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आयुर्वेद का सम्मान बनाए रखें, एलोपैथी के खिलाफ जनता को गुमराह न करें बाबा रामदेव: हाई कोर्ट

पीठ ने कोरोनिल के पक्ष में बोलते हुए योग गुरु को आधिकारिक से ज्यादा कुछ भी कहने से परहेज करने को कहा।पीठ ने बड़े पैमाने पर जनता के हित पर चिंता व्यक्त की और कहा कि आयुर्वेद के अच्छे नाम-प्रतिष्ठा को किसी भी तरह से खराब नहीं होना चाहिए।

By Prateek KumarEdited By: Published: Wed, 17 Aug 2022 11:21 PM (IST)Updated: Wed, 17 Aug 2022 11:21 PM (IST)
आयुर्वेद का सम्मान बनाए रखें, एलोपैथी के खिलाफ जनता को गुमराह न करें बाबा रामदेव: हाई कोर्ट
अमेरिकी राष्ट्रपति के तीन बार कोरोना संक्रमित होने से जुड़े बाबा रामदेव के बयान पर हाई कोर्ट ने जताई चिंता

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। कोराेना टीका के संबंध में हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को लेकर बाबा रामदेव द्वारा दिए गए बयान पर चिंता व्यक्त करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी में बुधवार को रामदेव से कहा कि आयुर्वेद का सम्मान बनाए रखें, लेकिन एलोपैथी के खिलाफ बयान देकर जनता को गुमराह नहीं किया जाना चाहिए।

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प्रतिष्ठा को नहीं किया जाना चाहिए खराब

न्यायमूर्ति एजे भंभानी की पीठ ने पतंजलि के उत्पाद कोरोनिल के पक्ष में बोलते हुए योग गुरु को आधिकारिक से ज्यादा कुछ भी कहने से परहेज करने को कहा। विभिन्न डाक्टर संघों द्वारा दायर मुकदमा पर सुनवाई करते हुए पीठ ने बड़े पैमाने पर जनता के हित पर चिंता व्यक्त करते हुए पीठ ने कहा कि आयुर्वेद के अच्छे नाम और प्रतिष्ठा को किसी भी तरह से खराब नहीं किया जाना जाना चाहिए।

अमेरिकी राष्ट्रपति पर की थी टिप्पणी 

पीठ ने उक्त टिप्पणी तब की जब डाक्टर संघ की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अखिल सिब्बल ने सूचित किया कि कि चार अगस्त को हरिद्वार में बाबा रामदेव ने बयान दिया था कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने टीकाकरण के बावजूद तीसरी बार काेरोना संक्रमित हुए।

वीडियो का दिया गया हवाला

रामदेव ने कहा था कि अमेरिकी राष्ट्रपति का कोरोना संक्रमित होना चिकित्सा विज्ञान की विफलता को दर्शाता है और पिछले 50 वर्षों से केवल दुनिया को नष्ट कर रहा है। सिब्बल ने कहा कि वीडियो में रामदेव को कहते हुए सुना जा सकता है कि चिकित्सा विज्ञान अभी भी शैशवावस्था में हैं और मैं बच्चों की आलोचना नहीं करना चाहता।

दूसरे देश से खराब हो सकते हैं संबंध

इस पर पीठ ने कहा कि इस तरह के बयान हमारे देश के अन्य देशों के साथ संबंधों को प्रभावित करने के अलावा आयुर्वेद की प्रतिष्ठा को भी खराब कर सकते हैं।पीठ ने यह कहते हुए मामले में सुनवाई 23 अगस्त तक के स्थगित कर दी कि जरूरत पड़ी तो मामले में दिन- प्रतिदिन सुनवाई करेंगे।

स्पष्टीकरण को सिब्बल ने बताया भ्रामक

सुनवाई के दौरान रामदेव की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता पीवी कपूर ने अदालत को बताया कि वे एक प्रस्तावित मसौदा सौंपा। इसमें कहा गया कि कोरोनिल एक इलाज नहीं बल्कि एक सहायक उपाय था और चिकित्सा के दोनों क्षेत्रों को साथ-साथ चलना चाहिए। हालांकि, सिब्बल ने कहा कि नया स्पष्टीकरण भी भ्रामक है। उन्होंने कहा कि आज भी पतंजलि की वेबसाइट कहती है कि कोरोनिल कोरोनावायरस का इलाज है जो अनुसंधान द्वारा समर्थित है।

बूस्टर डोज के वक्त रामदेव पैदा कर रहे भ्रम

सिब्बल ने यह भी तर्क दिया कि ऐसे समय में जब सरकार लोगों को बूस्टर दवाएं लेने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, वहीं रामदेव ऐसा बयान देकर जनता के बीच भ्रम पैदा कर रहे हैं। 

यह है मामला

अदालत रेजिडेंट डाक्टर्स एसोसिएशन, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), ऋषिकेश द्वारा बाबा रामदेव के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है। इसमें कोरोनिल का प्रचार करने के लिए रामदेव पर एलोपैथिक दवा और डाक्टरों के खिलाफ अपने गलत बयानी करने का डाक्टर्स संघ ने आरोप लगाया है। पिछली सुनवाई पर पीठ ने दोनों पक्षों को इस मामले को हल करने के लिए समय दिया था। साथ ही पतंजलि और रामदेव को कोरोनिल को लेकर अपने दावों के बारे में बेहतर स्पष्टीकरण देने के लिए कहा था।


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