह

डीयू कुलपति प्रो.योगेश सिंह ने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के उपलक्ष्य में विभाजन की व्यथा और इसके सबक विषय पर आयोजित व्याख्यान में कहा कि यदि एक विश्वविद्यालय में राष्ट्र के खिलाफ नारे लग जाए और उसका विरोध ना हो तो यह समझना चाहिए कि शिक्षा व्यवस्था फेल हो गई।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sat, 13 Aug 2022 06:14 PM (IST)Updated: Sat, 13 Aug 2022 06:14 PM (IST)
Delhi News: शैक्षणिक संस्थानों में देशविरोधी नारे लगना शिक्षा की विफलता : प्रो. योगेश सिंह
विभाजन की व्यथा और इसके सबक विषय पर व्याख्यान का आयोजन।

नई दिल्ली [संजीव कुमार मिश्र]। राष्ट्रप्रेम के भाव को जगाकर रखना जरूरी है। खासकर शैक्षणिक संस्थानों में जो छात्र पढ़ने आते हैं उनके अंदर राष्ट्रप्रेम जगाए रखना हमारा कर्तव्य है। राष्ट्र विरोधी भाव को पनपने नहीं देना है। इसका खुलकर विरोध होना चाहिए। यदि एक विश्वविद्यालय में राष्ट्र के खिलाफ नारे लग जाए और उसका विरोध ना हो तो यह समझना चाहिए कि शिक्षा व्यवस्था फेल हो गई। किसी भी तर्क से इस तरह के कृत्य को सही नहीं ठहराया जा सकता। यह मायने नहीं रखता कि आप किस विचारधारा के हैं, इस तरह के विचार का विरोध होना ही चाहिए। उक्त बातें डीयू कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के उपलक्ष्य में विभाजन की व्यथा और इसके सबक विषय पर आयोजित व्याख्यान में कही।

loksabha election banner

10 लाख लोगों की हुई थी मौत

कुलपति ने कहा कि गत वर्ष सरकार ने 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाने का निर्णय लिया। देश के इतिहास की यह बड़ी घटना था। दस लाख लोगों की मौत हुई। आजाद भारत में इसे भूला दिया गया। युवा पीढ़ी इसे भूलें मत, याद रखें। इसके लिए विभाजन विभीषिका दिवस मनाया जाना जरूरी है। भारत के विभाजन की कहानियां सभी ने किसी ना किसी के जरिए सुनी है।

माउंटबेटन को इस बात का रहा मलाल

फ्रीडम एट मिडनाइट पुस्तक में विभाजन से जुड़े प्रसंग है। उन्होने कहा कि इस पुस्तक को लिखने के दौरान लेखक ने लार्ड माउंटबेटन के साथ एक महीना गुजारा। माउंटबेटन को इस बात का मलाल था कि ब्रिटेन ने उसके काम को महत्व नहीं दिया। माउंटबेटन ने लेखकों से कहा था कि किसी भी ब्रिटिश नागरिक का एक कतरा खून तक नहीं बहा और उसने भारत का बंटवारा करा दिया।

इतिहास को जानना जरूरी

कुलपति ने कहा कि इससे माउंटबेटन की मनोस्थिति का अंदाजा लगाइए। विभाजन की त्रासदी ने दस लाख लोगों को छीन लिया, लेकिन माउंटबेटन को इसकी बिल्कुल परवाह नहीं थी। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष राम बहादुर राय ने कहा कि इतिहास जैसा भी हो जानने की जरूरत है। यदि युवा ठीक इतिहास पढ़ेंगे तो अच्छा जानेंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.