मरने से पहले पाकिस्तान क्यों जाना चाहते थे ऋषि कपूर? आखिरी इच्छा जो कभी पूरी न होगी
बॉलीवुड अभिनेता ऋषि कपूर मरने से पहले एक बार पाकिस्तान जाने के लिए बेताब थे लेकिन उनके निधन से उनकी ये ख्वाहिश अब कभी पूरी नहीं होगी।
नई दिल्ली, जेएनएन। बॉलीवुड अभिनेता ऋषि कपूर मरने से पहले एक बार पाकिस्तान जाने के लिए बेताब थे, लेकिन उनके निधन से उनकी ये ख्वाहिश अब कभी पूरी नहीं होगी। दरअसल, पेशावर में कपूर हवेली है जहां ऋषि के पिता राज कपूर का भी जन्म हुआ था। इस हवेली को पृथ्वीराज कपूर के पिता दीवान बिशेश्वरनाथ कपूर ने 1918-1922 में बनवाया था। देश के विभाजन के बाद 1968 में इस हवेली को एक ज्वैलर हाजी खुशाल रसूल ने नीलामी में खरीदा था। ऋषि कपूर का इस हवेली से इतना गहरा नाता था जब 1990 में वो इसको देखने पेशावर गए थे तब वहां से वो इसकी मिट्टी अपने साथ लेकर आए थे।
2016 में ऋषि ने अपनी एक पुरानी तस्वीर शेयर की थी जिसमें वह पेशावर हवेली में खड़े दिख रहे थे। उन्होंने लिखा था, 'किसी ने ये भेजी थी। तस्वीर में रणबीर और मैं पेशावर में कपूर हवेली के बाहर दिख रहे हैं। जैसा तस्वीर में दिख रहा है कि हमारा गर्मजोशी से स्वागत किया गया था।' इसके बाद साल 2017 में उन्होंने एक ट्वीट में ख्वाहिश जाहिर की थी, 'मैं 65 साल का हूं और मरने से पहले पाकिस्तान देखना चाहता हूं। मैं चाहता हूं कि मेरे बच्चे अपनी जड़ें देखें। बस करवा दीजिए। जय माता दी।'
ऋषि कपूर की ही कोशिशों की बदौलत पाकिस्तान की सरकार ने कपूर खानदान की पुश्तैनी हवेली जो खैबर पख्तूनख्वा के पेशावर में है उसको एक संग्रहालय बनाने का फैसला लिया था। इस हवेली से आज भी न सिर्फ कपूर खानदान, बल्कि पाकिस्तान की भी कई यादें जुड़ी हैं।
यहां पर उनके पिता राज कपूर का बचपन बीता था। यहीं पर उनके दादा पृथ्वीराज कपूर ने बचपन से लेकर अपनी जवानी तक के दिन बिताए थे। 1930 में पृथ्वीराज कपूर इस हवेली को छोड़कर अपने भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए मौजूदा भारत आ गए थे। आपको बता दें कि ऋषि कपूर के परदादा और उनके भी पिता दीवान हुआ करते थे। पेशावर का ये पंजाबी हिंदू परिवार पाकिस्तान की शान हुआ करता था।
पेशावर की इसी हवेली के जर्जर होने की खबर जब जब मीडिया के जरिए ऋषि कपूर को मिली तब तब उनकी बेचैनी भी खुलकर सामने आई थी। वर्ष 2016 में जब पाकिस्तान के तत्कालीन गृहमंत्री शहरयार खान अफरीदी भारत में जयपुर अपने निजी दौरे पर आए तो ऋषि कपूर ने उन्हें फोनकर अपनी पुश्तैनी हवेली को एक संग्रहालय बनाने की अपील की थाी। इस पर नवंबर 2018 में सकारात्मक फैसला लेते हुए पाकिस्तान की सरकार ने इसको संग्रहालय बनाने पर अपनी सहमति दी। आपको बता दें कि पेशावर के किस्सा ख्वानी बाजार की इस हवेली को पहले भी पाकिस्तान की सरकार ने राष्ट्रीय विरासत के तौर पर घोषित किया हुआ था। इमरान खान की सरकार बनने के बाद देश के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भारतीय पत्रकारों को इस बात की जानकारी दी कि इस हवेली को जल्द ही संग्रहालय में तब्दील कर दिया जाएगा।
इस हवेली को पृथ्वीराज कपूर के पिता दीवान बिशेश्वरनाथ कपूर ने 1918-1922 में बनवाया था। देश के विभाजन के बाद 1968 में इस हवेली को एक ज्वैलर हाजी खुशाल रसूल ने नीलामी में खरीदा था। ऋषि कपूर का इस हवेली से कितना गहरा नाता था इसका अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि जब 1990 में वो इसको देखने पेशावर गए थे तब वहां से वो इसकी मिट्टी अपने साथ लेकर आए थे। ऋषि कपूर बेहद जमीन से जुड़े हुए इंसान थे। उन्हें कभी न तो सफल एक्टर होने का गुमान हुआ न ही एक ऐसा परिवार का सदस्य होने का गुमान रहा जिसकी आन-बान और शान कभी फीकी नहीं पड़ी। आज जब वो हमारे बीच नहीं हैं तो मालूम होता है कि इतिहास का एक चैप्टर पूरी तरह से क्लोज हो चुका है।