Move to Jagran APP

World Earth Day Special: तीन मंजिला भवन! पेड़ों की छांव में कमरे, कमरों के अंदर पेड़

छत्तीसगढ़ का पहला सरकारी सुपर स्पेशियालिटी अस्पताल, जिसके मुख्य भवन के बीचों-बीच झूमते रहते हैं लगभग 45 फीट ऊंचे आधा दर्जन पेड़।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Sun, 22 Apr 2018 08:17 AM (IST)Updated: Sun, 22 Apr 2018 08:23 AM (IST)
World Earth Day Special: तीन मंजिला भवन! पेड़ों की छांव में कमरे, कमरों के अंदर पेड़
World Earth Day Special: तीन मंजिला भवन! पेड़ों की छांव में कमरे, कमरों के अंदर पेड़

रायपुर (प्रशांत गुप्ता)। पर्यावरण को बचाए रखते हुए भी विकास किया जा सकता है, यह संदेश दे रही है रायपुर (छत्तीसगढ़) में बन रहे एक अस्पताल की इमारत। यह छत्तीसगढ़ का पहला सरकारी सुपर स्पेशियालिटी अस्पताल है, जिसके मुख्य भवन के बीचों-बीच झूमते रहते हैं लगभग 45 फीट ऊंचे आधा दर्जन पेड़। यहां अभी इंसानों का इलाज शुरू भी नहीं हुआ है मगर अपने नाम को धन्य करते हुए इस अस्पताल ने वर्षों पुराने इन पेड़ों की जान बचा ली है।

prime article banner

सफरनामा एक अस्पताल का..

कंक्रीट के इस अस्पताल ने अपने निर्माण पथ पर आने वाले इन पेड़ों की बलि नहीं ली बल्कि उन्हें परिवार के सदस्य की तरह अपना लिया। इसी का नतीजा है कि आज ये पेड़ इस अस्पताल भवन के बीचों-बीच सीना तानकर खड़े हैं। दाऊ कल्याण सिंह (डीके) को लोग एक महान समाजसेवी व दानवीर के रूप में जानते हैं। छत्तीसगढ़ राज्य के अस्तित्व में आने से पहले यहां डीके अस्पताल हुआ करता था। सन 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य के अस्तित्व में आने के बाद इस भवन में मंत्रालय खोल दिया गया। बाद के दिनों में नया रायपुर बनने के दौरान जब मंत्रालय को वहां शिफ्ट कर दिया गया तब यह निर्णय हुआ कि पुराने डीके अस्पताल को फिर धरातल पर लाया जाए। इसी के साथ डी.के.एस. सुपर स्पेशियालिटी हॉस्पिटल की परिकल्पना आकार लेने लगी। दो इमारतों के बीच में पड़ी खाली जगह पर इमारत को नए सिरे से व्यवस्थित-विस्तारित करने की दिशा में काम शुरू हो गया।

बाधा आई तो कुछ यूं हुआ यह कमाल...

जब इमारत के कायाकल्प की बात सामने आई तब निर्माण के पथ पर बाधा बनकर सामने खड़े थे आधा दर्जन पेड़। ऐसे में निर्माण एजेंसी छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन (सीजीएमएससी) और अस्पताल प्रबंधन के पास इन हरे-भरे पेड़ों को काटने का ही विकल्प बचा था। इंजीनियर्स ने सुझाया भी लेकिन अस्पताल के अधीक्षक डॉ. पुनीत गुप्ता ने इसे सिरे से खारिज करते हुए कहा कि जो भी करना पड़े करें लेकिन इन पेड़ों को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। अंतत: डॉ. गुप्ता की बात का सम्मान रखते हुए नई इमारत की डिजाइन ऐसी तैयार की गई कि आज तीन मंजिल इमारत अपनी जगह खड़ी है और पेड़ अपनी जगह।

45 से 47 फीट ऊंचे हैं पेड़

भवन की सभी मंजिलों पर सभी पेड़ों के चारों ओर चबूतरे बनाए गए। हर मंजिल की छत इसी तरह से ढाली गई कि पेड़ों को कोई नुकसान न हो। सबसे ऊपर की मंजिल पर विशालकाय शेड लगाए गए ताकि पेड़ों को प्रतिकूल मौसम से बचाया भी जा सके। आप इस भवन में घुसेंगे तो सहसा यकीन नहीं होगा कि आप बीच भवन में पेड़ों के साथ खड़े हैं। यहां की ऊपर वाली मंजिल सबसे सुकून देती है जहां पेड़ों का ऊपरी हरा-भरा भाग मानों लहराकर आपका स्वागत कर रहा है। यहां अशोक के अलावा नीलगिरी के भी पेड़ हैं जिनकी ऊंचाई 45 से 47 फीट है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.