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संभलकर खेल रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अब स्लॉग ओवरों वाली माइंडसेट बैटिंग

UP Chief Minister Yogi Adityanath यूपी के राजनेता इस मामले में भाग्यशाली हैं अन्यथा केंद्र और कई अन्य राज्यों के नेता जेलयात्रा का भी लुत्फ उठा चुके हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 09 Mar 2020 10:28 AM (IST)Updated: Mon, 09 Mar 2020 09:40 PM (IST)
संभलकर खेल रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अब स्लॉग ओवरों वाली माइंडसेट बैटिंग
संभलकर खेल रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अब स्लॉग ओवरों वाली माइंडसेट बैटिंग

लखनऊ, सद्गुरु शरण। UP Chief Minister Yogi Adityanath: उत्तर प्रदेश में योगी सरकार इस महीने अपने कार्यकाल के तीन साल पूरे कर लेगी। क्रिकेट की भाषा में कहें तो 30 ओवर पूरे हो गए। 20 ओवर बैटिंग बाकी है, सो अब तक जरा संभलकर खेल रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अब स्लॉग ओवरों वाले माइंडसेट में आक्रामक होते दिख रहे हैं। यानी अब हर बॉल पर आगे निकलकर चौका या छक्का जड़ना है।

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मीडियाजनित धारणा को तोड़ने का मन बना चुके : योगी और उनकी टीम पूरे 50 ओवर खेलकर ही पेवेलियन लौटेगी। विकास कार्य पिछले तीन साल भी हुए, पर सांस्कृतिक एजेंडे की आक्रामकता ने विपक्ष को यह कहने का मौका भी दिया कि मुख्यमंत्री का ध्यान सिर्फ भगवा एजेंडे पर है, उन्हें आम आदमी की कठिनाइयों की फिक्र नहीं। अब ऐसा लग रहा कि मुख्यमंत्री इस मीडियाजनित धारणा को तोड़ने का मन बना चुके हैं। होली के तुरंत बाद 15 मार्च से उत्तर प्रदेश में विकास कार्यों का मुआयना करने जा रहे हैं। 

क्या पता, किस जिले में योगीजी का उड़नखटोला उतर जाए : खास बात यह है कि मुख्यमंत्री का भी हेलीकॉप्टर अचानक जिलों में उतरेगा। वह स्वयं भी विकास का सच देखेंगे। अधिकारियों ने कोरोना का बहाना करके होली न मनाने का निश्चय किया है, ताकि बचे दिनों में ज्यादा से ज्यादा उपलब्धि अर्जित की जा सके। होली पर लोग पर्यटन की प्लानिंग करते हैं, पर इस बार मंडल, जिला, तहसील औैर ब्लॉक मुख्यालयों के दफ्तरों में छुट्टियां अघोषित तौर पर रद कर दी गई हैं। चर्चा तो यह भी है कि अधिकारियों से अधिक बेचैनी कई मंत्रियों में है। वे दिन में कई-कई बार अपने अधिकारियों को फोन करके अपडेट लेते हैं कि मुख्यमंत्री के निरीक्षण प्लान के मद्देनजर तैयारी का क्या स्टेटस है? क्या पता, किस जिले में योगीजी का उड़नखटोला उतर जाए।

अधिकारियों को यह सुविधा जरूर है कि मार्च का महीना होने के कारण बजट की कमी नहीं है, यद्यपि इस सूचना से उन्हें घबराहट भी हो रही कि मौका मुआयना के लिए लोकेशन और साइट का चयन पहले ही प्राप्त किए जा चुके फीडबैक के आधार पर किया जाएगा। अधिकारी इस बात का मतलब समझते हैं, इसलिए डैमेज कंट्रोल की कवायद जारी है। वे विभाग और अधिकारी कुछ ज्यादा ही टेंशन में हैं जो अब तक मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस को ठेंगा दिखाते आ रहे थे।

जाहिर है कि मुख्यमंत्री खुद देखेंगे तो उन्हें सड़क के गड्ढे भी दिखेंगे और सूखी नहरें भी। अधिकारियों को लगता है कि फीडबैक भाजपा संगठन के माध्यम से लिया जा रहा है, इसलिए जिलों में नए-नए पदाधिकारी बने भाजपाइयों के घर खास विभागों से गुझिया-नमकीन की डलिया पहुंच रही है। होली है तो गिफ्ट लेने में कोई हर्ज नहीं, पर इससे किसी को फायदा नहीं होने वाला।

विपक्ष की फील्डिंग बिखरीबिखरी : एक तरफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ताबड़तोड़ बैटिंग की तैयारी में हैं तो दूसरी ओर विपक्षी टीमों के सभी कप्तान अलग-अलग फील्डिंग सजा रहे हैं। सपा, बसपा और कांग्रेस तो हैं ही, दो और नई टीमें नेट प्रैक्टिस करती दिख रही हैं। एक, आम आदमी पार्टी, जिसे दिल्ली की जीत के बाद सिर्फ हरा-हरा दिख रहा है। दूसरी, मायावती के लिए चुनौती बन रहे चंद्रशेखर की भीम आर्मी। शिवसेना भी हर चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में दंड-बैठक शुरू कर देती है। यह परंपरा निभाते हुए उद्धव ठाकरे सपरिवार रामलला का दर्शन करने अयोध्या आए। शिवपाल यादव भी, हम किसी से कम नहीं, के तर्ज पर मोर्चा लेने को तैयार हैं। जहां तक सपा, बसपा और कांग्रेस की बात है, उनकी सक्रियता केंद्र और यूपी सरकार के हर काम में कमी तलाशने तक सीमित है।

चुनाव अभी दो साल दूर हैं। तब तक बहुत कुछ बदल सकता है, यद्यपि योगी सरकार की कमजोरी में अपने लिए मजबूती का इंतजार कर रहे विपक्ष को सरकार के विकास एजेंडे से निराशा हाथ लग सकती है। अभी भी समय है। विपक्ष को जनता के सामने अपना एजेंडा रखना चाहिए। योगी सरकार यदि सब कुछ गड़बड़ कर रही तो मौका मिलने पर वे क्या करना चाहेंगे? जाहिर है, विपक्ष को यह भी बताना पड़ेगा कि जब मौका मिला था, तब उन्होंने क्या किया था?

भ्रष्टाचार पर कसता शिकंजा : योगी सरकार के कामकाज में कई कमियां बताई जा सकती हैं, यद्यपि इस बात पर शायद ही किसी की असहमति हो कि भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर बेहद प्रभावी ढंग से अमल हो रहा है। याद नहीं पड़ता, इससे पहले भ्रष्टाचार के मामलों में इतना तेज और कड़ा एक्शन कब हुआ था। भ्रष्टाचार की विषबेल चौतरफा व्याप्त है, इसके बावजूद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जूझते दिख रहे हैं। धान और गेहूं की खरीद जैसे भ्रष्टाचार के किले लगभग ढहाए जा चुके हैं, पर अब भी भ्रष्टाचार का दैत्य कमजोर नहीं पड़ा है। कुछ कठिनाइयां भी प्रतीत होती हैं। खनन व पीएफ घोटाले जैसे मामलों में अधिकारियों व ठेकेदारों पर तो शिकंजा कस गया, पर नेताओं की गर्दन करीब दिखते ही सरकार ठिठक जाती है। यूपी के राजनेता इस मामले में भाग्यशाली हैं अन्यथा केंद्र और कई अन्य राज्यों के नेता जेलयात्रा का भी लुत्फ उठा चुके हैं।

[स्थानीय संपादक, लखनऊ]

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