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World Family Day 2021: एक-दूसरे को संभालने और मनोबल बढ़ाने में स्वजन मजबूती के साथ खड़े

World Family Day 2021 आज जब कोरोना की दूसरी लहर हमें दुनिया के आधुनिक स्‍वरूप से विमुख कर रही है और अपनी जड़ों की ओर लौटने का संदेश दे रही है तो परिवार ही हर किसी के लिए सबसे बड़ा संबल बना हुआ है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 13 May 2021 04:03 PM (IST)Updated: Sat, 15 May 2021 09:40 AM (IST)
World Family Day 2021: एक-दूसरे को संभालने और मनोबल बढ़ाने में स्वजन मजबूती के साथ खड़े
एक-दूसरे को संभालने और मनोबल बढ़ाने में स्वजन मजबूती से साथ खड़े हैं।

नई दिल्‍ली, यशा माथुर। World Family Day 2021 सबसे पहले एक कहानी। पिता पतंग उड़ा रहे थे। बेटा उन्हें ध्यान से देख रहा था। पतंग काफी ऊंची और दूर तक चली गई। वहां से वह बेटे को स्थिर नजर आने लगी। पतंग को एक ही जगह पर देख बेटे ने पिता से कहा, 'पापा, आपने पतंग की डोर पकड़ रखी है उसे बांध रखा है, इसलिए वह आसमान में और ज्यादा आगे नहीं जा पा रही है। पिता ने बेटे की बात सुनी, थोड़ा मुस्कुराए और हाथ में पकड़ी डोर को तोड़ दिया। बंधन से मुक्त होकर पतंग थोड़ा ऊंची तो गई लेकिन फिर हिचकोले खाती हुई तेजी से नीचे आने लगी और मैदान में गिर गई। पतंग के नीचे गिरने से दुखी और निराश बेटा सोचने लगा अब तो पतंग डोर से आजाद हो गई थी, फिर कैसे लड़खड़ा गई?

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बेटे का दुख समझ पिता ने उसे प्यार से समझाया और कहा कि बेटा हम अपने जीवन में सफलता की ऊंचाइयां छूने लगते हैं और ढेर सारा धन कमा लेते हैं तो हमें लगने लगता है कि हम पर अन्य जिम्मेदारियां नहीं होतीं तो हम और तरक्की करते। घर-परिवार, संस्कार के बंधनों में नहीं बंधे होते तो और आगे जाते। ऐसे में हर बंधन से मुक्त होना चाहते हैं। हमें भार लगने लगते हैं हमारे संस्कार, घर-परिवार। लेकिन जब हमें कोई दुख होता है तो हम इन्‍हीं संबंधों को ढूंढ़ते हैं। खुशी उसी घर में आती है, जहां परिवार एकजुट होता है और उनके सुख-दुख साझा होते हैं।

वटवृक्ष है परिवार : कोरोना काल से पहले एक समय ऐसा आ गया था कि एकल परिवार को पाल कर हमने मान लिया था कि कमाओ और लुटाओ,बस यही जिंदगी है। लेकिन अब जब जान पर बन आने का खतरा चहुंओर मंडरा रहा है तो हम एक-दूसरे का साथ खोज रहे हैं। मान रहे हैं कि परिवार साथ है तो हर मुश्किल का सामना कर लेंगे। तो अब सही समय है संकल्‍प लेने का कि परिवार की जड़ें मजबूत करेंगे और परिवाररूपी मजबूत वटवृक्ष को जिंदगी की तेज हवाओं के सामने झुकने न देंगे।

रिश्तों की साज संभाल: पूर्व आईएएस अधिकारी हैं विवेक अत्रे। स्‍वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बाद वह लोगों को प्रेरित करने का काम कर रहे हैं। वह भी कहते हैं, ‘भारत में परिवार की संस्‍था ही समाज को सभांलती है। विदेशों में ऐसा नहीं होता है। सिर्फ अपना परिवार ही नहीं, हमारे नाते-रिश्‍तेदार,दोस्‍त भी परिवार का विस्‍तार हैं और हमारी जिंदगी में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हमारे यहां परिवार बहुत मजबूत है। कहीं एकल परिवार हैं तो वे भी अपने परिवार वालों से बराबर संपर्क बनाए रखते हैं। बात कर अपना हाल सुनाते हैं उनका हाल पूछते हैं। परिवारों के वाट्सएप ग्रुप बने हुए हैं। लोग स्‍काइप व फेसटाइम जैसी एप से विदेशों में बैठे अपने प्रियजनों से बात करते हैं। यहां तक कि वाट्सएप वीडियो कॉल तो बहुत ही सामान्‍य और लोकप्रिय हो गई है। बदलते समय के साथ तरीके बदले हैं। जूम पर भी परिवार मिल रहे हैं। बहुत दूर के रिश्‍तेदार भी संपर्क स्‍थापित कर रहे हैं और मुश्किल समय में मदद मांग रहे हैं। इससे परिवार की महत्ता का पता चलता है।‘

जीवन रक्षक जैकेट: जब इन दिनों हम जीवन बचाने की मुहिम में जुटे हैं तो समझ में आता है कि इसे आगे बढ़ाने में अपनों की परवाह का क्या योगदान है। जब जीवन में संकट के बादल छाते हैं, उफान आता है तो उफान खाते हुए समुद्र में बचाता है परिवार का जीवनरक्षक जैकेट। आपकी वास्तविक खुशी का राज दरअसल अपनों का साथ है। यह जैकेट सुरक्षित रहे, इसके लिए जरूरी है कि हम परिवार की मजबूती को बनाए रखने का संकल्प लें। जीवनशैली विशेषज्ञ रचना खन्‍ना सिंह कहती हैं, ‘परिवार को मजबूत बनाने के लिए हम आपसी मतभेद भूल जाएं। सकारात्‍मक चीजों पर फोकस करें। इस समय माहौल वैसे भी नकारात्‍मक हैं और ऐसे में अगर हम परिवार की नकारात्‍मक बातों पर फोकस करेंगे तो नकारात्‍मकता और ज्‍यादा बढ़ेगी। यह समय परिवार के साथ हंसी-खुशी रहने का है। किसी को नहीं पता कि कल क्‍या होने वाला है। हम टाइम बम पर बैठे हैं। हमारा एक-एक पल खुशनुमा होगा अगर हम संबंधों को महत्‍व दें। बाहर तनाव है, ऐसा लग रहा है कि युद्ध के मुहाने पर हैं। नाव डूब रही है तो सभी को परिवार की जीवनरक्षक जैकेट पहन एक साथ उसे आगे बढ़ाना है।’

 फासले नहीं बढ़ाने हैं: पूर्व आइएएस और मोटिवेशनल स्पीकर विवेक अत्रे ने बताया कि यदि इन दिनों हम अपने परिवार के लोगों से नहीं मिल पा रहे हैं तो एक-दूसरे के साथ संपर्क में लगातार बने रहें। इंटरनेट मीडिया पर लोग जन्‍मदिन मुबारक लिखकर ही अपने कर्तव्‍य की पूर्ति कर लेते हैं जबकि ऐसे समय में अगर हम फोन उठाकर दो बातें करेंगे तो दोनों के लिए अच्‍छा रहेगा। जिनसे नजदीक हैं उनके नजदीक ही बने रहें। किसी भी कीमत पर फासले न बढ़ाएं। परिवार नाम की संस्‍था को जीवित रखने के लिए मतभेदों को गहरे न होने दें। कोरोना के संक्रमण काल में परिवार और दोस्‍त ही काम आ सकते हैं।

परिवार से बढ़ता मनोबल: नई दिल्ली के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशनल प्लानिंग एंड एडमिनिस्ट्रेशन की समाजशास्त्री प्रो. कुमार सुरेश ने बताया कि अगर परिवार आपके साथ है तो आपको मनोबल मिलता है, आप हर संकट का सामना करने के लिए तैयार रहते हैं क्योंकि आपके पीछे परिवार नाम की अटूट दीवार होती है। लेकिन पिछले दशकों में हमारे सामाजिक परिप्रेक्ष्य में आए परिवर्तन के कारण हमारे संयुक्त परिवार का ताना-बाना बिखर गया। अब महामारी के समय फिर से पारंपरिक व्यवस्था की जरूरत महसूस की जा रही है। अपने लोगों को याद किया जा रहा है। पहले परिवारों में बच्चों के पालन-पोषण का जिम्मा पूरा परिवार का होता था। सभी को आत्मविश्वास रहता था कि अगर कल को हम नहीं रहे तो हमारे बच्चे अनाथ नहीं होंगे। यही विश्वास कठिनाईयों के समय भी डिगने नहीं देता था लेकिन अब जब हमने इन मूल्‍यों को खो दिया है तो एक बार फिर से परिवार की दृढ़ता, परिवार के साथ संकल्प लेने की बढ़ी हुई क्षमता को समझा जा रहा है और संयम के साथ परिवार को अपना बना लेने की आवश्यकता को जाना जा रहा है।

घर में बढ़ाएं सकारात्मकता: जीवन शैली विशेषज्ञ रचना खन्‍ना सिंह ने बताया कि कोरोना की पहली लहर में हम कह रहे थे कि अगर हम पांच लोग भी साथ हैं तो इस कठिन समय को निकाल देंगे, लेकिन अब दूसरी लहर में तो हम मान रहे हैं कि परिवार में तीन लोग भी साथ हैं तो सौभाग्‍यशाली हैं। इस समय परिवार और नजदीकी दोस्‍तों का साथ महत्‍वपूर्ण है। लाकडाउन में कोई परिवार ऐसा नहीं है जो मुश्किलों से न गुजर रहा हो,सदमे न झेल रहा हो। आज सब एक दूसरे का सहयोग करके यह कठिन समय निकालें। घर का माहौल सकारात्‍मक रखें। यह सब तो एक-दूसरे की मदद से ही हो सकता है। इस समय हम शून्‍य पर हैं। सभी से कटे हैं लेकिन परिवार ही हमारी गाड़ी को आगे लेकर जाएगा। संयुक्‍त परिवार की जरूरत महसूस की जाने लगी है।

आइए संकल्‍प लें..

  • सिर्फ अपने बारे में ही सोचने के बजाय घर के दूसरे सदस्‍यों के बारे में भी सोचेंगे।
  • अपने मन का न होने पर ऊंचे स्वर में बात करने के बजाय पूरे मामले को प्यार से निपटाएंगे।
  • परिवार के सदस्यों के बीच आपसी समझदारी विकसित करने का प्रयास करेंगे।
  • बड़ों से सम्मान के साथ बात करेंगे।
  • परिवार में किसी को जरूरत हो तो उसकी मदद के लिए पहल करेंगे।
  • अपनी जिम्मेदारी को समझेंगे। घर के कामों में बराबर हाथ बटाएंगे।
  • घर में एक-दूसरे को प्रोत्साहि‍त करेंगे। प्रोत्‍साहन हर इंसान के लिए जरूरी है।
  • गुस्से को खुद से दूर रखने का प्रयास करेंगे।
  • प्रेम से परिवार की नींव मजबूत करेंगे।
  • किसी के काम में दोष नहीं निकालेंगे।

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