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भारत की वैक्सीन कंपनियों पर बढ़ा दुनिया का भरोसा, साथ काम करने को इच्छुक विदेशी कंपनियां, जानें- इसकी मुख्य वजह

अमेरिका यूरोपीय देशों की वैक्सीन कंपनियां भारत में निर्माण शुरू करने को इच्छुक। भारत के पास कई विश्वस्तरीय वैक्सीन निर्माता कंपनियों के पास काफी अतिरिक्त क्षमता। सूत्रों ने बताया यूरोप व अमेरिका स्थित जितनी वैक्सीन निर्माण से जुड़ी कंपनियां हैं वह अब ज्यादा आर्डर लेने की स्थिति में नहीं हैं।

By Nitin AroraEdited By: Published: Thu, 03 Jun 2021 10:28 PM (IST)Updated: Thu, 03 Jun 2021 10:28 PM (IST)
भारत की वैक्सीन कंपनियों पर बढ़ा दुनिया का भरोसा, साथ काम करने को इच्छुक विदेशी कंपनियां, जानें- इसकी मुख्य वजह
भारत की वैक्सीन कंपनियों पर बढ़ा दुनिया का भरोसा, साथ काम करने को इच्छुक विदेशी कंपनियां, जानें- इसकी मुख्य वजह

नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। भारत में कोरोना महामारी के खिलाफ वैक्सीन देने की प्रक्रिया भले ही अभी सुस्त हो, लेकिन भारत की वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों के प्रति दुनिया का भरोसा लगातार बढ़ता जा रहा है। रूस की स्पुतनिक का निर्माण भारत में शुरू हो चुका है और अमेरिका की जानसन एंड जानसन को लेकर बातचीत काफी सही दिशा में बढ़ रही है। इस क्रम में अमेरिका की दिग्गज वैक्सीन निर्माता कंपनियों फाइजर व माडर्ना का नाम भी जल्द जुड़ने की संभावना है। यही नहीं वैक्सीन शोध में जुटीं कम से कम छह और अंतरराष्ट्रीय कंपनियां भारतीय वैक्सीन निर्माता कंपनियों के संपर्क में हैं। इनमें अमेरिका, कनाडा, यूरोप और जापान की कंपनियां शामिल हैं। हालांकि, अभी इस वार्ता के वैक्सीन निर्माण में बदलने में कुछ महीनों का समय लगेगा। सीरम इंस्टीट्यूट (एसआइआइ) के अलावा ये कंपनियां बायोलाजिकल ई, पैनेसिया जैसी बड़ी कंपनियों से बात कर रही हैं। जबकि भारत बायोटेक, जाइडस कैडिला और बायोलाजिक ई की एक वैक्सीन स्वदेशी है।

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फार्मास्यूटिकल क्षेत्र के सूत्रों ने बताया है कि यूरोप व अमेरिका स्थित जितनी वैक्सीन निर्माण से जुड़ी कंपनियां हैं, वह अब ज्यादा आर्डर लेने की स्थिति में नहीं हैं। इन कंपनियों की क्षमता विस्तार में कम से कम एक से दो साल का वक्त लगेगा। दूसरी तरफ भारत के पास अब भी कई विश्वस्तरीय वैक्सीन निर्माता कंपनियों के पास काफी अतिरिक्त क्षमता है। अमेरिका, जापान व कुछ यूरोपीय देशों की कंपनियां वैक्सीन विकसित करने के अंतिम चरण में हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की अनुमति से इन कंपनियों को वैक्सीन शोध कार्य को आगे बढ़ाने की अनुमति मिली है। ये कंपनियां भारतीय कंपनियों से बात कर रही हैं ताकि डब्ल्यूएचओ से आपातकालीन परिस्थितियों में इस्तेमाल की अनुमति मिलने पर वे यहां निर्माण शुरू कर सकें। सनद रहे कि भारत को वैक्सीन निर्माण में दुनिया की राजधानी के तौर पर जाना जाता है। यहां दुनिया की कुल वैक्सीन की 60 फीसद बनाई जाती है।

विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने गुरुवार को बताया भी कि भारत में कोविड-19 की वैक्सीन बनाने के लिए कई वैश्विक कंपनियों से बात चल रही है। भारत ना सिर्फ अपने यहां वैक्सीन बनाने के लिए विदेश से कच्चे माल का आयात करने के लिए बात कर रहा है, बल्कि पूरी वैक्सीन यहां बनाने के लिए भी विदेशी कंपनियों को आमंत्रित कर रहा है। विदेश सचिव का इशारा संभवत अमेरिकी कंपनी फाइजर व माडर्ना को लेकर है, जिनके प्रतिनिधियों के साथ हाल ही में विदेश मंत्री एस जयशंकर की अमेरिका में बात हुई है। माना जा रहा है कि शुरुआत में ये दोनों कंपनियां पूरी वैक्सीन भारत को देंगी, लेकिन बाद में यहां निर्माण भी करेंगी। एक अन्य वैक्सीन कंपनी जानसन एंड जानसन की बात बायोलाजिकल ई से हो रही है। बायोलाजिकल ई अपनी वैक्सीन भी विकसित कर रही है और वह दूसरी कंपनियों की वैक्सीन भी बनाने को तैयार है।

वैक्सीन निर्यात अभी नहीं करेगा भारत

दुनिया के बढ़ते भरोसे के बावजूद भारत अभी दूसरे देशों को वैक्सीन निर्माण को लेकर कोई वादा नहीं करना चाहता। हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि भारत की तरफ से वैक्सीन निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाने से 91 देशों को वैक्सीन आपूर्ति बाधित होने का खतरा है। इस बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अ¨रदम बागची ने साफ तौर पर कहा कि भारत के लिए अभी वैक्सीन की घरेलू जरूरत को पूरा करना वरीयता में है। ऐसे में दूसरे देशों को वैक्सीन आपूर्ति में मदद देने पर बात करना सही नहीं होगा। सनद रहे कि घरेलू स्तर पर वैक्सीन की कमी को दूर करने के लिए अप्रैल महीने में भारत ने देश से वैक्सीन निर्यात पर रोक लगा दी है। नेपाल, बांग्लादेश, भूटान समेत दुनिया के कई देश भारत निर्मित वैक्सीन की पहली डोज देने के बाद दूसरी डोज के लिए भारत सरकार की तरफ टकटकी लगाए हुए हैं।


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