प्रत्यर्पण के आदेश को ब्रिटिश हाई कोर्ट में चुनौती देगा माल्या
वेस्टमिंस्टर कोर्ट की चीफ मजिस्ट्रेट एम्मा अर्बूथनॉट ने माल्या को भारत प्रत्यर्पित करने का आदेश दिया था।
लंदन, प्रेट्र। प्रत्यर्पण मामले में ब्रिटिश कोर्ट के आदेश को भगोड़ा शराब कारोबारी विजय माल्या हाई कोर्ट में चुनौती देगा। यह जानकारी उसे कानूनी सलाह देने वाली टीम ने दी है। पिछले हफ्ते वेस्टमिंस्टर कोर्ट की चीफ मजिस्ट्रेट एम्मा अर्बूथनॉट ने माल्या को भारत प्रत्यर्पित करने का आदेश दिया था। माल्या पर भारतीय बैंकों का नौ हजार रुपये का कर्ज लेकर ब्रिटेन भाग जाने का आरोप है।
प्रत्यर्पण का आदेश आने के बाद ही माल्या ने उसका अध्ययन करने और अगले कदम पर विचार की बात कही थी। प्रत्यर्पण मामले में माल्या को सलाह दे रही कंपनी बुटीक लॉ एलएलपी के प्रोपराइटर आनंद दूबे के अनुसार समय सीमा के भीतर प्रत्यर्पण आदेश को चुनौती देने वाली याचिका दायर की जाएगी। भारत के साथ प्रत्यर्पण संधि के अनुसार चीफ मजिस्ट्रेट का आदेश गृह मंत्रालय के सचिव के पास जाता है। इसके बाद गृह मंत्रालय आरोपित व्यक्ति को कोर्ट के आदेशानुसार देश को सौंपता है। यह प्रक्रिया दो महीने में पूरी करनी होती है। लेकिन चीफ मजिस्ट्रेट के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दिए जाने पर यह प्रक्रिया रुक जाती है और इसके बाद गृह मंत्रालय हाई कोर्ट के आदेश का इंतजार करता है।
प्रत्यर्पण संधि के मुताबिक भारतीय अधिकारियों ने अप्रैल में जब ब्रिटिश अधिकारियों को विजय माल्या की धोखाधड़ी की जानकारी दी थी तब माल्या ने अदालत से जमानत ले ली थी। माल्या की कानूनी सलाहकार टीम अब हाई कोर्ट को बताएगी कि किंगफिशर एयरलाइंस के लिए लिया गया कर्ज डूबने का असफल कारोबार का मामला है, न कि धोखाधड़ी का। इसलिए विजय माल्या को धोखाधड़ी करने के आरोप में प्रत्यर्पित न किया जाए। माल्या की नीयत गलत नहीं है। वह कर्ज चुकाने को तैयार है।