Sindur Khela Puja 2019: दुर्गा पूजा पंडालों में बंगाली रीति- रिवाज से मनाई जा रही सिंदूर खेला, जानें इसका महत्व
विजयादशमी के अवसर पर देशभर में सिंदूर खेला (sindur khela) रस्म का आयोजन किया गया।
नई दिल्ली, जेएनएन। विजयादशमी के अवसर पर देशभर में 'सिंदूर खेला' (sindur khela) रस्म का आयोजन किया गया। इस खास मौके पर दक्षिणी दिल्ली में स्थित चितरजंन पार्क (CR Park) में बंगाली समाज की महिलाओं ने जमकर सिंदूर खेला। इस मौके पर काफी संख्या में शादीशुदा महिलाओं ने हिस्सा लिया। वहीं वेस्ट बंगाल में इस कार्यक्रम का आयोजन बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस दौरान भी काफी संख्या में महिलाओं ने हिस्सा लिया। विजयादशमी (VijayaDashmi) के अवसर पर आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में विवाहित महिलाएं ही हिस्सा लेती हैं।
सिंदूर खेला रस्म का क्या है महत्व
सिंदूर खेला( sindur khela) बंगाली परंपरा का बेहद ही खास पर्व है। इस परंपरा की शुरूआत 450 साल पहले पश्चिम बंगाल और बाग्लादेश के कुछ हिस्सों से शुरू हुई थी। इस खास दिन विवाहित महिलाएं मां दुर्गा, सरस्वती, लक्ष्मी की पूजा के बाद उनका उनका श्रंगार करती हैं और सिंदूर भी लगाती है। इसके साथ ही महिलाएं एक-दूसरे को भी सिंदूर लगाती हैं। इस त्योहार की मान्यता है कि इससे भगवान प्रसन्न होकर सभी महिलाओं को वरदान देते हैं।
नवरात्रि में मां दुर्गा की विदाई
ऐसा कहा जाता है कि नवरात्रि ( Navratri 2019) में मां दुर्गा नौ दिनों के लिए अपने घर यानी मायके आती हैं। नवरात्रि के आखिरी दिन मां की विदाई के लिए ये परंपरा मनाई जाती है। इसके लिए भव्य विदाई के लिए सिंदूर खेला का आयोजन किया जाता है। इस दौरान देवी दुर्गा के चरणों और माथे पर सिंदूर लगाने के दौरान लंबे वैवाहिक जीवन की प्रार्थना की जाती है।
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