सितंबर में बच्चों के लिए शुरू हो जाएगी जायकोव-डी वैक्सीन की आपूर्ति, जायडस कैडिला ने कहा- जल्द तय हो जाएंगी कीमतें
दवा कंपनी जायडस कैडिला ने कहा है कि उसकी ओर से सितंबर के मध्य से अक्टूबर तक कोविड-19 रोधी वैक्सीन जायकोव-डी की आपूर्ति शुरू होने की उम्मीद है। अगले एक या दो हफ्ते में वह इस टीके की कीमत का एलान भी कर देगी।
नई दिल्ली, जेएनएन। भारत के दवा महानियंत्रक (डीजीसीआइ) की तरफ से इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिलने के बाद कोरोना रोधी जायकोव-डी वैक्सीन बनाने वाली कंपनी ने कहा है कि सितंबर 2021 के मध्य से उसकी वैक्सीन देश में मिलनी शुरू हो जाएगी। कीमत की घोषणा दो हफ्ते के भीतर कर दी जाएगी। कीमत के बारे में कंपनी की बातचीत सरकार की एजेंसियों के साथ एक हफ्ते के भीतर शुरू होगी और इस पर जल्द ही अंतिम फैसला होने की संभावना है।
कितनी होगी कीमत...
कंपनी के एमडी डा. शरविल पटेल ने बताया कि कीमत का फैसला सरकारी एजेंसियों से विमर्श के बाद तय होगा। लेकिन यह निश्चित है कि कीमत अभी देश में मौजूद दूसरी कोरोना वैक्सीन की कीमतों के आसपास ही रहेगी, ताकि आम जनता पर ज्यादा बोझ नहीं पड़े। यह कोरोना महामारी के खिलाफ दुनिया की पहली डीएनए आधारित वैक्सीन होगी।
जल्द सबकुछ होगा स्पष्ट
कंपनी की भावी योजना के बारे में विस्तार से बताते हुए डा. पटेल ने कहा कि सरकार से पांच से सात दिनों के भीतर वार्ता में मुख्य तौर पर तीन चीजों का निर्धारण किया जाना है। पहली यह कि कीमत क्या हो। दूसरी, सरकार हमारी कितनी वैक्सीन खरीदेगी और तीसरी, हमें निजी क्षेत्र को कितनी वैक्सीन बेचने की इजाजत मिलती है।
अगले महीने से शुरू होगा उत्पादन
यह पूछे जाने पर कि कंपनी कब तक वैक्सीन सरकार को देने लगेगी? इस पर उनका जवाब था कि हमारे प्लांट में अगले महीने की शुरुआत से इसका उत्पादन शुरू हो जाएगा। सब कुछ ठीक रहा तो तत्काल विभिन्न एजेंसियों के जरिये इसका वितरण भी शुरू हो जाएगा। वैसे अक्टूबर के अंत तक एक करोड़ डोज वैक्सीन और जनवरी 2022 के अंत तक कुल पांच करोड़ डोज की आपूर्ति किए जाने की संभावना है। कंपनी ने कहा है कि सालाना आधार पर इस वैक्सीन की 12 करोड़ डोज बनाने की उसकी क्षमता होगी, जिसे जरूरत पड़ने पर बाद में बढ़ाया जा सकेगा।
दो महीने में दी जाएंगी तीन डोज
जायकोव-डी की कुल तीन डोज दो महीने में दी जाएंगी। इसे 12 वर्ष से ज्यादा आयु के व्यक्ति को दिया जा सकेगा। डा. पटेल ने बताया कि 28 हजार लोगों पर इसका ट्रायल किया गया है। किसी पर इसका गलत असर नहीं दिखा। 12 से 18 वर्ष आयु वर्ग में भी 1,400 व्यक्तियों पर इसका ट्रायल किया गया है।
वैक्सीन का विपरीत असर कम होगा
यह वैक्सीन नीडल से मांसपेशियों के भीतर नहीं दी जाती बल्कि स्किन में (चमड़े के भीतर) दी जाती है। इससे भी वैक्सीन लेने के बाद होने वाले विपरीत असर कम हो जाते हैं। कंपनी दो डोज वाली वैक्सीन पर भी काम कर रही है और अभी तक इसके परिणाम से काफी उत्साहित है।
कंपनी के पास छह-सात महीने का कच्चा माल
कंपनी के पास छह से सात महीने का कच्चा माल है और आगे की आपूर्ति निर्बाध करने के लिए भी आर्डर किया जा रहा है। भारत में उत्पादन व आपूर्ति निर्बाध तरीके से शुरू होने के बाद कंपनी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से आवश्यक मंजूरी के लिए वार्ता शुरू करेगी।
डीएनए आधारित दुनिया की पहली वैक्सीन
मालूम हो कि जाइकोव-डी डीएनए आधारित दुनिया की पहली वैक्सीन है। अभी तक जितनी भी वैक्सीन हैं वह एम-आरएनए आधारित हैं। तीन डोज वाली प्लाज्मिड डीएनए-आधारित जाइकोव-डी वैक्सीन सार्स-सीओवी-2 के स्पाइक प्रोटीन का उत्पादन करती है और मजबूत प्रतिरक्षा प्रदान करती है।
66 फीसद कारगर
जायडस कैडिला की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इस टीके का भारत में अब तक 50 से अधिक केंद्रों पर क्लिनिकल ट्रायल किया गया है। यही नहीं तीसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल 28 हजार से ज्यादा वालंटियर पर किया जा चुका है। बड़ी बात यह कि ट्रायल में यह वैक्सीन 66.6 फीसद प्रभावी पाई गई है। कंपनी का कहना है कि हर साल इस वैक्सीन की 10-12 करोड़ डोज का उत्पादन करने की उसकी योजना है। मालूम हो कि इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी पाने वाली यह देश की छठी वैक्सीन है...