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मोदी सरकार के खिलाफ पहले अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी, YSR कांग्रेस ने दिया नोटिस

आंध्र प्रदेश में भी लोकसभा के साथ ही अगले साल चुनाव है। जगनमोहन आंध्र के लिए विशेष राज्य का दर्जा जैसे संवेदनशील मुद्दे के साथ खुद के लिए माहौल बनाना चाहते हैं। नायडू इसमें पीछे छूटना नहीं चाहते हैं।

By Tilak RajEdited By: Published: Thu, 15 Mar 2018 07:55 PM (IST)Updated: Fri, 16 Mar 2018 07:48 AM (IST)
मोदी सरकार के खिलाफ पहले अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी, YSR कांग्रेस ने दिया नोटिस
मोदी सरकार के खिलाफ पहले अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी, YSR कांग्रेस ने दिया नोटिस

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। लोकसभा के साथ ही होने वाले आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए टीडीपी और वाइएसआर कांग्रेस के बीच शह मात का खेल एक कदम और आगे बड़ गया है। टीडीपी सरकार से बाहर हुई, तो अब वाइएसआर कांग्रेस ने केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का दांव चल दिया है। माना जा रहा है कि शुक्रवार को टीडीपी राजग से अलग होने एलान कर सकती है। अविश्वास प्रस्ताव औपचारिक रूप से 21 मार्च को लाया जा सकता है। हालांकि आंध्र की अंदरूनी राजनीति में कोई भी दूसरा दल शामिल होगा इसकी गुंजाइश नहीं है। ऐसे मे अविश्वास प्रस्ताव औपचारिक रूप से पेश होने की उम्मीद नहीं है।

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गुरुवार को वाइएसआर कांग्रेस के सदस्य वाईवी सुब्बारेड्डी ने लोकसभा महासचिव को नोटिस देकर कहा कि 16 मार्च के बिजनेस की सूची में 'यह सदन मंत्रिमंडल में अविश्वास जताता है' विषय को शामिल करें। वहीं वाइएसआर के अध्यक्ष जगनमोहन रेड्डी ने सभी विपक्षी दलों को जो पत्र लिखा है कि उसमे कहा कि वह 21 मार्च को अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे और दूसरे दल इसका समर्थन करें। लंबे पत्र में उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने का वादा किया गया था, लेकिन सरकार इससे मुकर रही है। यानी शुद्ध रूप से यह एक प्रदेश का मामला है।

ध्यान रहे कि अविश्वास प्रस्ताव पेश करने और उसे स्वीकार करने के लिए लोकसभा के कम से कम 50 सदस्यों का हस्ताक्षर जरूरी होता है। खुद वाइएसआर कांग्रेस पास नौ सदस्य हैं और श्रेय लेने की होड़ में अगर टीडीपी भी शामिल हो जाए तो उसके 16 सदस्यों के साथ केवल 25 का अंक प्राप्त होगा। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, अन्नाद्रमुक जैसे बड़े विपक्षी दलों को अहसास है कि आंध्र की अंदरूनी राजनीति में उलझना उनके लिए फायदेमंद नहीं है। ऐसे में इसका पेश होना बहुत मुश्किल है।

बहरहाल, आंध्र की राजनीति के लिहाज से यह रोचक है। माना जा रहा है कि वाइएसआर की नई रणनीति की काट के लिए अब टीडीपी राजग से बाहर जाने की घोषणा कर सकती है। शुक्रवार को अमरावती मे बैठक के बाद इसका फैसला होगा। वैसे आंध्र के मुख्यमंत्री और टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने फूलपुर और गोरखपुर के नतीजों पर टिप्पणी करते हुए पहली बार यह भी कहा है कि देश में भाजपा के खिलाफ हवा तैयार हो रही है। बताते हैं कि उन्होंने इसका भी संकेत दिया है कि वाइएसआर कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लाती है तो वह भी समर्थन कर सकते हैं। दरअसल कोई पीछे दिखने को तैयार नहीं है। कुछ ही दिन पहले पार्टी मोदी सरकार से बाहर हो गई थी। यह फैसला तब लिया गया था जब जगनमोहन ने अल्टीमेटम दिया था कि 5 अप्रैल यानी वर्तमान सत्र खत्न होने के दिन तक आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया जाता है तो उनके सभी सदस्य संसद से और विधानसभा से इस्तीफा दे देंगे।

नहीं पड़ेगा कोई असर

ध्यान रहे कि आंध्र प्रदेश में भी लोकसभा के साथ ही अगले साल चुनाव है। जगनमोहन आंध्र के लिए विशेष राज्य का दर्जा जैसे संवेदनशील मुद्दे के साथ खुद के लिए माहौल बनाना चाहते हैं। नायडू इसमें पीछे छूटना नहीं चाहते हैं। दोनों दलों की राजनीति का केंद्र सरकार पर भी फिलहाल कोई असर नहीं पड़ेगा। हां, विपक्ष में गठबंधन राजनीति को लेकर शुरू होने वाली कवायद के बीच राजग सहयोगी का जाना जरूर थोड़ी चिंताजनक है। लेकिन भाजपा यह भी जानती है कि आंध्र में टीडीपी और वाइएसआर एक साथ नहीं हो सकते। इन दोनों नेताओं का राज्य से बाहर कोई आधार नहीं है। वैसे भी चुनाव बाद की स्थिति ही बहुत कुछ तय करेगी।


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