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Yasin Malik को फांसी की जगह उम्रकैद क्‍यों? न्‍याय मित्र ने बताई वजह, यासीन मलिक को सजा सुनाते हुए विशेष अदालत ने क्‍या कहा?

भारतीय दंड संहित की धारा 121 के तहत एनआइए ने यासीन मलिक को मृत्युदंड की मांग की थी। जिस पर न्याय मित्र ने अदालत से कहा कि धारा 121 मे दोषी पाए जाने पर मृत्युदंड का प्रविधान है लेकिन...

By Vijay KumarEdited By: Published: Wed, 25 May 2022 10:53 PM (IST)Updated: Thu, 26 May 2022 07:14 AM (IST)
Yasin Malik को फांसी की जगह उम्रकैद क्‍यों? न्‍याय मित्र ने बताई वजह, यासीन मलिक को सजा सुनाते हुए विशेष अदालत ने क्‍या कहा?
टेरर फंडिंग का दोषी अलगाववादी नेता यासीन मलिक

नई दिल्‍ली, आनलाइन डेस्‍क। टेरर फंडिंग का दोषी अलगाववादी नेता यासीन मलिक आजीवन कारावास में रहेगा। बुधवार को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट के विशेष एनआइए न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने यासीन मलिक को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

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पटियाला हाउस की विशेष अदालत ने शाम करीब छह बजे अपना निर्णय पढ़ना शुरू किया। दस मई को टेरर फंडिंग मामले में यूएपीए के सभी आरोपों को मलिक ने स्वीकार कर लिया था। मलिक ने अदालत से कहा था कि वह उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों का सामना नहीं करना चाहता है।

उम्र कैद नियम है जबकि मृत्युदंड अपवाद

भारतीय दंड संहित की धारा 121 के तहत एनआइए ने यासीन मलिक को मृत्युदंड की मांग की थी। जिस पर न्याय मित्र ने अदालत से कहा कि धारा 121 मे दोषी पाए जाने पर मृत्युदंड का प्रविधान है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के अनुसार मृत्युदंड केवल दुर्लभ मामलों में ही देना चाहिए। उम्र कैद नियम है जबकि मृत्युदंड अपवाद। जिसके बाद कोर्ट ने यासीन मलिक को उम्र कैद की सजा सुनाई।

सजा सुनाते हुए क्‍या कहा कोर्ट ने

कोर्ट ने कहा कि धन आतंकवादी गतिविधि चलाने के लिए रीढ़ का काम करता है। पाकिस्तानी संस्थानों, हाफिज सईद और हवाला व अन्य माध्यमों के जरिये फंड जुटाया गया और उसका इस्तेमाल लोगों को उकसाने, पत्थरबाजी करने, सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के साथ ही पूरी घाटी में ¨हसक गतिविधियों को बढ़ावा देने और सुरक्षा बलों पर हमला करने में किया गया। विशेष न्यायाधीश ने कहा कि मेरी नजर में यह वर्तमान समय का सबसे गंभीर अपराध है।

कोर्ट ने टेरर फंडिंग के लिए मिले रुपयों के बराबर लगाया जुर्माना

अदालत ने यासीन मलिक पर लगाए गए 10 लाख 75 हजार रुपये के जुर्माने को स्पष्ट किया है। कोर्ट ने कहा कि यासीन मलिक ने साल 2015 में जहूर वताली से 10 लाख रुपये की धनराशि ली थी जिसका इस्तेमाल आतंक फैलाने के लिए किया गया है। इसलिए जितनी धनराशि आतंक फैलाने के लिए ली थी, उतना ही धनराशि का जुर्माने के तौर पर भुगतान करना होगा। वताली टेरर फंडिंग के मामले में आरोपित है।

इन आतंकियों पर अभी चलेगा मुकदमा

अदालत ने इससे पहले फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे, शब्बीर शाह, मसर्रत आलम, मोहम्मद यूसुफ शाह, आफताब अहमद शाह, अल्ताफ अहमद शाह, नईम खान, मोहम्मद अकबर खांडे, राजा मेहराजुद्दीन कलवाल, बशीर अहमद भट, जहूर अहमद शाह वताली, शब्बीर अहमद शाह, अब्दुल राशिद शेख और नवल किशोर कपूर सहित कश्मीरी अलगाववादी नेताओं के खिलाफ औपचारिक रूप से आरोप तय किए थे। इसके अलावा लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद और हिजब-उल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के खिलाफ भी आरोपपत्र दायर किया गया था जिन्हे मामले में भगोड़ा घोषित किया गया है। इन सभी आरोपितों के खिलाफ ट्रायल कोर्ट में मुकदमा चलेगा।

आतंकी यासीन मलिक को मिले मृत्युदंड : विहिप

विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने आतंकी यासीन मलिक के मृत्युदंड की मांग करते हुए आजीवन कारावास की सजा पर संतोष जताया है। विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने दो टूक कहा कि ऐसे देशद्रोहियों को मृत्युदंड मिलना चाहिए। पर संतोष है कि नए भारत में यह भी संभव हो सका है। अन्यथा जिन लोगों को दशकों तक कांग्रेस पार्टी तथा उसके जैसे अन्य दलों ने न सिर्फ पाल पोसकर बड़ा किया, बल्कि भारतीय करदाताओं के पैसे से उन्हीं के विरूद्ध काम करने के लिए प्रेरित किया। ऐसे में लाजमी है कि शासन-सत्ता नहीं बदलती तो न्याय नहीं मिल पाता। इसके लिए मोदी सरकार साधुवाद की पात्र है। विहिप प्रवक्ता ने कहा कि इन जैसों की जड़े कितनी गहरी है इसका पता इस फैसले पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया और कश्मीर में पत्थरबाजी की घटना से समझा जा सकता है। ऐसे में अभी आगे बहुत कुछ करने की आवश्कता है। यासीन मलिक के साथ-साथ इससे जुड़े जो गुर्गे हैं, जो अलगाववाद की फैक्टि्रयां चला रहे हैं। उनपर भी कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है।


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