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भारत में आज ही के दिन बजी थी मोबाइल की पहली घंटी, जानें- किसके बीच हुई थी बात

1995 में जब देश में मोबाइल सेवा की शुरुआत हुई थी तब इनकमिंग के लिए भी ग्राहकों को पैसे चुकाने होते थे।

By Kamal VermaEdited By: Published: Fri, 31 Jul 2020 03:50 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2020 11:47 PM (IST)
भारत में आज ही के दिन बजी थी मोबाइल की पहली घंटी, जानें- किसके बीच हुई थी बात
भारत में आज ही के दिन बजी थी मोबाइल की पहली घंटी, जानें- किसके बीच हुई थी बात

नई दिल्ली (ऑनलाइन डेस्‍क)। आज जिस मोबाइल फोन को हम अपने साथ हर वक्‍त लिए रहते हैं और दूसरों से बात करते हैं उसकी शुरुआत 25 वर्ष पहले आज के ही दिन (31 जुलाई 1995) हुई थी। मोबाइल सेवा के तौर पर इसकी पहली घंटी और पहली बातचीत तत्‍कालीन दूरसंचार मंत्री सुखराम और पश्चिम बंगाल के मुख्‍यमंत्री ज्‍योति बसु के बीच हुई थी। यह कॉल कोलकाता के राइटर्स बिल्डिंग से दिल्ली स्थित संचार भवन के बीच की गई थी। इससे पहले पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु ने कलकत्ता में मोदी टेल्सट्रा कंपनी के मोबाइल नेट सर्विस की शुरुआत की थी। दूरसंचार मंत्रालय के मुताबिक जुलाई 2019 तक भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी टेलिकम्‍यूनिकेशन मार्केट है। मंत्रालय के रिकॉर्ड के मुताबिक भारत में इस वक्‍त तक मोबाइल यूजर्स की संख्‍या 1168.32 मिलियन थी।

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आपको बता दें कि भारत में मोबाइल सर्विस शुरू करने के लिए सरकार ने कुल आठ कंपनियों को लाइसेंस दिए थे। भारत में मोबाइल सेवा शुरूआत करने वाली पहली कंपनी का नाम मोदी टेल्स्ट्रा था। कंपनी ने अपनी सर्विस का नाम मोबाइलनेट रखा था। इस सर्विस को लोगों तक पहुंचाने के लिए कंपनी ने नोकिया के मोबाइल सेट की मदद ली थी। बाद में इस कंपनी ने स्पाइस टेलीकॉम के नाम से सेवाएं दी थीं। मोदी टेल्स्ट्रा भारत के मोदी ग्रुप और ऑस्ट्रेलिया की टेलिकॉम कंपनी टेल्स्ट्रा का जॉइंट वेंचर था।

1995 में विदेश संचार निगम लिमिटेड ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भारतीयों को इंटरनेट कनेक्टिविटी का तोहफा दिया था। कंपनी ने गेटवे इंटरनेट ऐक्सिस सर्विस के लॉन्च की थी। शुरुआत में यह सेवा चारों मेट्रो शहरों में ही दी गई थी। शुरुआत में इंटरनेट के इस्‍तेमाल के लिए बड़ी कीमत चुकानी होती थी। जिस वक्‍त भारत में मोबाइल सेवा शुरू हुई थी तब ग्राहक को इनकमिंग कॉल के लिए भी पैसे चुकाने पड़ते थे। शुरुआत में एक आउटगोइंग कॉल के लिए 16 रुपये प्रति मिनट तक शुल्क लगता था। यही वजह थी कि शुरुआत के कुछ वर्षों में मोबाइल यूजर्स की संख्‍या अधिक नहीं रही थी। लेकिन जैसे-जैसे इस क्षेत्र में नई-नई कंपनियां आईं वैसे-वैसे प्रतिस्‍पर्धा में कॉल की दरों में भी गिरावट आई। इसका सीधा फायदा ग्राहकों को हुआ और मोबाइल यूजर्स की संख्‍या लगातार बढ़ती चली गई। वर्तमान में भारत में न सिर्फ मोबाइल कॉल की दरें दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले काफी सस्‍ती हैं बल्कि मोबाइल पर इंटरनेट का इस्‍तेमाल भी अन्‍य देशों के मु‍काबले काफी सस्‍ता है। वर्तमान में लगभग हर जेब में मोबाइल और इंटरनेट उपलब्‍ध है।

मोबाइल ने भारत में जिस संचार क्रांति को जन्‍म दिया है उसका फायदा आज हर घर में पहुंच गया है। वर्तमान की ही बता करें तो मोबाइल से अपने जरूरी सामान की खरीददारी, किसी भी चीज की बुकिंग, रास्‍ते का ज्ञान, पढ़ाई वगैरह सब कुछ किया जा रहा है। कोविड-19 महामारी के चलते भारत में स्‍कूल कॉलेज बंद हैं। लिहाजा ऑनलाइन क्‍लासेज चल रही हैं। देश के करोड़ों लोग इसी मोबाइल के माध्‍यम से ऑनलाइन क्‍लासेज ले पा रहे हैं। वर्तमान में दुनिया की बड़ी से बड़ी मोबाइल कंपनी भारत आने का सपना संजोती है। इसकी वजह है भारत में मोबाइल यूजर्स की लगातार बढ़ती संख्‍या। मोबाइल यूजर्स की संख्‍या इन कंपनियों को भारत की तरफ खींच रही है।

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