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जल, जमीन, जंगल, जानवर, और जन से संवरेंगे मध्य प्रदेश के सीधी जिले के 12 गांव

सीधी के कलेक्टर रवीन्द्र कुमार चौधरी ने बताया कि डब्ल्यूआरआइ ने वर्ष 2016 से 18 तक यहां सर्वेक्षण का काम किया था। अब यह कार्य आसा संस्थान भोपाल द्वारा किया जा रहा है। कार्य योजना तैयार की जा रही है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 02 Mar 2021 10:00 AM (IST)Updated: Tue, 02 Mar 2021 10:00 AM (IST)
जल, जमीन, जंगल, जानवर, और जन से संवरेंगे मध्य प्रदेश के सीधी जिले के 12 गांव
जिला प्रशासन के सहयोग से यह कार्य शुरू कर दिया गया है।

नीलाबुंज पांडे, सीधी। मध्य प्रदेश के सीधी जिले में भू -दृश्य पायलट योजना की शुरुआत की जा रही है, जिसके लिए जिले के सीधी विधानसभा क्षेत्र के 12 गांवों को चिन्हित किया गया है। इन गांव में पंच ज (जल, जमीन, जंगल, जानवर, और जन) पर काम किया जाएगा। जिससे क्षेत्र के लोगों की आजीविका में वृद्धि होगी। इस कार्य की एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की जा रही है। करीब एक सप्ताह पहले भोपाल की सामाजिक संस्था आसा की 10 सदस्य टीम ने गांव में जाकर सर्वेक्षण शुरू कर दिया है। उसके बाद एक बार फिर प्रशासन के साथ बैठकर योजना का अंतिम रूप दिया जायेगा। यह कार्य जिला प्रशासन की देखरेख में किया जा रहा है और कलेक्टर रवीन्द्र कुमार चौधरी स्वयं इस कार्य की निगरानी कर रहे हैं।

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2030 तक 2.1 करोड़ हेक्टेयर भूमि के पुनस्र्थापना का लक्ष्य: बता दें कि वर्ष 2015 के पेरिस जलवायु सम्मेलन एवं बोन चैलेंज 2017 के अंतर्गत भारत ने कई अंतरराष्ट्रीय समझौते किए हैं। जिसके तहत वर्ष 2030 तक लगभग 2.1 करोड़ हेक्टेयर भूमि के पुनस्र्थापन का लक्ष्य रखा गया है। जिसमें भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय संस्थान डब्ल्यूआरआइ (विश्व संसाधन संस्थान) की मदद से सीधी जिले में इसका एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने का वर्ष 2016 में लिया। वर्ष 2016 से 18 तक डब्ल्यूआरआइ ने सीधी जिले के एरिया में जाकर स्टीडी (सर्वेक्षण) किया था।

क्यों चुना गया इन गांवों को: बता दें की जिन गांवों को चिन्हित किया गया है वह सभी सीधी शहर से 20 से 25 किलोमीटर की दूरी पर है। बमुरी, बिसुनी टोला,भाठा, डोल कोठार, हड़बड़ो, कोचिटा, कोलुआ, मसूरिया, डाड़ी और पवैया पूर्व को शामिल किया गया है। टीम को सर्वे के दौरान पता चला कि यह गांव पहले प्राकृतिक रूप से सुंदर थे लेकिन अब धीरे धीरे खत्म हो रहे हैं। जिसे बचाने के लिए इन गांवों को चुना गया है ताकि फिर से इन गांवों में प्राकृतिक सुंदरता लौट आए। लोगों को रोजगार, पानी सहित अन्य सुविधाएं मिलना शुरू हो सकें।

क्षेत्रीय उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार दिलवाने की तैयारी: चिन्हित किए गए 12 गांव में पायलट योजना के तहत कार्य शुरू किया जाएगा। शुरुआत में छह वाटर शेड के तहत काम होगा। इन गांव में ट्रेंच कर पहाड़ों पर पौधारोपण किया जाएगा। समूह स्तर पर फलदार पौधे, बाग-बगीचे लगाए जाएंगे। सिंचाई की व्यवस्था, पानी पीने की व्यवस्था, उन्नत किस्म की खेती सहित अन्य रोजगार को शामिल किया जाएगा। इसके अतिरिक्त क्षेत्र के किसानों को एफपीओ के साथ जोड़कर उनके कृषि उत्पादन में वृद्धि एवं बेहतर मूल्य दिलवाया जायेगा। क्षेत्र के ग्रामीणों के पारंपरिक ज्ञान पर आधारित कुछ नए उत्पाद क्षेत्र के लोगों से ही तैयार कर उन्हें अंतरराष्ट्रीय बाजार भी दिलवाया जायेगा।

500 नए रोजगार , मार्च में बैठक: क्षेत्र लगभग 500 से अधिक नए रोजगार सृजित होने की संभावना है, जिसमें से अधिकतर आजीविका समूहों को जाएगी। युवाओं में उद्यमिता के विकास की संभावनाओं को तलाशने के लिए सर्वे टीम द्वारा क्षेत्र के युवाओं के साथ एक परिचर्चा करेगी। मार्च में दूसरे सप्ताह में यह आयोजन होगा।

ये रहे टीम में: आसा संस्थान से 10 सदस्यीय टीम सीधी आई हुई थी। जिसमें साजी जॉन टीम लीडर, शाहिद रजा प्रोग्राम मैनेजर, दिवाकर तिवारी इंजीनियर, हेमंत कृषि विशेषज्ञ, सृष्टि कुशवाहा वन विशेषज्ञ, हेनिल उपाध्याय, रिचा चौहान सामाजिक विशेषज्ञ ने गांव में जाकर लोगों से बातचीत किया है।

छह मुद्दों पर काम करती है: विश्व संसाधन संस्थान एक वैश्विक अनुसंधान संस्थान है, जो 50 से अधिक देशों में काम करता है। यह पर्यावरण और विकास के संबंध में छह महत्तवपूर्ण मुद्दों पर केंद्रित है जिसमें जलवायु, ऊर्जा, भोजन, वन, जल, शहर एवं परिवहन शामिल हैं। इसकी स्थापना 1982 में हुई थी। इसका मुख्यालय वाशिंगटन, अमेरिका में है।

मध्य प्रदेश के सीधी के विधायक केदारनाथ शुक्ला ने बताया कि देश में सिर्फ मध्य प्रदेश के सीधी जिले के 12 गांव को चुना गया है। यहां तेजी से विकास कार्य किए जाएंगे। प्रकृति संधारित होगी और लोगों को रोजगार मिलेगा। जिला प्रशासन के सहयोग से यह कार्य शुरू कर दिया गया है।

मप्र आसा के प्रोजेक्ट प्रभारी शाजी जॉन ने बताया कि सीधी आदिवासी बहुल इलाका है। प्राकृतिक संपदा के लिहाज से यह बहुत संपन्न रहा है, लेकि न कालांतर में उचित योजना नहीं होने की वजह से इसकी दुर्दशा हो गई है। इन 12 गांवों में 70 फीसद से ज्यादा छोटे किसान हैं। जिनकी वार्षिक आय 30,000-40000 हजार से ज्यादा नहीं है।


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