Move to Jagran APP

Third Wave of Corona in India: देश में कोरोना की तीसरी लहर को लेकर क्‍या कहते हैं वैज्ञानिक, बताए- वायरस से बचने के तरीके

भारत कोरोना महामारी की विनाशकारी दूसरी लहर को झेल चुका है। दो से तीन महीने बाद तीसरी लहर के आने की आशंका जताई जा रही है। परंतु विशेषज्ञों की माने तो दूसरी लहर की तरह तीसरी लहर के गंभीर होने की संभावना नहीं है।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Sat, 26 Jun 2021 08:03 PM (IST)Updated: Sat, 26 Jun 2021 08:07 PM (IST)
Third Wave of Corona in India: देश में कोरोना की तीसरी लहर को लेकर क्‍या कहते हैं वैज्ञानिक, बताए- वायरस से बचने के तरीके
देश में कोरोना की तीसरी लहर को लेकर क्‍या कहते हैं वैज्ञानिक। फाइल फोटो।

नई दिल्ली, एजेंसी। भारत कोरोना महामारी की विनाशकारी दूसरी लहर को झेल चुका है। दो से तीन महीने बाद तीसरी लहर के आने की आशंका जताई जा रही है। परंतु, विशेषज्ञों की माने तो दूसरी लहर की तरह तीसरी लहर के गंभीर होने की संभावना नहीं है। इनका यह भी कहना है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों का टीकाकरण हो जाए और लोग संक्रमण से बचाव के नियमों का सही तरीके से पालन करते रहें तो तीसरी लहर के प्रभाव को बहुत हद तक कम किया जा सकता है।

loksabha election banner

सितंबर और अक्टूबर के दौरान महामारी की तीसरी लहर

दिल्ली में सरकारी अस्पतालों के डाक्टरों का कहना है कि सितंबर और अक्टूबर के दौरान महामारी की तीसरी लहर के आने की संभावना है, लेकिन अगर लोगों ने संक्रमण से बचाव के नियमों का पालन करना छोड़ दिया तो यह अगस्त से ही शुरू हो सकती है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के सदस्य डा. एनके अरोड़ा भी कहते हैं कि टीकाकरण के साथ ही लोगों का आचरण भी भावी लहरों के प्रभाव को कम करने में अहम भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि अब तक आकलन से स्पष्ट है कि भारत समेत दुनिया में जो भी वैक्सीन बनी है वह सौ फीसद नहीं तब भी कोरोना वायरस के खिलाफ बहुत ज्यादा प्रभावी है। अगर हम मौतों की संख्या कम रख पाते हैं तो इसका मतलब होगा कि हम इस भीषण महामारी को रोकने में बहुत तक सफल रहे।

आने वाली लहर दूसरी की तुलना में ज्यादा गंभीर नहीं

हालांकि, डा. अरोड़ा का यह भी कहा है कि बहुत कुछ वायरस के वैरिएंट, उनकी संक्रामकता और प्रभाव पर भी निर्भर करेगा। रोज नए वैरिएंट आ रहे हैं और उनके प्रभाव भी अलग-अलग हैं। राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी हास्पिटल (आरजीएसएसएच) के चिकित्सा निदेशक डा. बीएल शेरवाल कहते हैं कि मौजूदा डाटा से ऐसा नहीं लगता है कि मौजूदा वैरिएंट ज्यादा संक्रामक हैं या उनसे ज्यादा मौतें होंगी। दूसरी बात कि बहुत ज्यादा लोग पहले ही संक्रमित हो चुके हैं, इसलिए ज्यादा संभावना है कि आने वाली लहर दूसरी की तुलना में ज्यादा गंभीर नहीं होगी। वह यह भी कहते हैं कि जहां तक संभव हो लोगों को एक दूसरे से दूरी बनाकर रखनी चाहिए।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे वैरिएंट आफ कंसर्न घोषित किया

गौरतलब है कि भारत में कोरोना महामारी की पहली लहर पिछले साल जनवरी में शुरू हुई थी और सितंबर के मध्य में चरम पर पहुंची थी। उसके बाद दूसरी लहर इस साल फरवरी के मध्य से शुरू हुई और अप्रैल-मई में चरम पर पहुंची। पहली की तुलना में दूसरी लहर ज्यादा संक्रामक और घातक रही। दूसरी लहर में डेल्टा वैरिएंट ने सबसे ज्यादा तबाही मचाई। अब इसी में म्यूटेशन हुआ है और डेल्टा प्लस के नाम से इसका नया रूप सामने आया है। अभी इसके बारे में ज्यादा पता नहीं चल पाया है और वैज्ञानिक इसके बहुत ज्यादा संक्रामक होने की संभावना भी नहीं जता रहे, लेकिन फिलहाल केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे वैरिएंट आफ कंसर्न घोषित कर रखा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.