Move to Jagran APP

जानिए, देश के किन इलाकों में गिरती है सबसे ज्यादा आकाशीय बिजली

देश में आकाशीय बिजली गिरने की हर साल एक करोड़ से भी ज्यादा घटनाएं होती हैं। फलस्वरूप जान-माल का नुकसान होता है। बिजली गिरने से मरने वालों में 96 प्रतिशत ग्रामीण इलाकों के लोग होते हैं। इसलिए ग्रामीण इलाकों में बिजली गिरने से बचाव के उपकरण लगाने जरूरी हैं।

By Brij Bihari ChoubeyEdited By: Published: Tue, 21 Jun 2022 02:56 PM (IST)Updated: Tue, 21 Jun 2022 03:15 PM (IST)
जानिए, देश के किन इलाकों में गिरती है सबसे ज्यादा आकाशीय बिजली
देश के ग्रामीण इलाकों में बिजली गिरने की घटनाएं महसूस की जाती हैं

नई दिल्ली, ब्रजबिहारी। वायुमंडल में होने वाली घटनाओं में संभवतः बिजली गिरने (lightning) की घटना सबसे ज्यादा खतरनाक और रहस्यमयी होती है। देश में हर साल बिजली गिरने की एक करोड़ से ज्यादा घटनाएं होती हैं जिनमें दो से ढाई हजार लोगों की मौत हो जाती है। इस साल की बात की जाए तो बिहार में बीते रविवार को आकाशीय बिजली गिरने के कारण 17 लोगों की असमय मौत हो गई। इनमें से छह लोगों की मृत्यु भागलपुर में हुई है जबकि वैशाली में तीन और बांका और खगड़िया में दो-दो लोगों के मारे जाने की सूचना है। राज्य के मधेपुरा, सहरसा, मुंगेर और कटिहार में भी आकाशीय बिजली गिरने से चार लोगों की मौत हो गई।

loksabha election banner

क्यों गिरती है आकाशीय बिजली

ऐसे में यह प्रश्न स्वाभाविक है कि आकाशीय बिजली कैसे बनती है और क्यों धरती पर गिरती है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो वायुमंडल में तेज गति से भारी मात्रा में बिजली के डिस्चार्ज को ही बिजली गिरना (lightning) कहा जाता है। बिजली के इस डिस्चार्ज में से कुछ मात्रा धरती पर भी गिरती है। यह आकाशीय बिजली नमी से भरे हुए 10-12 किमी ऊंचे बादलों में पैदा होती है। इन बादलों का आधार धरती से एक-दो किमी ऊपर होता है, जबकि उनका शीर्ष 12-13 किमी ऊपर होता है। बादलों के शीर्ष भाग में तापमान शून्य से 35-45 डिग्री सेल्सियश नीचे होता है। जैसे-जैसे बादलों में जमा वाष्प ऊपर की ओर उठता है, जमने लगता है। बादलों में और ऊपर जाने पर पानी के ये जमी हुई बूंदे क्रिस्टल में तब्दील होने लगती हैं। इसी तरह ऊपर जाते-जाते पानी के ये क्रिस्टल आकार में इतने बड़े हो जाते हैं कि गिरने लगते हैं। इससे इनमें आपस में टकराव भी होता है जिसके फलस्वरूप इलेक्ट्रान पैदा होते हैं। यह क्रम लगातार चलते रहता है और इलेक्ट्रान की संख्या भी बढ़ते रहती है। इस प्रक्रिया में बादलों के शीर्ष भाग में पाजिटिव और मध्य भाग में निगेटिव चार्ज पैदा होता है।

बहुत छोटा हिस्सा गिरता है धरती पर

बादल के दोनों हिस्सों के बीच एक अरब से लेकर 10 अरब वोल्ट तक का अंतर होता है। अत्यंत कम समय में एक लाख से दस लाख एंपियर का करंट पैदा होता है। इस करंट का 15-20 प्रतिशत हिस्सा धरती पर गिरता है। इसकी वजह से धरती पर जान-माल का भारी नुकसान होता है। धरती पर सीधी बिजली गिरने की घटनाएं बहुत कम होती है लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से गिरने वाली आकाशीय बिजली से भी भारी नुकसान होता है क्योंकि उसके अंदर काफी मात्रा में करंट होता है।

मध्य प्रदेश में गिरती है सबसे ज्यादा बिजली

क्लाइमेट रेजिलिएंट आब्जर्विंग सिस्टम्स प्रमोशन काउंसिल (सीआरओपीसी) ने भारतीय मौसम विभाग के साथ मिलकर एक मानचित्र जारी किया है जिसमें आकाशीय बिजली से प्रभावित इलाकों की जानकारी दी गई है। इसके अनुसार मध्य प्रदेश में बिजली गिरने की सर्वाधिक घटनाएं होती हैं। इसके बाद छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा और बंगाल का नंबर आता है। इन राज्यों के अलावा बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक में भी आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं होती हैं।

एक करोड़ से ज्यादा घटनाएं

देश के शहरी इलाकों में बिजली गिरने की घटनाएं महसूस नहीं की जाती हैं लेकिन ग्रामीण इलाकों यह बहुत आम है। वर्ष 2019-20 में देश में बिजली गिरने की एक करोड़ 40 लाख घटनाएं दर्ज की गईं थी। वर्ष 2020-21 में ऐसी घटनाओं की संख्या बढ़कर एक करोड़ 85 लाख हो गई। वर्ष 2021-22 में यह घटकर एक करोड़ 49 लाख पर पहुंच गईं। कोविड-19 के कारण प्रदूषण घटने और वायुमंडल के स्वच्छ होने के कारण आकाशीय बिजली गिरने की घटनाओं में कमी दर्ज की गई।

बिजली गिरने को नहीं मानते प्राकृतिक आपदा

भारत में बिजली गिरने को प्राकृतिक आपदा नहीं माना जाता है। बहरहाल, हाल के दिनों में बिजली गिरने की पूर्व सूचना देने के तंत्र को काफी मजबूत किया गया है। इसकी वजह से जान-माल की क्षति को कम करने में मदद मिली है। बता दें कि बिजली गिरने से मौत की 96 प्रतिशत घटनाएं ग्रामीण इलाकों में होती हैं। ऐसे में आकाशीय बिजली से सुरक्षा देने वाले उपकरणों को ग्रामीण इलाकों में लगाने पर जोर दिए जाने की जरूरत है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.