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हिमालय में खोजे गए एक पौधे की मदद से संभव हो सकता है कोविड-19 का इलाज

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी और इंटरनेशनल सेंटर फार जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलाजी (आइसीजीइबी) ने एक हैरान कर देने वाली बात कही है। शोधकर्ताओं ने हिमालय के एक पौधे की पंखुड़ियों में फाइटोकेमिकल्स की पहचान की है जिनका इस्तेमाल कोविड-19 के इलाज में किया जा सकता है।

By Ashisha RajputEdited By: Published: Mon, 17 Jan 2022 02:30 PM (IST)Updated: Mon, 17 Jan 2022 02:39 PM (IST)
हिमालय में खोजे गए एक पौधे की मदद से संभव हो सकता है कोविड-19 का इलाज
हिमालय के खोजे गए एक पौधे में फाइटोकेमिकल्स की मदद से कोविड 19 का इलाज हो सकता है संभव

नई दिल्ली, पीटीआइ। पूरी दुनिया कोविड 19 के प्रकोप का सामना कर रही है। दुनिया के पास कोरोना वायरस से लड़ने के लिए टीकाकरण एकमात्र हथियार है। ऐसे में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी), मंडी और इंटरनेशनल सेंटर फार जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलाजी (आइसीजीइबी) ने एक हैरान कर देने वाली बात कही है। शोधकर्ताओं ने हिमालय के एक पौधे की पंखुड़ियों में फाइटोकेमिकल्स की पहचान की है, जिनका इस्तेमाल कोविड-19 संक्रमण के इलाज में संभावित रूप से किया जा सकता है।

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बुरांश लड़ेगा वायरस के खिलाफ लड़ाई

शोध में पाया गया कि हिमालयी क्षेत्र में पाए जाने वाले रोडोडेंड्रोन अर्बोरियम की फाइटोकेमिकल युक्त पंखुड़ियां, जिन्हें स्थानीय रूप से 'बुरांश' कहा जाता है, इनमें एंटीवायरल गतिविधि और वायरस के खिलाफ लड़ाई लड़ने की क्षमता शामिल है।

आपको बता दें कि शोध दल के यह निष्कर्ष हाल ही में 'बायोमोलेक्यूलर स्ट्रक्चर एंड डायनेमिक्स' पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं। टीम के अनुसार, COVID-19 महामारी में दो साल, शोधकर्ता वायरस की प्रकृति को समझने और संक्रमण को रोकने के नए तरीकों की खोज करने की कोशिश कर रहे हैं।

श्याम कुमार मसाकपल्ली ने बताया

आइआइटी मंडी के स्कूल आफ बेसिक साइंस की एसोसिएट प्रोफेसर श्याम कुमार मसाकपल्ली ने कहा‌ कि दुनिया भर में टीकाकरण शरीर को वायरस के खिलाफ लड़ने की शक्ति प्रदान करने का एकलौता मार्ग है, लेकिन बावजूद इसके गैर-वैक्सीन दवाओं की दुनिया भर में खोज की जा रही है जो मानव शरीर के वायरल आक्रमण को रोक सकती हैं। उन्होंने कहा, 'ये दवाएं रसायनों का उपयोग करती हैं जो या तो हमारे शरीर की कोशिकाओं में रिसेप्टर्स को बांधती हैं और वायरस को उनमें प्रवेश करने से रोकती हैं या वायरस पर ही कार्य करती हैं और हमारे शरीर के अंदर इसकी प्रतिकृति को रोकती हैं'

कुमार ने आगे कहा, 'विभिन्न प्रकार के चिकित्सीय एजेंटों का अध्ययन किया जा रहा है, फाइटोकेमिकल्स - पौधों से प्राप्त रसायनों - को उनकी सहक्रियात्मक गतिविधि और कम विषाक्तता मुद्दों के साथ प्राकृतिक स्रोत के कारण विशेष रूप से आशाजनक माना जाता है। हम बहु-विषयक दृष्टिकोणों का उपयोग करके हिमालयी वनस्पतियों से होनहार अणुओं की तलाश कर रहे हैं'

बुरांश पौधे की पंखुड़ियों में है खासियत

हिमालयी बुरांश पौधे की पंखुड़ियों में तमाम खासियत मौजूद है। स्थानीय आबादी द्वारा इसके विभिन्न स्वास्थ्य लाभों के लिए विभिन्न रूपों में इसका सेवन किया जाता है। मासाकपल्ली ने बताया, 'टीम ने एंटीवायरल गतिविधि पर विशेष ध्यान देने के साथ इसमें विभिन्न फाइटोकेमिकल्स वाले अर्क का वैज्ञानिक रूप से परीक्षण किया। शोधकर्ताओं ने बुरांश की पंखुड़ियों से फाइटोकेमिकल्स निकाले और इसके एंटीवायरल गुणों को समझने के लिए जैव रासायनिक परख और कम्प्यूटेशनल सिमुलेशन अध्ययन किया है।'

रंजन नंदा ने कहा

ट्रांसलेशनल हेल्थ ग्रुप, इंटरनेशनल सेंटर फार जेनेटिक इंजीनियरिंग और बायोटेक्नोलाजी के रंजन नंदा ने कहा, 'हमने इसकी रूपरेखा तैयार की है और इसकी जांच की है। रोडोडेंड्रोन अर्बोरियम पंखुड़ियों के फाइटोकेमिकल्स हिमालयी वनस्पतियों से प्राप्त हुए हैं और इसे कोविड-19 वायरस के खिलाफ एक आशाजनक उम्मीदवार के रूप में पाया गया है।' उन्होंने बताया कि इन पंखुड़ियों के गर्म पानी के अर्क में क्विनिक एसिड और इसके डेरिवेटिव प्रचुर मात्रा में पाए गए हैं।

उन्होंने आगे कहा, 'शोधकर्ताओं ने प्रयोगात्मक परीक्षणों के माध्यम से यह भी दिखाया कि पंखुड़ी के अर्क की गैर-विषाक्त खुराक वेरो ई 6 कोशिकाओं (एक अफ्रीकी हरे बंदर के गुर्दे से प्राप्त कोशिकाएं जो आमतौर पर वायरस और बैक्टीरिया की संक्रामकता का अध्ययन करने के लिए उपयोग की जाती हैं) में कोविड संक्रमण को रोक सकती हैं और कोशिकाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी।' 


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