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सोशल मीडिया पर चर्चा- कांग्रेस सत्ता में आयी तो बदल देगी इस 'राफेल' का नाम, बदनामी कर रही परेशान

जब विपक्ष ने राफेल सौदे को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे और मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा था तब छतीसगढ़ के एक गांव के लोग सहम गए थे। ऐसा क्‍यों था पढ़ें यह दिलचस्‍प रिपोर्ट...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 15 Apr 2019 06:31 PM (IST)Updated: Tue, 16 Apr 2019 09:26 AM (IST)
सोशल मीडिया पर चर्चा- कांग्रेस सत्ता में आयी तो बदल देगी इस 'राफेल' का नाम, बदनामी कर रही परेशान
सोशल मीडिया पर चर्चा- कांग्रेस सत्ता में आयी तो बदल देगी इस 'राफेल' का नाम, बदनामी कर रही परेशान

महासमुंद, जेएनएन। जब विपक्ष ने राफेल सौदे को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे और मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा था तब छतीसगढ़ के महासमुंद जिले के एक गांव के लोग सहम गए थे। दरअसल, महासमुंद जिले के सराईपाली ब्लॉक के एक गांव का नाम 'राफेल' है। इस ब्‍लॉक के लिए 'राफेल' के मायने चार गांवों- परेवापाली, बागद्वारी, देवरीगढ़ और राफेल से मिलकर बनी एक ग्राम पंचायत भर है। यही वजह थी कि फ्रांस से हुए रक्षा सौदे के सुर्खियों में आने के बाद 'राफेल' को लेकर इलाके के लोगों में एक स्‍वाभाविक कौतूहल थी। 

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सरपंच धनीराम पटेल के मुताबिक, इन चार गांवों की आबादी लगभग 1700 है। इस पंचायत में लगभग एक हजार वोटर हैं। सराईपाली से सम्बलपुर ओडिशा राष्ट्रीय राजमार्ग-53 पर छुईपाली गांव है जहां से 'राफेल' गांव की दूरी तीन किलोमीटर है। नेशनल हाइवे पर 'राफेल' गांव का रास्ता बताते हुए एक बोर्ड लगा हुआ है। यहां कुम्हारों की संख्या अधिक है। इसके अलावा यहां आदिवासी भी हैं। गांव में 75 फीसद आबादी शिक्षित है, बावजूद शुरुआती दौर में 'राफेल' मसला सुर्खियों में आने की वजह गांव वालों के लिए समझना इतनी आसान न थी।

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सरपंच धनीराम का कहना है कि जब बार-बार गांव का नाम सुर्खियों में आने लगा तो युवाओं ने वजह जानने की कोशिश की। सोशल मिडिया, यू-ट्यूब पर सर्च करने के साथ जब उन्‍होंने विपक्ष के भाषणों को सुना, तब पता चला कि उनके गांव के नाम वाले लड़ाकू विमान के सौदे पर इतना सियासी हंगामा बरपा है। धनीराम कहते हैं कि गांव के अशिक्षित लोग अब भी 'राफेल' का जिक्र होने पर गांव को लेकर ही बवाल भड़कना समझ लेते हैं। विपक्षी दल जब यह कहते हैं कि उनकी सरकार आएगी तो 'राफेल' मामले की जांच कराएंगे तो लोग पूछते हैं गांव में किस बात की जांच होगी।

बहरहाल, शिक्षित लोगों को अब 'राफेल' के जिक्र से असुविधा नहीं होती। सरपंच धनीराम ने बताया कि उड़िया भाषा में 'राफेल' का अर्थ पलायन से है। गांव के लोग रोजीरोटी के लिए पलायन करते थे तभी से पहले गांव का नाम 'राफेल' हो गया। अब चुनाव के दौरान सोशल मीडिया पर इस गांव को लेकर एक अलग तरह का मजाक चल रहा है। सोशल मीडिया में कहा जा रहा है कि यदि कांग्रेस सत्‍ता में आई तो छत्तीसगढ़ के इस गांव का नाम बदल कर कुछ और रख दिया जाएगा। यह भी चुटकी ली जा रही है कि यदि कांग्रेस केंद्र में आई तो गांव के लोगों के खिलाफ जांच होगी।

पिछले लोकसभा चुनाव में महासमुंद लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के चंदुलाल साहू ने जीत दर्ज की थी। इस बार चंदूलाल की जगह भाजपा के चुन्‍नीलाल साहू चुनाव मैदान में हैं। उनका मुख्य मुकाबला कांग्रेस के धनेंद्र साहू और बसपा के धनसिंग कोसरिया से है। हालांकि गांव के लोगों का कहना है कि गांव का नाम तो बड़ा हो गया, लेकिन यहां की हालत बेहद खराब है। गांव में मूलभूत सुविधाओं की कमी है। हम चाहते हैं कि गांव की पहचान 'राफेल' से नहीं यहां होने वाले विकास से हो।  

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