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थोड़ी सी सावधानी से डायबिटीज से बच सकते हैं आप, नहीं तो लाइलाज हो जाएगी बीमारी

हर साल 14 नवंबर को वर्ल्‍ड डायबिटीज डे मनाया जाता है। विश्‍व मधुमेह दिवस को अंतरराष्‍ट्रीय मधुमेह संघ और विश्‍व स्वास्‍थ्‍य संगठन द्वारा वर्ष 1991 में शुरू किया गया था।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 04:24 PM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 08:52 AM (IST)
थोड़ी सी सावधानी से डायबिटीज से बच सकते हैं आप, नहीं तो लाइलाज हो जाएगी बीमारी
थोड़ी सी सावधानी से डायबिटीज से बच सकते हैं आप, नहीं तो लाइलाज हो जाएगी बीमारी

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। आधुनिक जीवनशैली और तनाव से मिली खतरनाक बीमारी मधुमेह यानी डायबिटीज सभी उम्र के लोगों को निशाना बना रही है। हर साल 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाता है। जागरुकता और एकजुटता के साथ इस बीमारी का मुकाबला करने के लिए विश्व मधुमेह दिवस 2018-19 की थीम परिवार और डायबिटीज है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की 2017 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में पिछले 16 सालों में डायबिटीज सबसे तेजी से बढ़ने वाली बीमारी है। 7.2 करोड़ लोग इससे पीड़ित हैं और 2025 तक ये आंकड़ा 13.4 करोड़ होने की संभावना है।

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डायबिटीज में लंबे समय तक उच्च रक्त शर्करा का स्तर होता है। उच्च रक्त शर्करा के लक्षणों में अक्सर पेशाब आना होता है, प्यास की बढ़ोतरी होती है, और भूख में वृद्धि होती है। डायबिटीज होने के दो कारण होता है, पहला शरीर में इन्सुलिन का बनना बंद हो जाये या फिर शरीर में इन्सुलिन का प्रभाव कम हो जाये। दोनों ही परिस्थितियों में शरीर में ग्लूसकोज की मात्रा बढ़ जाती है। डायबिटीज के मरीजों को अपने आहार का ध्‍यान रखना चाहिए। यह रोग उम्र के आखिरी पड़ाव तक बना रहता है, इसलिए इसके खतरों से बचे रहने के लिए जरूरी है सावधानी बरतने की।

युवाओं में बढ़ा खतरा
अन्य देशों में अधिकांश डायबिटीज से पीड़ित लोग 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के हैं वहीं भारत में 40 से 59 वर्ष के लोग इस बीमारी की चपेट में सबसे ज्यादा हैं। 25 साल से कम उम्र का हर चार में से एक युवा इस बीमारी की चपेट में है।

एकजुट होकर मुकाबला
इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन (आइडीएफ) के मुताबिक परिवार में चार सदस्यों में से एक या उससे भी कम इस बीमारी को लेकर सजग है। परिवार की तरफ से देखभाल, स्वस्थ जीवनशैली, सजगता और उचित समय पर इलाज से इस बीमारी को मात दी जा सकती है।

भारत में चिंताजनक स्थिति

  • 1980 में भारत में 1.19 करोड़ डायबिटीज के मरीज थे। 2016 में इनकी संख्या 6.91 और 2017 में 7.2 करोड़ हो गई।
  • 1980 के मुकाबले 2014 में डायबिटीज पीड़ित महिलाओं की संख्या में 80 फीसद बढोतरी हुई है। (4.6 फीसद से 8.3 फीसद)
  • पिछले 17 साल में ये देश में सबसे तेजी से बढ़ती बीमारी है।
  • 2030 तक देश में 15 करोड़ डायबिटीज मरीज होने का अंदेशा है।
  • देश में डायबिटीज से सालाना 51,700 महिलाओं की मौत होती है।
  • 2030 तक देश में होने वाली मौतों का सातवां प्रमुख कारण डायबिटीज होगा।

क्‍या है डायबिटीज

डायबिटीज जिसे सामान्यतः मधुमेह कहा जाता है। एक ऐसी बीमारी है जिसमें खून में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है। उच्च रक्त शर्करा के लक्षणों में अक्सर पेशाब आना होता है, प्यास की बढ़ोतरी होती है, और भूख में वृद्धि होती है। अमेरिका में यह मृत्यु का आठवां और अंधेपन का तीसरा सबसे बड़ा कारण बन गया है। आजकल पहले से कहीं ज्यादा संख्या में युवक और यहां तक की बच्चे भी मधुमेह से ग्रस्त हो रहे हैं। निश्चित रूप से इसका एक बड़ा कारण पिछले 4-5 दशकों में चीनी, मैदा और ओजहीन खाद्य उत्पादों में किए जाने वाले एक्सपेरिमेंट्स हैं।वीडियो में हम आपको बता रहे हैं डायबिटीज के आयुर्वेदिक उपचार के बारे में।

ये 3 पेय हैं लाभकारी

1. आंवले के स्वरस या आंवले के जूस को 40 मिली लेकर उसमें 1 ग्राम हल्दी पाउडर और 6 ग्राम शहद डालकर उसे सुबह-शाम इस्तेमाल करें। दूसरा उपाय है कि 20 ग्राम आंवला पाउडर लेकर उसमें 250 मिली पानी मिलाएं और उसको मध्यम आंच पर पकाएं और जब वो 1/4 मतलब लगभग 60 मिली रह जाए तो उसे उतार कर, छान कर, ठंडा करके उसमें 250 मिलीग्राम त्रिवंग भस्म, 500 मिलीग्राम छोटी इलायची का चूर्ण, 1 ग्राम हल्दी पाउडर, 6 ग्राम शहद को मिलाएं। इसे सुबह-शाम इस्तेमाल करें।

2. दूसरा उपाय लगभग 150 ग्राम अमरुद के पत्ते लें, उन्हें पीस कर पानी में भिगो लें और सुबह उन पत्तों को छान के उस पानी को घूंट ले लेकर पिएं। इससे भी डायबिटीज में आराम मिलता है।

3. अगर आपका शुगर लेवल बहुत हाई है और आपको उसे नॉर्मल करना है तो 50 ग्राम बांस के पत्ते लेकर उसे 600 मिली पानी में उबालें जब तक कि वो 75 से 80 मिली के लगभग न रह जाए। अब उसे ठंडा करके, छान कर पीएं। इससे शुगर का लेवल जल्दी ही सामान्य अवस्था में आ जाता है। आयुर्वेद में पंचकर्म विधा के द्वारा भी हम डायबिटीज का इलाज कर सकते हैं।

डायबिटीज के प्रकार

टाइप 1 डायबिटीज

टाइप 1 डायबिटीज बचपन में या किशोर अवस्‍था में अचानक इन्‍सुलिन के उत्‍पादन की कमी होने से होने वाली बीमारी है। इसमें इन्‍सुलिन हॉर्मोन बनना पूरी तरह बंद हो जाता है। ऐसा किसी एंटीबॉडीज की वजह से बीटा सेल्‍स के पूरी तरह काम करना बंद करने से होता है। ऐसे में शरीर में ग्‍लूकोज की बढ़ी हुई मात्रा को कंट्रोल करने के लिए इन्‍सुलिन के इंजेक्‍शन की जरूरत होती है। इसके मरीज काफी कम होते हैं।

टाइप 2 डायबिटीज

टाइप 2 डायबिटीज आमतौर पर 30 साल की उम्र के बाद धीरे-धीरे बढ़ने बाली बीमारी है। इससे प्रभावित ज्‍यादातर लोगों का वजन सामान्‍य से ज्‍यादा होता है या उन्‍हें पेट के मोटापे ककी समस्‍या होती है। यह कई बार आनुवांशिक होता है, तो कई मामलों खराब जीवनशैली से संबंधित होता है। इसमें इन्‍सुलिन कम मात्रा में बनता है या पेंक्रियाज सही से काम नहीं कर रहा होता है। डायबिटीज के 90 फीसदी मरीज इसी कैटेगिरी में आते हैं। एक्‍सरसाइज, बैलेंस्‍ड डाइट और दवाइयों से इसे कंट्रोल में रखा जा सकता है।

इसका भी रखें ध्‍यान

डायबिटीज रोगियों के लिए शाकाहारी होना फायदेमंद हो सकता है। एक अध्ययन में पाया गया है कि सब्जी, फल, साबुत अनाज और फलियां जैसे पौधों से मिलने वाले आहार से टाइप-2 डायबिटीज रोगी ग्लाइसेमिक और कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण को बेहतर कर सकते हैं। इससे वजन भी कम हो सकता है। शोधकर्ताओं के अनुसार, इस तरह का आहार ग्लाइसेमिक नियंत्रण और हृदय को सेहतमंद बनाए रखने में लाभकारी होता है। ऐसा आहार निम्न संतृप्त वसा और उच्च फाइबर होने के साथ ही फाइटोकेमिकल्स से भरपूर होता है।

डायबिटीज के रोगी क्या करें, क्या न करें

अब बात करेंगे कि डायबिटीज के रोगियों को क्या करना चाहिए और क्या नहीं। डायबिटीज के रोगियों को एक डेली रूटीन बनाना बहुत ही जरूरी है।

  •  सुबह जल्दी उठना चाहिए।
  •  व्यायाम के लिए समय निकलना चाहिए।
  •  सुस्त जीवनशैली के बजाए सक्रिय जीवन शैली अपनाना चाहिए।
  •  साइक्लिंग, जिमिंग,स्विमिंग जो भी पसंद है उसे 30-40 मिनट तक ज़रूर करने की आदत डालें।
  •  डायबिटीज एवं हार्ट की दवाएं कभी बंद नहीं होती हैं। इसलिए मरीज दवाएं कभी नहीं छोड़ें। इन दवाओं से किडनी और लिवर पर कोई असर नहीं पड़ता है।
  •  चालीस की उम्र के बाद शुगर की जांच, लिपिड प्रोफाइल की जांच, किडनी फंक्शन टेस्ट, लिवर फंक्शन टेस्ट, टीएमटी जांच, रेटिना की जांच जरूर कराएं।

क्या खाएं

1. डायबिटीज में थोड़ा और आसानी से पचने वाला भोजन करना चाहिए।

2. डायबिटीज में हम सारे मौसमी और रस वाले फल खा सकते हैं। ड्राय फ्रूट्स की बात करें तो अखरोट, बादाम, चिया सीड्स, मूंगफली और अंजीर भी ले सकते हैं।

3. अपनी डाइट में गुनगुना पानी, छाछ, जौ का दलिया और मल्टीग्रेन आटा (मिलाजुला अनाज) शामिल करें।

4. डायबिटीज के रोगी को दिन में सोना, मल-मूत्र आदि वेगों को नहीं रोकना चाहिए। मांसाहार, शराब और सिगरेट आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

5- डायबिटीज रोगी को अधिक से अधिक पानी पीना चाहिए। ऐसे में वे नींबू पानी लेंगे तो यह उनकी सेहत के लिए और भी अच्छा होगा।

6- डायबिटीज रोगी को बहुत भूख लगती है और बार-बार कुछ न कुछ खाने का मन करता है। आपके साथ भी यदि ऐसा होता है तो कुछ भी खाने के बजाय आप भूख से थोड़ा कम खाएं और हल्का भोजन लेते हुए सलाद को ज्यादा खाएं। यानी आपको बार-बार भूख लगती है तो आप सलाद में खीरे को अधिक मात्रा में खाएं।

7- डायबिटीज रोगी में आंखें कमजोर होने की आशंका लगातार बनी रहती है। यदि आप चाहते हैं कि डायबिटीज के दौरान आपकी आंखों पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े तो आपको गाजर-पालक का रस मिलाकर पीना चाहिए। इससे आंखों की कमजोरी दूर होती है।

8- डायबिटीज के रोगी को तोरई, लौकी, परवल, पालक, पपीता आदि का सेवन अधिक से अधिक मात्रा में करना चाहिए।

9- डायबिटीज के दौरान शलगम के सेवन से भी रक्त में स्थित शर्करा की मात्रा कम हो जाती है। शलगम को न सिर्फ आप सलाद के जरिए बल्कि इसको सब्जी, परांठे आदि चीजों के रूप में भी ले सकते हैं।

डायबिटीज का असर

डायबिटीज का असर किडनी पर कुछ साल बाद ही शुरू हो जाता है। इसे रोकने के लिए ब्‍लड शुगर और ब्‍लड प्रेशन दोनों को नॉमर्ल रखना चाहिए। ब्‍लड शुगर के स्‍तर को नियंत्रण में रखकर आंखों की मोतियाबिंद जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है। डायबिटीज के मरीजों में अकसर 65 साल की उम्र में पहुंचते-पहुंचते दिल के दौरे की समस्‍या शुरू हो जाती है। इससे बचने के लिए ग्‍लूकोज स्‍तर नियंत्रण में रखने के साथ-साथ ब्‍लड प्रेशर, कोलेस्‍ट्रॉल और तनाव पर नियंत्रण रखना भी जरूरी है। डायबिटीज से हार्ट अटैक, स्‍ट्रोक्‍स, लकवा, इन्‍फेक्‍शन और किडनी फेल होने का भी खतरा बना रहता है। आप इसके खतरों से बचने के लिए आहार में सावधानी रखने के साथ ही नियमित रूप से व्‍यायाम करें। 

इन चीजों को न खाएं

डिब्बा बंद आहार,बासी खाना, फ़ास्ट फूड, जंक फूड, ज्यादा तेल-मसाले वाले भोजन नहीं खाना चाहिए। इन आयुर्वेदिक उपचारों का पालन करके आप हेल्दी रह सकते हैं।


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