जब कोविशील्ड ने आवेदन ही नही किया तो कैसे मिलेगा ग्रीन पास, अदार पूनावाला ने कहा- हो रही है बात
ईयू की तरफ से ग्रीन पास नियम यानी कोरोना प्रभावित देशों से आने वाले लोगों को किस तरह से वीजा दिया जाए उससे जुड़े निर्देश जारी किए हैं। इसमें कुछ वैक्सीन का नाम है जिसे लेने वालों को ग्रीन पास यानी वीजा जारी करने का आधार बनाया जाएगा।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। भारत निर्मित वैक्सीन कोविशील्ड लेने वाले यूरोपीय यूनियन का वीजा ले सकेंगे या नहीं इसको लेकर नया विवाद पैदा हो गया है। इस विवाद के पीछे असली वजह यह है कि यूरोपीय संघ (ईयू) ने कोविशील्ड वैक्सीन को 'ग्रीन पास' में शामिल नहीं किया है। ऐसा इसलिए नहीं हो पाया कि वैक्सीन बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ने संबंधित नियामक एजेंसी यूरोपियंस मेडिसिंस एजेंसी (EMA) से आवश्यक मंजूरी के लिए आवेदन ही नहीं किया। यह मामला सामने आने के तुरंत बाद सीरम इंस्टीट्यूट (SII) के अध्यक्ष अदार पूनावाला ने देशवासियों को आश्वस्त किया कि वे इस मुद्दे पर यूरोपीय संघ की नियामक एजेंसियों के साथ संपर्क में हैं और जल्द ही इस समस्या का समाधान निकाल लिया जाएगा। उधर विदेश मंत्रालय भी पूरे हालात पर नजर रखे हुए है लेकिन वह हालात के और स्पष्ट होने का इंतजार कर रहा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ग्रुप-20 के देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए पेरिस में हैं जहां उनकी इस बारे में ईयू के प्रतिनिधियों से कुछ बात हो सकती है। हालांकि भारत कोविशील्ड ही नहीं कोवैक्सीन के बारे में भी बात करेगा।
ईयू की तरफ से ग्रीन पास नियम यानी कोरोना प्रभावित देशों से आने वाले लोगों को किस तरह से वीजा दिया जाए उससे जुड़े निर्देश जारी किए हैं। इसमें कुछ वैक्सीन का नाम है जिसे लेने वालों को ग्रीन पास यानी वीजा जारी करने का आधार बनाया जाएगा। इसमें एसआइआइ निर्मित कोविशील्ड का नाम नहीं है। इस बारे में ईएमए ने जानकारी देते हुए संकेत दिया कि जिन कंपनियों की तरफ से उसके पास आवेदन आए हैं, वे सिर्फ उन्हीं के बारे में अपने सुझाव दे सकती है। ईएमए ने कहा है कि वह सिर्फ दवाइयों और वैक्सीन की गुणवत्ता के बारे में सुझाव दे सकती है। उनका आकलन कर सकती है। ईयू में किसे आना है या किस आधार पर आना है, किस तरह के कोविड वैक्सीन को आने के लिए आधार बनाना है, इससे मेडिसिंस एजेंसी का कुछ लेना देना नहीं है। पासपोर्ट जारी करने या इसके लिए किसी चीज को आधार बनाने का फैसला यूरोपीय आयोग और संबंधित सदस्य देशों को करना है। ईएमए के मुताबिक कोविशील्ड को यूरोपीय यूनियन में मार्केटिंग का अधिकार नहीं है। वैसे यह एस्ट्राजेनका वैक्सीन की तरफ से अधिकृत है। लेकन वैक्सीन की प्रकृति अलग होती है और मैन्यूफैक्चरिंग प्रक्रिया में थोड़े बदलाव से भी काफी अंतर आ सकता है।
ईएमए ने इस बात बात का संकेत दिया है कि कोविशील्ड के निर्माता की तरफ से उसके पास आवश्यक आवेदन नहीं किया गया है। अगर कोविशील्ड की तरफ से कोई आवेदन आता है तो वह इसकी जानकारी मीडिया को देगी।
अदार पूनावाला ने कोविशील्ड का टीका लेने वाले लोगों को किया आश्वस्त
संभवत: यही वजह है इस मामले के मीडिया में आने के बाद पूनावाला ने सोमवार को कहा कि मुझे इस बात का अहसास हो रहा है कि बहुत सारे भारतीय जिन्होंने कोविशील्ड वैक्सीन ली है उन्हें यूरोपीय यूनियन की यात्रा करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मैं सभी को यह आश्वस्त करना चाहता हूं कि इस मुद्दे को उच्च स्तर पर उठाया जा रहा है। मुद्दे का समाधान जल्द ही निकलने के आसार हैं। उन्होंने कहा है कि इस बारे में यूरोपियन यूनियन की नियामक एजेंसियों के साथ और कूटनीतिक स्तर पर बात हो रही है।
जानकारों का कहना है कि अभी कई चीजों के स्पष्ट होने की जरूरत है। मसलन, ग्रीन पास में किस कंपनी की वैक्सीन लगाई जाए इस पर फैसला ईय़ू के भीतर यात्रा करने का आधार बनेगा या सिर्फ एक बार इंट्री के लिए। क्योंकि अभी भी कई देशों ने कहा है कि वे सिर्फ आरटीपीसीआर निगेटिव होने का मानदंड अपनाएंगे।
ईयू ने यह भी कहा है कि सदस्य देशों को अपने देश में प्रवेश के लिए अलग से भी नियम बनाने की आजादी है। विदेश मंत्रालय सभी मुद्दों पर ध्यान रखे हुए है।