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समय से पहले नष्ट की गई पिछले लोस चुनाव की वीवीपैट पर्चियां, कोर्ट ने आयोग से मांगा जवाब

दो गैरसरकारी संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग ने पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव की वीवीपैट पर्चियों को नष्ट कर दिया है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 24 Feb 2020 08:01 PM (IST)Updated: Mon, 24 Feb 2020 08:01 PM (IST)
समय से पहले नष्ट की गई पिछले लोस चुनाव की वीवीपैट पर्चियां, कोर्ट ने आयोग से मांगा जवाब
समय से पहले नष्ट की गई पिछले लोस चुनाव की वीवीपैट पर्चियां, कोर्ट ने आयोग से मांगा जवाब

नई दिल्ली, एजेंसियां। दो गैरसरकारी संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग ने पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव की वीवीपैट पर्चियों को नष्ट कर दिया है। यह कानून का उल्लंघन है।

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वीवीपैट पर्चियों को एक साल तक सुरक्षित रखने का है नियम

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉ‌र्म्स (एडीआर) और कॉमन कॉज ने आरटीआइ से मिली जानकारी का हवाला देते हुए अदालत से कहा कि नियमों के अनुसार वीवीपैट पर्चियों को एक साल तक सुरक्षित रखा जाना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। जस्टिस बीआर गवई और सूर्य कांत इस पीठ के अन्य न्यायाधीश हैं।

प्रशांत भूषण ने कहा- मुझे मिली चौंकाने वाली जानकारी

गैर-सरकारी संगठनों के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि सूचना अधिकार कानून के तहत उन्हें चौंकाने वाली जानकारी मिली है। भूषण ने कहा कि वह इस सिलसिले में एक आवेदन दाखिल करेंगे।

मतदाता संख्या और वीवीपैट पर्चियों में विसंगतियों पर चुनाव आयोग ने नहींं दिया जवाब

पीठ ने इससे पहले 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान 347 निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाताओं की संख्या और गिने जाने वाले मतों की कथित विसंगतियों की जांच की मांग वाली याचिका पर आयोग को नोटिस जारी किया था। आयोग ने उस पर अपना जवाब नहीं दिया है।

इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में होगी चार सप्ताह बाद सुनवाई

इस मुद्दे पर चार सप्ताह बाद सुनवाई होगी। गैर-सरकारी संगठनों ने याचिका में सभी चुनावों में आंकड़ों की विसंगतियों की जांच के लिए एक मजबूत प्रक्रिया बनाने के लिए चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की है।

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से मांगा चार सप्ताह में जवाब

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित हो जाने के बाद मतदान और अंतिम मतगणना का विस्तृत विवरण अपनी वेबसाइट पर जारी करने की मांग वाली याचिका पर चुनाव आयोग से चार सप्ताह में जवाब देने को कहा है।


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