यहां सिर्फ विदा नहीं होती बेटी, बल्कि अपनी यादों से आबाद कर जाती है मायका
बेटी की विदाई के वक्त लगाए गए पौधे से पूरा परिवार भावनात्मक रूप से जुड़ जाता है।
हजारीबाग, [विकास कुमार]। शादी के बाद बेटियां मायके से विदा हो जाती हैं। लेकिन, दोबारा अपने मायके में ही पौधे के रूप में उनका जन्म होता है। मायके के लोग उस पौधे की विशेष रूप से देखभाल करते हैं, करें भी क्यों नहीं... यह पौधा ससुराल जाने से पहले उनकी बेटी जो लगाती है।
शादी के बाद बेटियों के लिए ससुराल ही उनका घर हो जाता है। बहू बन ससुराल में फलती-फूलती हैं। परिवार को संरक्षण देती हैं। वैसे ही पौधे के रूप में मायके में भी ये बेटियां पलती-बढ़ती हैं। विदाई के बाद पौधे के रूप में मायके में दोबारा बसने की बेटियों की यह कहानी राजकीय बीएड कॉलेज ने लिखी है।
नारी सशक्तीकरण और पर्यावरण संरक्षण एक साथ
नारी सशक्तीकरण और पर्यावरण संरक्षण की यह अनोखी मुहिम यहां के शिक्षक व पर्यावरणविद् डॉ. मनोज कुमार सिंह के द्वारा शुरू की गई है। कॉलेज के द्वारा यहां से पढ़कर निकले विद्यार्थियों को शादी के दौरान पौधा उपहार रुवरूप दिया जाता है। करीब एक साल पहले इस मुहिम की शुरुआत की गई थी। कोडरमा की संगीता कुमारी को शादी के दौरान आम का पौधा भेजा गया। अब यह पौधा मायके में संगीता की याद के तौर पर पल-बढ़ रहा है।
उपहार में भेजा आम का पौधा
कॉलेज ऐसे ही 20 से अधिक छात्राओं को पौधा भेज चुका है। छात्रों को भी कॉलेज पौधे भेजता है। सबसे पहले कॉलेज के छात्र रहे गिरिडीह के अनंत ज्ञान को शादी के दौरान आम का पौधा उपहार स्वरूप कॉलेज के द्वारा भेजा गया। बरात के दौरान अनंत पौधे को अपने साथ ले गए। फिर विदाई के दौरान अपनी पत्नी अंगिता के साथ उनके घर के बाहर यह पौधा लगाया। इस वर्ष अप्रैल माह में कॉलेज के एक और विद्यार्थी चंदनक्यारी बोकारो के सुमन कुमार रजवार की शादी होनी है। उसे भी कॉलेज ने पौधे भेजने की तैयारी कर ली है।
बेटी की भावना से जुड़ जाता है पूरा परिवार
बेटी की विदाई के वक्त लगाए गए पौधे से पूरा परिवार भावनात्मक रूप से जुड़ जाता है। मुहिम को शुरू करने वाले शिक्षक मनोज कुमार सिंह बताते हैं कि बेटी घर से विदा होती है, लेकिन यह ऐसी निशानी है जिसे परिवार के लोग चाहकर भी उसे छोड़ नहीं सकते। बेटी के रूप में पौधे की देख-रेख करते हैं। कॉलेज के द्वारा आम का पौधा भेजा जाता है। यह हिंदू धर्म में सबसे शुद्ध माना जाता है। वहीं जैसे बेटियां ससुराल में अपने परिवार को आगे पढ़ाती है। वैसे ही आम का पौधा बेटी बनकर परिजनों को फल व छावं देने का काम करेगा। लोगों का पौधे से स्वभाविक तौर पर लगाव हो जाता है।