गर्मी से भले मिले हो राहत, पर जानें सेहतमंद भोजन के लिए कैसे बन सकती है आफत
फसलों फल-सब्जियों को नुकसान पहुंचाने वाले कुछ कीट ऐसे होते हैं जो भीषण गर्मी में मर जाते हैं। पर इस बार मई में ज्यादा गर्मी पड़ने की संभावना न के बराबर है। ऐसी स्थिति में अगर किसान कीटनाशक दवाओं का प्रयोग करते हैं तो इसका असर सेहतमंद भोजन पर पड़ेगा।
नई दिल्ली, जागरण टीम। टाक्टे चक्रवात के चलते उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली-एनसीआर सहित कई इलाकों में मौसम बदला है। बदले मौसम में हो रही बारिश जहां एक तरफ गर्मी से राहत दे रही है, वहीं फसलों के लिए आफत बन गई है। मौसम विज्ञानियों की मानें तो मौसम की मेहरबानी से इस बार मई की भीषण गर्मी और तेज लू से तो लोगों को राहत जरूर मिल रही है, लेकिन यह राहत हमारे सेहतमंद भोजन के लिए आफत भी बन सकती है।
इस बार नहीं मर पाएंगे ये कीट, कीटनाशक दवाएं छिड़कने पर रसायन घोलेंगे भोजन में जहर
फसलों, फल-सब्जियों को नुकसान पहुंचाने वाले कुछ कीट ऐसे होते हैं जो भीषण गर्मी में मर जाते हैं। पर इस बार मई में ज्यादा गर्मी पड़ने की संभावना न के बराबर है। ऐसी स्थिति में अगर किसान इन कीटों को मारने के लिए कीटनाशक दवाओं का प्रयोग करते हैं तो इसका असर हमारे सेहतमंद भोजन पर पड़ेगा। मई में अधिकतम तापमान 44 से 45 डिग्री तक पहुंच जाता है। लू का भी प्रकोप देखने को मिलता है। लेकिन इस बार ज्यादा गर्मी पड़ी ही नहीं और न ही लू चली। अगले कई दिन तापमान बढ़ने या अधिक गर्मी पड़ने की उम्मीद भी नहीं है।
सब्जियों तथा अनाज की फसलों को बचाती है कीटों के दुष्प्रभाव से
कृषि विज्ञानी बताते हैं कि लू और भीषण गर्मी कुछ फल-सब्जियों और अनाज की फसलों के लिए फायदेमंद होती है। गर्मी के प्रकोप से वे कीट मर जाते हैं, जो फसलों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। लेकिन इस बार मई में ज्यादा गर्मी न पड़ने और नमी के प्रभाव से खरबूजा, खीरा, ककड़ी, करेला और प्याज इत्यादि पर फलमक्खी का प्रकोप देखने को मिल सकता है। इससे उक्त फल, सब्जियां पीली पड़ने लगेंगी। इस समस्या से निजात के लिए किसान इन पर कीटनाशक दवाएं छिड़केंगे। ऐसे में दवाओं के रसायन फल-सब्जियों में जहर घोलेंगे।
बेमौसम बारिश से मूंग की फसल पर खतरा
बेमौसम बारिश ने मूंग की फसल के लिए खतरा पैदा कर दिया है। बारिश से मूंग की चमक भी बिगड़ेगी और हरापन गायब होने की आशंका है। दाने काले पड़ सकते हैं। मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर में 60 हजार हेक्टेयर में तो बैतूल में पांच हजार हेक्टेयर में मूंग लगी हुई है। आमतौर पर यह फरवरी से लेकर अप्रैल तक बोई जाती है। 55 से 75 दिन में पक जाती है। फरवरी में बोई फसल काटी जा चुकी है और अप्रैल वाली अभी खेतों में ही है।
कृषि विज्ञान केंद्र (बैतूल) के कृषि विज्ञानी वीके वर्मा ने बताया कि मूंग की ग्रीष्मकालीन फसल के लिए 37 डिग्री सेल्सियस तक तापमान श्रेष्ठ होता है। अधिक सिंचाई करने से वानस्पतिक वृद्धि होती है। इसमें नई फलियां आ जाती हैं और इस वजह से फसल देरी से पकती है। हालिया बारिश के कारण मूंग की फसल पकने में 10 से 15 दिन की वृद्धि हो जाएगी। फसल में फूल और फली लगने की अवस्था है। इस बारिश से पौधों में नई फलियां निकलेंगी। इससे फसल देरी से पकेगी।
यदि मानसून जल्दी आ गया तो परेशानी बढ़ जाएगी। फसल काटी नहीं जा सकेगी। प्रकृति में हर मौसम का महत्व है। फल-सब्जियों और अनाज के लिए गर्मी भी जरूरी है। भीषण गर्मी कीटों को मारती है। लेकिन इस बार कीट मरेंगे नहीं और फसलों पर प्रभाव डालेंगे। उन पर अगर कीटनाशक छिड़केंगे तो रसायन का दुष्प्रभाव होगा और अगर नहीं छिड़केंगे तो भी कीटों का दुष्प्रभाव फसलों पर रहेगा।
-डा. जेपीएस डबास, प्रधान कृषि विज्ञानी, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान