मोराटोरियम के दौरान ब्याज भुगतान मामले पर SC का आदेश, तीन दिनों में बैठक करे केंद्र-रिजर्व बैंक
मोराटोरियम अवधि के दौरान ब्याज दरों में दी गई छूट के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और रिजर्व बैंक से तीन दिनों में मीटिंग करने को कहा है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। नॉवेल कोरोना वायरस के कारण लगाए गए लॉकडाउन की अवधि के दौरान ब्याज दरों के भुगतान संबंधित मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) से तीन दिनों में बैठक करने को कहा है।
कोर्ट ने तीन दिनों का समय देते हुए केंद्र से आरबीआइ के साथ बैठक करने के बाद जवाब मांगा है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में आगरा के रहने वाले शख्स गजेंद्र शर्मा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की जा रही थी। जस्टिस अशोक भूषण, एस के कॉल और एम आर शाह की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी। बेंच ने कहा, 'हम संतुलन बना रहे हैं। केवल एक चीज जो हम चाहते हैं वह एक व्यापक उपाय है। इन कार्यवाहियों में हमारी चिंता केवल यह है कि क्या ब्याज जो स्थगित कर दिया गया है, उसे बाद में देय शुल्कों में जोड़ा जाएगा या क्या ब्याज पर ब्याज लगेगा।' बेंच ने कहा कि यह सवाल पूरी तरह ब्याज दर के भुगतान की अवधि में छूट का नहीं है बल्कि बैंक द्वारा लगाए गए ब्याज पर ब्याज लगाने तक का मामला है। अब इस मामले की सुनवाई अगले सप्ताह होगी।
बता दें कि रिजर्व बैंक का कहना है कि वह कोरोना वायरस के कारण देश में जारी संकट के बीच लोगों को राहत देने के लिए हर उपाय कर रहा है, लेकिन मोराटोरियम के तहत ब्याज में छूट देने से बैंकों की वित्तीय व्यवस्था संकट में है और जमाकर्ताओं के लिए भी यह खतरनाक हो सकता है।
मोराटोरियम को लेकर दायर की गई याचिका पर रिजर्व बैंक ने कहा कि मोराटोरियम का वक्त 3 महीने और यानी 31 अगस्त के लिए बढ़ा दिया गया है। इससे पहले कोर्ट में रिजर्व बैंक ने हलफनामा दायर कर बताया था कि 6 माह के लिए इएमआइ देने में जो छूट दी गई है उस अवधि का ब्याज नहीं लेने से बैंक का 2 लाख करोड़ का नुकसान होगा। इएमआइ अभी न देकर बाद में देने की छूट दी गई है। कोर्ट में अर्जी दाखिल कर मोराटोरियम अवधि में ब्याज में छूट की मांग की गई है। इस याचिका पर आरबीआई से जवाब देने को कहा गया था।