Wasim Rizvi Bail: अभद्र भाषा मामले में SC ने जितेंद्र त्यागी को 3 महीने की दी अंतरिम जमानत
सुप्रीम कोर्ट ने जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी उर्फ वसीम रिज़वी को दी तीन महीने की अंतरिम जमानत। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि त्यागी को एक अंडरटेकिंग देनी होगी कि वह अभद्र भाषा में नहीं होंगे लिप्त। और इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल या सोशल मीडिया पर कोई बयान नहीं देंगे।
नई दिल्ली, एएनआइ। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी को तीन महीने की अंतरिम जमानत दे दी, जिन्हें पहले वसीम रिजवी के नाम से जाना जाता था, महीनों पहले जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी उर्फ वसीम रिजवी ने मुस्लिम धर्म छोड़ हिन्दू मजहब को अपनाया था। इन्हें हरिद्वार धर्म संसद में आयोजित अभद्र भाषा की जांच के सिलसिले में पिछले साल दिसंबर में गिरफ्तार किया गया था।
कोर्ट ने अभद्र भाषा में शामिल नहीं होने की दी हिदायत
न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की अध्यक्षता वाली पीठ ने चिकित्सा आधार पर त्यागी को अंतरिम जमानत देते हुए कहा कि उन्हें यह वचन देना होगा कि वह अभद्र भाषा में शामिल नहीं होंगे और इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल या सोशल मीडिया पर कोई बयान नहीं देंगे। त्यागी के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह से अपने मुवक्किल को नफरत भरे भाषणों में शामिल न होने और समाज में सद्भाव बनाए रखने की सलाह देने को कहा।
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Supreme Court says that Tyagi has to give an undertaking that he would not indulge in hate speech and not give any statement to electronic or digital or social media.
— ANI (@ANI) May 17, 2022
उत्तराखंड सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि जिस अपराध के तहत त्यागी पर मामला दर्ज किया गया है, उसके लिए अधिकतम सजा में तीन साल की सजा है।
त्यागी हृदय संबंधी समस्याओं से हैं पीड़ित
अधिवक्ता ने कहा कि जिस समय त्यागी जमानत पर बाहर आते हैं, उन्हें फिर से अभद्र भाषा पर बयान नहीं देना चाहिए। वकील ने पीठ से कहा, 'हमें हर कीमत पर सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखना है। अगर वह अभद्र भाषा बोलते हैं तो उनकी जमानत बिना किसी नोटिस के अपने आप रद्द कर दी जानी चाहिए। जहां तक उनकी चिकित्सा स्थिति का सवाल है, यह स्थिर है। उन्हें हृदय संबंधी कुछ समस्याएं हैं।'
पिछले हफ्ते शीर्ष अदालत ने त्यागी की जमानत खारिज करने के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ उनकी याचिका पर उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किया था। जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा था कि वे 'पूरा माहौल खराब कर रहे हैं'।
खंडपीठ ने हरिद्वार धर्म संसद के विवादास्पद आयोजन का जिक्र करते हुए कहा, 'इससे पहले कि वे दूसरों को जागरूक करने के लिए कहें, उन्हें पहले खुद को संवेदनशील बनाना होगा। वे संवेदनशील नहीं हैं। यह कुछ ऐसा है जो पूरे माहौल को खराब कर रहा है।'
त्यागी, जो कभी हिंदू धर्म स्वीकार करने से पहले यूपी शिया वक्फ बोर्ड के प्रमुख थे, ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के 8 मार्च के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें जमानत नहीं मिली थी।
पिछले साल जनवरी में किए गए थे गिरफ्तार
त्यागी को 13 जनवरी को भारतीय दंड संहिता के धारा 153 ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 298 (किसी भी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से शब्द बोलना) के तहत अपराध के लिए दर्ज मामले में 13 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था। उच्च न्यायालय ने उन्हें यह कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया था कि उन्होंने अपमानजनक टिप्पणी की थी।