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कौन हैं Sudha Yadav, जिन्हें मिली भाजपा संसदीय बोर्ड में एंट्री, मोदी की वजह से लड़ा था पहला लोकसभा चुनाव

BJP Leader Sudha Yadav कारगिल युद्ध में पति सुखबीर सिंह को खोने वालीं सुधा के लिए चुनाव लड़ना मुमकिन नहीं था लेकिन नरेंद्र मोदी की बातों ने उनका मनोबल बढ़ाया और वह चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो गईं।

By Jp YadavEdited By: Published: Thu, 18 Aug 2022 09:03 AM (IST)Updated: Thu, 18 Aug 2022 10:49 AM (IST)
कौन हैं Sudha Yadav, जिन्हें मिली भाजपा संसदीय बोर्ड में एंट्री, मोदी की वजह से लड़ा था पहला लोकसभा चुनाव
BJP Leader Sudha Yadav: जानिये- कौन हैं सुधा यादव, जिन्हें मिली संसदीय बोर्ड में एंट्री

नई दिल्ली/रेवाड़ी/गुरुग्राम, जागरण डिजिटल डेस्क। भारतीय जनता पार्टी ने रेवाड़ी की रहने वाली एक सामान्यकर्ता/नेता सुधा यादव (Sudha Yadav) को संसदीय बोर्ड में जगह दी है। हरियाणा में कई दिग्गज नेता हैं, लेकिन सबको पीछे छोड़ते हुए सुधा यादव ने यह मुकाम हासिल किया है। जाहिर है सुधा यादव में नेतृत्व ने कुछ गुण देखें होंगे, तभी उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। 

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राष्ट्रीय स्तर पर बना सकती हैं पहचान

वर्षों तक रेवाड़ी जिले में ही अपरिचित सा चेहरा रहीं सुधा यादव अब राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बना सकती हैं और उनमें वह माद्दा है। कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाजपा नेता सुधा यादव के कार्यों से प्रभावित थे और शायद यही वजह है कि उन्हें भाजपा संसदीय बोर्ड में जगह दी गई।

कारगिल युद्ध में शहीद हुए सुधा यादव के पति

सुधा यादव के पति ने मई, 1999 में पति सुखबीर सिंह को खो दिया। वह कारगिल युद्ध के दौरान शहीद हुए थे। सुधा यादव के पति सुखबीर सिंह यादव सीमा सुरक्षा बल (BSF) के डिप्टी कमांडेंट थे। कारगिल युद्ध के दौरान सीम पर पाकिस्तानी घुसपैठियों से लड़ते हुए उन्होंने खुद को देश के लिए न्योछावर कर दिया।

यह भी जानें

  • सुधा यादव पेशे से प्रवक्ता हैं।
  • फिलहाल सुधा भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय सचिव हैं।
  • सुधा यादव ने वर्ष 1987 में रुड़की विश्वविद्यालय से स्नातक किया।
  • वर्ष 2004 में सुधा यादव को महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से हार का सामना करना पड़ा था।
  • वर्ष 2009 में गुड़गांव लोकसभा क्षेत्र से लड़ा, लेकिन यहां भी जीत हासिल नहीं हुई।
  • वर्ष 2015 में सुधा यादव को भाजपा की ओर से ओबीसी मोर्चा का प्रभारी नियुक्त किया गया

एचसीएस बनना चाहती थी सुधा

धनखड़ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वर्ष 1999 में हरियाणा के प्रभारी थे और प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ तब प्रदेश महामंत्री थे। रेवाड़ी के ओमप्रकाश ग्रोवर पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष थे। मोदी ने सबसे पहले ओपी धनखड़ को किसी ऐसी कारगिल वीरांगना की तलाश करने को कहा जो चुनाव लड़ सके।

जागरण से बातचीत में ओमप्रकाश धनखड़ ने कहा कि नरेंद्र मोदी ने तब उन्हें एक अन्य पार्टी पदाधिकारियों के साथ डा. सुधा के घर जाने के लिए कहा था। हम सबसे पहले ओपी ग्रोवर के घर पहुंचे और वहां से डा. सुधा यादव के घर गए।

सुधा ने तब एचसीएस अधिकारी बनने की इच्छा जताई थी, मगर येन-केन-प्रकरेण परिवार ने चुनाव का महत्व समझा और सुधा राजनीति में आने के लिए तैयार हो गई। मोदीजी हमसे बार-बार रिपोर्ट ले रहे थे। लोगों ने मोदी जी के विचार का सम्मान किया और डा. सुधा अपना पहला चुनाव भारी मतों से जीतीं।

1999 में लोकसभा चुनाव था कठिन फैसला

सुधा यादव का कहना है कि मई, 1999 में पति सुखवीर सिंह को कारगिल युद्ध के दौरान खोया था। जीवन में एक तरह से अंधेरा था, लेकिन नरेंद्र मोदी जी के आदेश पर चुनावी मैदान में उतरना पड़ा। सुधा खुद कबूल करती हैं कि अगर वह अगर राजनीति में हैं तो सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की वजह से। अगर उन्होंने सुधा यादव को कर्तव्यों के प्रति एहसास नहीं कराया होता तो वह चुनाव लड़ने के लिए कभी तैयार नहीं होतीं।


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