मुंबई का युवक हामिद अंसारी हुआ पाकिस्तान के 'डीप स्टेट' का शिकार
अंसारी की मां अपने बेटे के लौटने का इंतजार कर रही है।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। मुंबई के युवा हामिद अंसारी का मामला एक सटीक उदाहरण है कि पाकिस्तान में न्यायिक व्यवस्था किस तरह से काम करती है। फेसबुक पर पाकिस्तान की एक लड़की से हुई मोहब्बत और उसके बाद अफगानिस्तान होते हुए पाकिस्तान पहुंचे हामिद अंसारी के साथ वहां क्या किया गया वह बताता है कि पाक के हुक्मरानों में एक आम भारतीय के प्रति कितना संदेह और नफरत है।
अंसारी को वर्ष 2012 में गिरफ्तार किया गया था और उसे जिस जुर्म में गिरफ्तार किया गया था उसमें अधिकतम सजा तीन वर्ष की है। ऐसे में उसे वर्ष 2015 में रिहा कर देना चाहिए था, लेकिन रिहा करना तो दूर उसके बारे में भारत को अभी तक कोई जानकारी भी नहीं दी गई है। जबकि विगत छह वर्षो के दौरान भारत के विदेश मंत्रालय की तरफ से 95 दफे अधिकारिक तौर पर हामिद अंसारी का मुद्दा पाकिस्तान के अधिकारियो के समक्ष उठाया गया है।
पाकिस्तान में दो तरह के कोर्ट है एक सिविल कोर्ट और दूसरा मिलिट्री कोर्ट। इनका इस्तेमाल वहां के हुक्मरान व पाक सेना अपनी सुविधा के अनुसार करती है। मिलिट्री कोर्ट पर किसी का जोर नहीं चलता। यही वजह है कि अपने प्यार को पाने की चाहत में सीमा पार कर वहां पहुंचे अंसारी पर मिलिट्री कोर्ट में आतंकवादी की तरह मामला चलाया गया। जबकि हाफिज सईद, लखवी, मौलाना अजहर जैसे खूंखार आतंकवादियों के खिलाफ मामला सिविल कोर्ट में चलाया जाता है जहां की प्रक्रिया अपने आप में अनोखी है। पाक सेना की मानसिकता इस बात से समझी जा सकती है कि हामिद अंसारी के मामले की अपने स्तर पर तहकीकात में जुटी महिला पत्रकार जीनत शहजादी को अचानक अगवा कर लिया गया और उन्हें दो वर्ष बाद छोड़ा गया।
शहजादी को तब गिरफ्तार किया गया जब वह पांच दिनों बाद हामिद अंसारी मामले में गवाही देने जाने वाली थी। शहजादी के अगवा होने के बाद उनके भाई ने गम में आत्महत्या कर ली।
अंसारी के बारे में आज तक भारत को कुछ नहीं बताया गया और ना ही उस तक भारतीय राजनयिकों की पहुंच दी गई। यह अंतरराष्ट्रीय कानूनों का भी उल्लंघन है। हालांकि पाकिस्तान में यह कोई नई बात नहीं है। यह बताता है कि पाक सेना किस तरह से 'डीप स्टेट' के तौर पर काम करती है। इस बीच अंसारी की मां अपने बेटे के लौटने का इंतजार कर रही है।