जानें मोबाइल का कौन-सा डिस्प्ले है बेहतर, एमोलेड बनाम एलसीडी
आजकल स्मार्टफोन में दो तरह के डिस्प्ले का ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है- एमोलेड और एलसीडी, लेकिन क्या आप इन दोनों स्क्रीन्स के अंतर को जानते हैं?
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। स्मार्टफोन में बेहतर परफॉर्मेंस के लिए प्रोसेसर साथ-साथ डिस्प्ले भी एक मुख्य कारक माना जाता है। आजकल स्मार्टफोन में दो तरह के डिस्प्ले का ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है- एमोलेड और एलसीडी, लेकिन क्या आप इन दोनों स्क्रीन्स के अंतर को जानते हैं? आइए जानते हैं किस डिस्प्ले की क्या है खासियत...
एमोलेड डिस्प्ले
यह टेलीविजन में इस्तेमाल होनी वाली ओलइडी डिस्प्ले टेक्नोलॉजी का ही एक वैरिएंट है। सबसे पहले एलइडी का मतलब जानते हैं। इसका मतलब लाइट इमिटिंग डायोड है। इसके बाद ओ का मतलब होता है ऑर्गेनिक और एम का मतलब होता है एक्टिव मैट्रिक्स जो किसी भी पिक्सल को बेहतर क्वालिटी देने में सक्षम होता है।
एमोलेड में ओएलइडी डिस्प्ले की सभी खासियतें, जैसे- कलर रिप्रोडक्शन, बेहतर बैटरी लाइफ, हाई ब्राइटनेस और शार्पनेस होती हैं। इसके अलावा, एमोलेड डिस्प्ले में टीएफटी यानी थिन फिल्म ट्रांजिस्टर भी शामिल होता है, जो पिक्सल को सही दिशा में भेजने के पूरे प्रोसेस को आसान और स्मूद बना देता है। वहीं, एक्टिव मैट्रिक्स की मदद से टीएफटी को अलग-अलग पिक्सल को ऑपरेट करने का कंट्रोल मिल जाता है।
एलसीडी डिस्प्ले
एलसीडी की बात करें तो यह स्मार्टफोंस में सबसे ज्यादा देखने को मिलता है। इसका मतलब है लिक्वड क्रिस्टल डिस्प्ले। एलसीडी डिस्प्ले में एक डेडिकेटड व्हाइट बैकलाइट होती है। यह ब्लू टिंट के साथ आता है, क्योंकि व्हाइट लाइट सभी कलर्स का मिश्रण होता है। इसके अलावा, एलसीडी डिस्प्ले में एक्टिव और पैसिव मैट्रिक्स दोनों होता है। किस फोन में कौन-सा मैट्रिक्स दिया जाएगा, यह उसकी जरूरत और कीमत पर निर्भर करता है।
कौन है बेहतर
एमोलेड डिस्प्ले को देखा जाए, तो यह भविष्य के स्मार्टफोंस के लिए बेहतर है, लेकिन दोनों ही स्क्रीन्स के कुछ फायदे हैं और कुछ नुकसान भी...
कीमत: दोनों ही तकनीकों में पहला मुख्य अंतर कीमत है। अगर आप एमोलेड डिस्प्ले वाला बजट स्मार्टफोन ढूंढ रहे हैं, तो यह बेहद मुश्किल साबित हो सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि एलसीडी डिस्प्ले काफी सस्ती कीमत में बनाए जा सकते हैं, जबकि एमोलेड या ओएलइडी डिस्प्ले को बनाने में ज्यादा कीमत देनी पड़ती है।
कलर्स: किसी भी डिस्प्ले की क्वालिटी उसकी शार्पनेस और कलर्स से मापी जाती है। केवल तकनीक के आधार पर किसी डिस्प्ले को मापा नहीं जा सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि अगर दो मैन्युफैक्चरर एक ही तकनीक से किसी डिस्प्ले को बनाते हैं, तो उनमें अंतर करना मुश्किल होता है। अगर केवल कलर्स को देखें तो एमोलेड के हाई-कॉन्ट्रासिंग कलर्स यूजर को बेहतर क्वालिटी देते हैं।
ऐसा इसलिए, क्योंकि एमोलेड डिस्प्ले का हर एक पिक्सल अपनी लाइट प्रोड्यूस करता है, जबकि एलसीडी के पिक्सल की लाइट का सोर्स बैकलाइट होता है। एमोलेड में ज्यादा कलर्स होते हैं, जबकि एलसीडी में व्हाइट कलर ही होता है। इसलिए ही एमोलेड डिस्प्ले के कलर्स ज्यादा बेहतर होते हैं, क्योंकि इसके व्हाइट्स में येलो और रेड टिंट दिया गया होता है।
ब्राइटनेस: एमोलेड का लो लाइट ब्राइटनेस लेवल अच्छा नहीं है, जबकि एलसीडी इस सेगमेंट में बेहतर परफॉर्म करता है। ऐसे में अगर आप धूप में स्मार्टफोन इस्तेमाल करते हैं, तो एलसीडी डिस्प्ले ज्यादा बेहतर रिजल्ट उपलब्ध कराता है।
बैटरी खपत: बैटरी खपत मामले में फोन का डिस्प्ले भी एक अहम कारक माना जाता है। अगर एमोलेड फोन में स्क्रीन बंद है, तो आपकी बैटरी की खपत कम होगी, क्योंकि फोन में ब्लैक बैकग्राउंड रहता है। लेकिन एलसीडी डिस्प्ले को एक डेडिकेटेड बैकलाइट चाहिए होती है, तो ऐसे में इसमें बैटरी की खपत ज्यादा होती है। अगर एलसीडी स्क्रीन के साथ कोई कंपनी ऑलवेज ऑन डिस्प्ले देती है, तो इससे बैटरी जल्दी खत्म होगी। इसी के चलते कंपनियां हमेशा ही एमोलेड स्क्रीन के साथ ऑलवेज ऑन डिस्प्ले देती हैं।