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विषधरों का संसार: छत्तीसगढ़ के जशपुरनगर जिले के कोतेबीरा में हैं दुर्लभ विषधर

जिले में 17 सालों में 862 लोगों की मौत सर्पदंश की वजह से हुई है। पिछले वर्ष ही सर्पदंश से 58 लोगों की जान चली गई थी।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 22 Apr 2020 06:30 PM (IST)Updated: Wed, 22 Apr 2020 07:35 PM (IST)
विषधरों का संसार: छत्तीसगढ़ के जशपुरनगर जिले के कोतेबीरा में हैं दुर्लभ विषधर
विषधरों का संसार: छत्तीसगढ़ के जशपुरनगर जिले के कोतेबीरा में हैं दुर्लभ विषधर

रविंद्र थवाईत, जशपुरनगर। लॉकडाउन के सन्नाटे के बीच आइए आपको दिखाते हैं नागलोक के विषधरों का संसार। छत्तीसगढ़ के जशपुरनगर जिले की फरसाबहार तहसील में एक स्थान है कोतेबीरा धाम। लोगों की मान्यता है कि यहां की गुफा ही नागलोक का द्वार है। दुर्लभ प्रजाति के विषधर वाले इस इलाके में सर्वाधिक मौत सांपों के डसने से ही होती है। यहां दुर्लभ छिपकलियां भी पाई जाती हैं।

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शिवधाम कोतेबीरा नागलोक का प्रवेश द्वार

तपकरा से पांच किलोमीटर की दूरी पर प्रसिद्ध शिवधाम कोतेबीरा है। यहां स्थित गुफा के संबंध में मान्यता है कि यह नागलोक का प्रवेश द्वार है। जनस्रुति है कि प्राचीन समय में यहां देवदूत रहा करते थे। लालचवश कुछ लोगों ने देवदूतों से उनके सोने-चांदी के बर्तन छीनने का प्रयास किया। तब वे सर्प रूप धारण कर पाताल लोक चले गए।

नाग अब भी मंदिर में आते हैं

इस शिवधाम में महाशिवरात्रि के अवसर पर हर साल श्रद्वालुओं की भीड़ जुटती है। शिव मंदिर के पुजारी बचन राम ने बताया कि भगवान दर्शन के लिए नाग अब भी मंदिर में आते हैं। महाशिवरात्रि के अलावा अक्सर सोमवार के दिन मंदिर में सांपों को देखा जा सकता है। ये कुछ देर तक शिव लिंग से लिपटने के बाद वापस चले जाते हैं।

कई दुर्लभ प्रजाति के सांप

किंग कोबरा, करैत जैसे विषधरों की बहुतायत है। वहीं विचित्र प्रजाति का सांप ग्रीन पीट वाइपर और सरीसृप प्रजाति के जीव - ग्रीन कैमेलियन,सतपुड़ा लेपर्ड लिजर्ड भी पाए जाते हैं। ग्रीन पिट वाइपर का वैज्ञानिक नाम ट्रिमरसेरसस सलजार है जो छत्तीसगढ़ के अलावा सिर्फ अरुणाचल प्रदेश में ही मिलता है। इसका विष कोबरा की अपेक्षा धीमा असर करता है। इस सांप का उल्लेख हॉलीवुड हैरी पॉटर श्रृंखला की फिल्मों में किया गया है।

भुरभुरी मिट्टी व आ‌र्द्र जलवायु सांपों के प्रजनन के लिए अनिकूल

सांपों के जानकार कैसर हुसैन ने बताया कि क्षेत्र की भुरभुरी मिट्टी और आर्द्र जलवायु सांपों के प्रजनन और भोजन के लिए आदर्श भौगोलिक स्थिति है। यही वजह है कि यह नागलोक के रूप में ख्याति प्राप्त कर रहा है।

17 वर्षो में 862 लोगों की मौत 

जिले में 17 सालों में 862 लोगों की मौत सर्पदंश की वजह से हुई है। पिछले वर्ष ही सर्पदंश से 58 लोगों की जान चली गई थी। सर्पदंश से अधिकांश मौतें पीडि़त को समय पर मेडिकल सहायता न मिलने की वजह से होती है। जागरूकता की कमी से लोग सर्पदंश पीड़ित को अस्पताल ले जाने के बजाय झांड़-फूंक और जड़ी बूटी से इलाज भी कराते हैं। इससे जहर शरीर में फैल जाता है।


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