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स्पीति घाटी सहित दुनिया के सबसे ऊंचे मतदान केंद्र वाले गांव 'टशीगंग' में घर-घर पहुंचा पानी

प्रधानमंत्री की जल-जीवन मिशन योजना के शुरुआती चरण में लक्ष्य पूरा करने वाले देश के नौ जिलों में शामिल है लाहुल-स्पीति।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 25 Aug 2020 09:49 AM (IST)Updated: Tue, 25 Aug 2020 10:48 AM (IST)
स्पीति घाटी सहित दुनिया के सबसे ऊंचे मतदान केंद्र वाले गांव 'टशीगंग' में घर-घर पहुंचा पानी
स्पीति घाटी सहित दुनिया के सबसे ऊंचे मतदान केंद्र वाले गांव 'टशीगंग' में घर-घर पहुंचा पानी

जसवंत ठाकुर, लाहुल-स्पीति। हिमाचल प्रदेश का लाहुल-स्पीति जिला अब हर घर तक नल से जल पहुंचाने के निकट है। ‘शीत मरुस्थल’ की सूखी जमीन की प्यास यहां बसने वालों के हलक तक जाती थी, लेकिन नल से निकले जल ने इनके जीवन में खुशियों के रंग भर दिए हैं। अब बर्फ को पिघला कर पीने और खच्चरों पर पानी लाने के दिन लद गए हैं। जिले की स्पीति घाटी में हर घर तक नल से जल पहुंच रहा है। चीन सीमा से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर दुनिया के सबसे ऊंचे (15,256 फीट) मतदान केंद्र टशीगंग में भी पानी के लिए मीलों का पैदल सफर नहीं करना पड़ेगा। 

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प्रधानमंत्री की जल-जीवन मिशन योजना के शुरुआती चरण में देश के जो जिले लक्ष्य तक पहुंचने के निकट हैं, या पहुंच चुके हैं, उनमें दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों वाला लाहुल-स्पीति भी एक है। महज सालभर में स्पीति घाटी के हर घर में नल कनेक्शन दे दिया गया है। जल की हर बूंद यहां कितनी कीमती है, इस बात को स्थानीय लोगों के चेहरों पर पढ़ा जा सकता है। नल में पानी देख इनकी आंखों में खुशी के आंसू टपक पड़ते हैं। कहते हैं कि दुखों का अंत हो गया।

शीत मरुस्थल कहे जाने वाले स्पीति में पानी की समस्या जनजीवन के सम्मुख एक बड़ी चुनौती रही है। बर्फबारी के दौरान छह माह तक दुनिया से कटे रहने वाले इस क्षेत्र में पीने के पानी का प्रबंध करना आसान न था। बर्फ पिघलाकर पीने योग्य पानी जमा करना आम बात थी। र्गिमयों में भी कई किलोमीटर दूर जाना पड़ता था। दूरदराज में मौजूद पेयजल स्नोत से पैदल या खच्चरों पर पानी लाया जाता। संपन्न लोग पानी ढोने के लिए खच्चर या याक का सहारा ले लेते, लेकिन गरीब को तो खुद ही ढोना पड़ता।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हर घर नल-हर घर जल देने की घोषणा के एक साल के भीतर ही योजना को धरातल पर उतारना उपलब्धि से कम नहीं है। 31 हजार 564 जनसंख्या वाले स्पीति ब्लॉक में 13 पंचायतें हैं। इनमें अब हर घर में नल कनेक्शन है और जलार्पूित सुचारू हो चुकी है। जल शक्ति विभाग की मानें तो चिचम और टशीगंग जैसे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हर घर में जल पहुंचना सबसे चुनौतीपूर्ण था, लेकिन ग्रामीणों के सहयोग से विभाग इसे कर पाने में सफल हो पाया।

यहां जारी है तेजी से काम: ऐतिहासिक कीह गोंपा क्षेत्र में भी घर-घर में नल लगाए जा चुके हैं। काजा, पलमो ताबो और सपलिंग क्षेत्र में भी तेजी से काम चल रहा है। वहीं, शिलानाला से काजा क्षेत्र में सिंचाई के लिए जल उपलब्ध कराने के लिए योजना पर को अमली जामा पहनाया जा रहा है।

अभियंता जल के अधिशाषी मनोज बौद्ध नेे बताया कि स्पीति घाटी में बर्फबारी और सर्दी के चलते काम करने की अवधि बहुत कम रहती है। जल शक्ति विभाग ने इस कार्य को चुनौती के रूप में लिया। स्थानीय जनों का भी सहयोग मिला और हमने टीम वर्क के जरिये यह लक्ष्य हासिल किया।

टशीगंग के निवासी डोलमा छोंजोम नेे बताया कि शक्ति विभाग, स्पीति मंडल, हिमाचल प्रदेश विभाग की ओर से जब हर घर में नल लगाने की बात कही गई तो हमें सपने जैसा लगा, लेकिन अब घर-घर पानी पहुंच गया है। र्सिदयों में पानी की समस्या और भी बढ़ जाती थी, लेकिन अब घर में ही हमें मानो सारी दुनिया का सुख मिल गया है।

हिक्किम के निवासी छेरिंग तरगे नेे बताया कि अब हमें बर्फ पिघलाकर पानी जमा करने की जरूरत नहीं रहेगी। गर्मी में भी पहले जैसी दिक्कत नहीं झेलनी पड़ेगी। घर में लगे नल ने हमारी सारी समस्या दूर कर दी है।

कीह गोंपा के निवासी छुकतान नेे बताया कि पानी के बिना कीह गोंपा के बौद्ध गुरुओं और शिष्यों को भी दिक्कत का सामना करना पड़ता रहा है, लेकिन अब उन्हें और हमें सभी को आसानी से जल मिल रहा है।


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