आपके नवजात पर खतरनाक जीका वायरस की है नजर, जानें- क्या है मामला
नवजात में माइक्रोसेफली एक न्यूरोलाजिकल समस्या है। इसमें बच्चे का सिर छोटा रह जाता है।
नई दिल्ली [ जागरण स्पेशल ]। राजस्थान में जीका वायरस पीड़ितों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। अब तक 29 लोग इस संक्रमण की गिरफ्त में हैं। जीका वायरस संक्रमण के मामलों को लेकर पीएमओ ने स्वास्थ्य मंत्रालय से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। आइए हम आपको बताते हैं जीका वायरस के बारे में। इसकी खोज कब हुई, इसके बचने के क्या पांच उपाय हैं। इसके अलावा भारत में सरकारी स्तर पर इसके राेकथाम के लिए क्या प्रबंध है।
युगांडा में जीका नामक जंगलों में पाया गया वायरस
1947 में पहली बार इस वायरस की खोज की गई। अफ्रीका के युगांडा में जीका नामक जंगलों में पहली बार बंदरों में यह वायरस पाया गया। इसी के चलते इसका नाम जीका रखा गया। 1954 में पहली बार मानव इस वायरस की चपेट में आया। तब दुनिया ने इस खतरनाक वायरस के बारे में जाना। अफ्रीका के कई देश अब तक इसकी चपेट में आ चुके हैं। कुछ देशों में यह महामारी का रूप अख्तियार कर चुका है।
मौजूदा समय में यह वायरस केवल अफ्रीका महाद्वीप में ही नहीं, बल्कि इसकी चपेट में एशिया, लैटिन अमेरिका, यूरोप एवं आस्ट्रेलिया महाद्वीप भी शामिल है। 2007 में माइक्रोनेशिया के द्वीप में इस वायरस ने काफी तेज से पांव पसारा। 2013 में इसकी दस्तक ने फ्रांस सहम गया था। पूर्वी आस्ट्रेलिया तथा न्यू कैलिडोनिया और 2015 में ब्राजील में दस्तक दी।
नवजात शिशुओं पर पर इसका असर
आमतौर पर जीका वायरस एडीज मच्छरों के काटने से फैलता है। डेंगू और चिकनगुनिया भी इन्हीं मच्छरों के काटने से होता है। ये मच्छर ज्यादातर दिन में या सुबह ही काटते हैं। जीका वायरस का असर किसी भी व्यक्ति पर हो सकता है, लेकिन इसका सबसे ज्यादा प्रभाव गर्भवती महिलाओं के गर्भ में पल रहे भ्रूण पर होता है। दरअसल, जीका वायरस के हमले के फलस्वरूप नवजात बच्चे माइक्रोसेफली नामक बीमारी से ग्रसित हो जाते हैं। नवजात में माइक्रोसेफली एक न्यूरोलाजिकल समस्या है। इसमें बच्चे का सिर छोटा रह जाता है, क्योंकि उसके दिमाग का पूर्ण विकास नहीं हो पाता है। जीका वायरस से संक्रमित मादा एडीज द्वारा गर्भवती महिला के खून के माध्यम से यह वायरस गर्भस्थ शिशु की न्यूरल ट्यूब को संक्रमित करता है। इसके चलते न्यूरल ट्यूब में मौजूद रेटनोइस एसिड को संक्रमित करता है। यह एक प्रकार का मैटाबोलिक विटामिन ए है, जो मस्तिष्क के आरंभिक विकास हेतु जिम्मेदार है। इसके संक्रमण से नवजात के मस्तिष्क का विकाम मंद हो जाता है।
संक्रमण रोकने के पांच उपाय
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसके रोकथाम के पांच उपाय बताए हैं। ज़ीका वायरस के संक्रमण को रोकने का सबसे अच्छा उपाय है, मच्छरों की रोकथाम।
- मच्छरों से बचने के लिए पूरे शरीर को ढककर रखें और हल्के रंग के कपड़े पहनें।
- मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए अपने घर के आसपास गमले, बाल्टी, कूलर में भरा पानी निकाल दें।
- बुख़ार, गले में ख़राश, जोड़ों में दर्द, आंखें लाल होने जैसे लक्षण नज़र आने पर अधिक से अधिक तरल पदार्थों का सेवन और भरपूर आराम करें।
- ज़ीका वायरस का फ़िलहाल कोई टीका उपलब्ध नहीं है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि स्थिति में सुधार नहीं होने पर फ़ौरन डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
जीका को लेकर भारत सरकार अलर्ट
भारत में ज़ीका को लेकर सख़्त स्वास्थ्य नीति बनी हुई है। अलग-अलग मंत्रालयों में अफसरों का एक पैनल नियमित रूप से इस वायरस की वैश्विक स्थिति की समीक्षा करता है। अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर इस वायरस को लेकर सूचना दी जाती है। वहाँ स्वास्थ्य अधिकारी यात्रियों की भी निगरानी करते हैं। पिछले साल से अब तक, पूरे देश में 25 प्रयोगशालाओं में ज़ीका के टेस्ट के बारे में बताया गया है। तीन विशेषज्ञ अस्पतालों में मच्छरों के नमूनों पर ज़ीका वायरस का टेस्ट किया जा रहा है।