शरीर में जिंक की कमी पूरी करेगा गेहूं
बड़ी आबादी में जिंक की कमी इससे बच्चों का मानसिक विकास रुक जाता है।
आशा मेहता, लुधियाना। भारतीय कृषि वैज्ञानिकों ने गेहूं की एक ऐसी किस्म तैयार की है, जो मानव शरीर में जिंक की कमी को पूरा करेगी। इस नई किस्म का नाम है पीबीडब्ल्यू वन जिंक। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के प्लांट ब्रीडिंग एंड जेनेटिक डिपार्टमेंट ने 13 साल के शोध के बाद इस किस्म को विकसित करने में सफलता पाई है।
क्यों पड़ी जरूरत :
देश की एक बड़ी आबादी जिंक की कमी से जूझ रही है। उच्च व मध्यम वर्गीय परिवार उम्दा भोजन एवं अन्य खाद्य स्नोतों के माध्यम से जिंक सहित तमामपोषक तत्व ग्रहण करने में समर्थ हैं, लेकिन निम्न वर्गीय परिवारों के लिए भोजन का मतलब पेट भरने तक सीमित है। लिहाजा, जिंक, प्रोटीन, विटामिन सहित अन्य पोषक तत्वों की कमी से उन्हें जूझना पड़ता है। वे कई बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। खासकर, गर्भवती महिलाएं व बच्चे। गर्भावस्था में जहां जिंक की कमी से गर्भ में पल रहे शिशु के शारीरिक व मानसिक विकास पर असर पड़ता है, वहीं बच्चों में इसकी कमी होने पर शारीरिक विकास धीमा व प्रतिरोधक तंत्र कमजोर हो जाता है। इसी को ध्यान में रखकर पीएयू ने गेहूं की यह नई किस्म तैयार की है।
जिंक का समाधान:
पीएयू के डॉ. वीरेंद्र सिंह सोहू ने बताया कि नए किस्म का गेहूं भारतीय आबादी में जिंक की कमी को दूर करने में कारगर होगा। यह शरीर को प्राकृतिक जिंक की संतुलित मात्रा प्रदान करेगा। अच्छे स्वास्थ्य, मानसिक एवं शारीरिक विकास के लिए यह बहुत जरूरी है। इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता ठीक रहती है। यह त्वचा व आंखों के लिए भी फायदेमंद है। शरीर में जिंक की कमी होने पर दस्त, भूख कम लगना, बालों का झड़ना, दृष्टि कम होना, प्रतिरोधक क्षमता में कमी व त्वचा संबंधी समस्याएं पैद हो सकती है।
शोध: पंजाब कृषि विवि ने तैयार की गेहूं की नई किस्म, सेहत के लिए जरूरी है जिंक
लगे 13 साल :
पीबीडब्ल्यू वन जिंक वैरायटी को इंटरनेशनल कोलोबरेटिव प्रोजेक्ट के तहत तैयार किया गया है। इस पर शोध कार्य वर्ष 2004 में शुरू हुआ था। तेरह साल तक लैब व फील्ड में ट्रायल किया गया। तब जाकर इस किस्म को जारी किया जा रहा है। इस वैरायटी में जिंक तो भरपूर मात्रा में है ही, साथ ही यह गेहूं की फसल में लगने वाली बीमारी भूरी कुंगी से मुकाबला करने में भी सक्षम है। पंजाब में गेहूं की फसल पर हर साल पीली व भूरी कुंगी का हमला देखने को मिलता है।
151 दिन में तैयार :
पीबीडब्ल्यू वन जिंक किस्म से प्रति एकड़ 22.5 क्विंटल पैदावार दर्ज हुई है। इसके पौधे की औसत ऊंचाई 103 सेंटीमीटर तक है। इसकी फसल 151 दिन में पक कर तैयार हो जाती है। बोवाई का सही समय अक्टूबर का चौथा सप्ताह बताया गया है। विवि का कहना है कि पीबीडब्ल्यू वन जिंक की पैदावार पंजाब समेत सारे उत्तर पश्चिमी भारत में सफलतापूर्वक ली जा सकती है।
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