Lockdown India: यूथ ई-बुक्स, तो सीनियर सिटीजन ऑडियो बुक्स की खरीद में दिखा रहे दिलचस्पी
खाली समय में न सिर्फ युवा बल्कि उम्रदराज पाठक अपने महापुरुषों को जानने व आत्मशक्ति बढ़ाने के लिए पौराणिक उपन्यासों बायोग्राफी और सेल्फ डेवलपमेंट की ई-बुक्स पढ़ रहे हैं।
नई दिल्ली, स्मिता। लॉकडाउन में दोगुनी बढ़ गई है ई बुक्स की बिक्री। प्रकाशक और लेखक मानते हैं कि खाली समय में न सिर्फ युवा बल्कि उम्रदराज पाठक अपने गौरवशाली अतीत और महापुरुषों को जानने व आत्मशक्ति बढ़ाने के लिए पौराणिक उपन्यासों, बायोग्राफी और सेल्फ डेवलपमेंट की ई-बुक्स पढ़ रहे हैं। सीनियर सिटीजन ऑडियो बुक्स की खरीद में भी दिखा रहे दिलचस्पी।
कॉलेज स्टूडेंट संदीप ने महात्मा बुद्ध और बौद्ध धर्म को समझने के लिए महान लेखक राहुल सांकृत्यायन की किताब 'महामानव बुद्ध'खरीदी, तो ऑफिस गोअर कृतिका ने पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के महती कार्यों को जानने के लिए उनकी लिखी कई सारी किताबें जैसे कि 'इग्नाइटेड माइंड', 'माई जर्नी' आदि किताबें खरीदी। उन लोगों ने इन सारी किताबों को ई-बुक्स के रूप में खरीदा, ताकि न कोरोना से संक्रमित होने की आशंका हो और न डिलीवरी के लिए किसी प्रकार के झंझट का सामना करना पड़े।
कहानीकार व व्यंग्यकार अजयश्री बताते हैं, 'इन दिनों युवाओं को अपने गौरवशाली अतीत को जानने का समय मिला है। इसलिए वे अपनी-अपनी विचारधारा के आधार पर महापुरुषों, धर्मों, पौराणिक पात्रों आदि के बारे में अधिक से अधिक जानना चाहते हैं। वहीं उम्रदराज लोग अतीत और वर्तमान समय के बीच तुलनात्मक अध्ययन करना चाहते हैं। इसलिए दोनों ही पीढ़ी पौराणिक और बायोग्राफी खरीद कर पढ़ना चाह रही है।'
ई-बुक्स की दोगुनी बिक्री : कोरोना और लॉकडाउन पर आधारित किताबों की सर्चिंग: प्रभात प्रकाशन के ऑनर पीयूष कुमार बताते हैं, 'किताबों की बिक्री पहले की अपेक्षा दोगुनी बढ़ गई है। मान लिया जाए कि पहले 2 हजार किताबें बिकती थीं, तो अब 4 हजार किताबें डाउनलोड हो रही हैं। एक वजह यह भी है कि ई-बुक्स का मूल्य काफी कम होता है। लगभग 49 या 100 रुपये। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह भी है कि जिन्हें ई बुक्स पढ़ने का अभ्यास है, वही ज्यादा खरीद रहे हैं। इन दिनों पौराणिक उपन्यासों और जीवनियों के अलावा जो किताबें सबसे अधिक किताबें पढ़ी जा रही हैं, वे कोरोना और लॉकडाउन पर आधारित किताबें हैं। हिंदी में सबसे अधिक लेखक महेश शर्मा की किताब 'कोरोना वायरस के बारे में जानिए' बिक रही है। हाल में अमेजन पर इसकी रैंकिंग भी काफी इंप्रूव हुई है।
लॉकडाउन लाया बढ़िया अवसर : वाणी प्रकाशन की सीईओ अदिति महेश्वरी बताती हैं, 'लॉकडाउन ई-बुक्स के लिए बढ़िया अवसर लेकर आया है। पहले हम ई-बुक्स की सेल पिकअप के बारे में सोचते रहते थे। इसे एक फेल्ड एक्सपेरिमेंट मान लिया गया था। अब यह परिदृश्य बदल गया है। यदि किताबों की खरीदारी नहीं भी हो पाती है, तो पाठकों के सैंपल पेजेज पढ़ने पर पता चलता है कि लोगों ने ई-बुक्स को देखना-समझना शुरू कर दिया है।च' लोकप्रिय लेखिका तस्लीमा नसरीन की 'लज्जा', शायर मनोज मुंतशिर की 'मेरी फितरत है मस्ताना', इरशाद कामिल की 'काली औरत का ख्वाब', यतींद्र मिश्र की 'लता सुर गाथा' किताबें सबसे अधिक एक्सप्लोर की गई हैं।
सोशल मीडिया का कमाल : भगवंत अनमोल, सत्य व्यास, निखिल सचान आदि युवा लेखकों की फेहरिस्त काफी लंबी है, जो सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं। वाणी प्रकाशन की सीईओ अदिति महेश्वरी बुक्स सेल ऐंड मार्केटिंग एक्सपर्ट भी हैं। वे बताती हैं, 'ऐसे लेखकों की किताबें ई-बुक्स के रूप में अधिक बिक रही हैं, जो सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं। ऐसे लेखक सोशल मीडिया पर जमकर अपनी किताबों का प्रचार-प्रसार करते हैं। ई-बुक्स का बाजार युवाओं के लिए सुगम माना जा रहा है, लेकिन सीनियर जेनरेशन ऑडियो बुक्स की खरीदारी में आगे है।' रिटायर्ड प्रोफेसर शिवकांत मिश्र बताते हैं, पढ़ने में परेशानी होने के कारण उन्होंने तथा उनके दोस्तों ने कई ऑडियो बुक्स खरीदा है।