Move to Jagran APP

Delhi Court News: भरण-पोषण तय करने के निचली अदालत के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका Delhi High Court ने की निरस्त, की अहम टिप्पणी

याची ने दलील दी थी कि परिवार न्यायालय ने बगैर तथ्यों के उक्त आदेश दिया है और इसे रद किया जाए। याची ने तर्क दिया था कि कोई भी वेतन प्रमाण पत्र रिकार्ड पर नहीं है कि वह एनआइआइटी में नौकरी करता है और आय तीस हजार रुपये महीना है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Mon, 15 Aug 2022 05:11 PM (IST)Updated: Mon, 15 Aug 2022 05:11 PM (IST)
Delhi Court News: भरण-पोषण तय करने के निचली अदालत के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका Delhi High Court ने की निरस्त, की अहम टिप्पणी
Delhi Court News: पक्षकार कभी भी वास्तविक आय का सामान्य रूप से खुलासा नहीं किया जाता है।

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। Delhi Court News: वैवाहिक विवाद के मामले में भरण-पोषण देने से बचने के लिए आय से जुड़ी जानकारी छुपाने की सामान्य धारणा पर दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। पीठ ने कहा कि आय का कोई स्त्रोत नहीं के आधार पर याचिकाकर्ता पति अपनी पत्नी को भरण-पोषण देने के दायित्व से मुक्त नहीं हो सकता है। अनुभव से भी पता चलता है कि पक्षकार कभी भी वास्तविक आय का सामान्य रूप से खुलासा नहीं किया जाता है।

loksabha election banner

ऐसी परिस्थितियों में पक्षकार की स्थिति और जीवन शैली आदि पर विचार करते हुए एक निष्कर्ष पर पहुंचना हमेशा सुरक्षित व बेहतर होता है। भरण-पोषण निर्धारित करने के परिवार न्यायालय के निर्णय को चुनौती देने वाली पति की याचिका को निरस्त करते हुए पीठ ने कहा कि याची एक स्वस्थ व्यक्ति है और अपनी पत्नी का समर्थन करने की स्थिति में है।

उस पर पत्नी को भरण-पोषण देने का कानूनी दायित्व है और पत्नी को वित्तीय सहायता प्रदान करना पवित्र कर्तव्य है और इससे तब तक नहीं बचा नहीं जा सकता, जब तक अदालत कोई ऐसा आदेश न पारित करे कि पत्नी पति से भरण-पोषण पाने की हकदार नहीं है। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता पति ने अपनी आय की सही जानकारी नहीं थी।

याची का कहना है कि उसने एनआइआइटी में आर्टिस्ट की नौकरी दिसंबर 2016 में छोड़ दी थी और वह अपने चाचा का कार चालक है, जबकि उसके पास मोबाइल फोन, लैपटाप है और शपथपत्र में उसने स्वीकार किया है कि उसके पास बाइक और कार भी है। इसके अलावा उसने स्वीकार किया है कि उसका महीने का करीब 35 हजार का खर्च है। परिवार न्यायालय ने सभी तथ्यों को देखते के बाद कहा था कि याचिकाकर्ता की पत्नी दस हजार रुपये प्रतिमाह भरण-पोषण पाने की हकदार है।

साथ ही याची को भरण-पोषण देने का निर्देश दिया था। वहीं, याची ने दलील दी थी कि परिवार न्यायालय ने बगैर तथ्यों के उक्त आदेश दिया है और इसे रद किया जाए। याची ने तर्क दिया था कि कोई भी वेतन प्रमाण पत्र रिकार्ड पर नहीं है कि वह एनआइआइटी में नौकरी करता है और उसकी आय तीस हजार रुपये महीना है।

वहीं, याची की पत्नी ने तर्क दिया कि इस मामले पर अलग तरीके से विचार किया जाना चाहिए क्योंकि याची ने अपनी आय के संबंध में सही जानकारी नहीं दी है।उन्होंने यह भी कहा कि एक तरफ तो यह दलील दी जा रही है कि नौकरी नहीं है और दूसरी तरफ यह भी दावा किया जा रहा है खर्च 35 हजार रुपये महीने से अधिक है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.