पसीने से तबीयत के बारे में बताएंगे सेंसर
अभी तबीयत खराब होने का अंदाजा तब लगता है जब हम बीमार होते हैं। फिर डॉक्टर कई तरह की जांच कर बताते हैं कि बीमारी क्या है। अब वैज्ञानिकों ने कलाई में लगाने लायक ऐसे सेंसर बनाए हैं जो हमारे शरीर के पसीने से ही बीमारी के बारे में जानकारी
नई दिल्ली। अभी तबीयत खराब होने का अंदाजा तब लगता है जब हम बीमार होते हैं। फिर डॉक्टर कई तरह की जांच कर बताते हैं कि बीमारी क्या है। अब वैज्ञानिकों ने कलाई में लगाने लायक ऐसे सेंसर बनाए हैं जो हमारे शरीर के पसीने से ही बीमारी के बारे में जानकारी दे देंगे।
वैसे, घड़ी की तरह पहने जाने वाले रिस्ट बैंड की तरह के कई गैजेट बाजार में उपलब्ध हैं जो दिल की धड़कनों के बारे में सूचना देते हैं। कई धावक इसका उपयोग करते हैं। वैसे, आपने मॉर्निंग वाक करते हुए कुछ लोगों को भी इस तरह के बैंड पहने हुए देखा होगा।
इससे पता चलता है कि आप कितने कदम या कितने किलोमीटर चले। लेकिन वैज्ञानिक ऐसी चीज पहली दफा बनाने में सफल हुए हैं जिससे अधिकांश बीमारियों को लेकर सतर्क करने के बारे में जानकारी मिल सके।
क्या है दावा?
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर अली जैवे ने सेंसर वाले रिस्ट बैंड और हेड बैंड बनाए हैं। ये शरीर के पसीने से ही सतर्क कर देंगे कि आपकी तबीयत ठीक नहीं है। इतना ही नहीं, खून की जांच से पता चलने वाली कई बीमारियों के बारे में ये पसीने की जांच कर ही बता देंगे।
कैसे करता है काम?
अब भी यह खिलाड़ियों के लिए ही ज्यादा उपयोगी है। इस तरह के बैंड से दिल की धड़कनों और शरीर के तापमान के साथ-साथ शरीर में ग्लूकोज, लैक्टेट, सोडियम और पोटाशियम के बारे में पता चलता रहेगा। बैंड में लगे माइक्रोचिप इनसे संबंधित आंकड़े जमा करते रहेंगे।
जैसे ही वे अपेक्षित सीमा से ज्यादा या कम होंगे, वे ब्लूटूथ के जरिये स्मार्टफोन को भी सतर्क करेंगे। इस तरह डॉक्टर को हर समय पता चलता रहेगा कि खिलाड़ी के स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल असर तो नहीं हो रहा है।
पहले से कैसे बेहतर?
अभी बाजार में बिक रहे रिस्ट बैंड या हेड बैंड में एक ही सेंसर लगे होते हैं। इससे अधिकतर दिल की धड़कनों के बारे में ही पता चलता है। पसीना निकलना बंद होने पर कभी-कभी यह गलत सूचनाएं भी देने लगता है। नए बैंड में पांच सेंसर लगे होने से कई जानकारी मिल सकती है।
सोडियम और पोटाशियम के जरिये शरीर में पानी की कमी और मांसपेशियों में ऐंठन का पता चलेगा तो ग्लूकोज से शुगर और लैक्टेट से रक्त प्रवाह को लेकर जानकारी मिलेगी।