कोरोना गाइडलाइन के उल्लंघन पर कोर्ट का सवाल- किसने और किसके लिए आयोजित किए थे कार्यक्रम
याचिका में कहा गया कि प्रशासन उल्लंघन करने वालों के खिलाफ होने वाली एफआइआर में समानता नहीं दिखा रहा है। सत्ता पक्ष के कार्यक्रमों में नियम टूट रहे हैं और कोर्ट के आदेश का भी उल्लंघन हो रहा है।
ग्वालियर, जेएनएन। हाई कोर्ट की युगलपीठ ने कोविड-19 की गाइडलाइन के उल्लंघन को लेकर शासन से 12 अक्टूबर तक रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने पूछा है कि 3 अक्टूबर को दिए आदेश के पालन में कितने लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई हैं। किसके लिए कार्यक्रम आयोजित किया गया था। अगर एफआइआर दर्ज नहीं हुई तो उसका भी कारण बताया जाए। कोर्ट ने कहा कि ज्यादा दिनों तक लोगों को घरों में बंद नहीं रखा जा सकता है। लोगों ने निकलना शुरू कर दिया है। अभी वैक्सीन आने के आसार नहीं हैं, लेकिन कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन करके ही कोरोना संक्रमण से बचा जा सकता है।
हाई कोर्ट की युगलपीठ ने गत दिवस राजनीतिक कार्यक्रमों में कोविड-19 की गाइडलाइन के उल्लंघन के खिलाफ आशीषष प्रताप सिंह की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई की थी। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता, न्यायमित्र व शासन का पक्ष सुना गया था। याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया गया कि प्रशासन उल्लंघन करने वालों के खिलाफ होने वाली एफआइआर में समानता नहीं दिखा रहा है। सत्ता पक्ष के कार्यक्रमों में नियम टूट रहे हैं और कोर्ट के आदेश का भी उल्लंघन हो रहा है, लेकिन केस दर्ज नहीं किए जा रहे हैं।
न्यायमित्रों की ओर से बताया गया था कि किसी भी बीमारी को रोकने के लिए कानून क़़डा होना चाहिए, लेकिन यहां तो बीमारी ब़़ढाने के लिए ढील दी जा रही है। राजनीतिक कार्यक्रमों को लेकर एक आदेश जारी किया गया है, उसमें 100 लोगों के इकट्ठा होने की बंदिश को हटा दिया है। उपचुनाव है, इसलिए बिना चुनाव आयोग के कोई आदेश जारी नहीं किया जा सकता है। सरकार के सचिव ने आदेश कर दिया। हाई कोर्ट ने शनिवार को दिशा--निर्देश दिए, जिसमें जानकारी देने के लिए बिंदु निर्धारित किए हैं।
हाई कोर्ट ने 3 अक्टूबर को यह दिए थे आदेश
हाई कोर्ट की युगलपीठ ने 3 अक्टूबर को आदेश दिया था कि अगर किसी राजनीतिक या सामाजिक कार्यक्रम में कोविड-19 की गाइडलाइन का उल्लंघन होता है, तो जिला प्रशासन को संबंधितों के खिलाफ आपदा प्रबंधन या भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत केस दर्ज करना होगा। अगर अधिकारी केस दर्ज करने में नाकाम रहते हैं, तो कोर्ट की अवमानना मानी जाएगी। इस संबंध में 9 जिलों के कलेक्टरों से रिपोर्ट तलब की गई है।