दिल्ली दुष्कर्म कांड के दोषियों की पुनर्विचार याचिका पर फैसला आज
सुप्रीम कोर्ट सोमवार को 2012 में दिल्ली में हुए सनसनीखेज निर्भया सामूहिक दुष्कर्म सह हत्याकांड के तीन दोषिषयों की फांसी पर फैसला सुनाएगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली दुष्कर्म कांड के तीन दोषियों की फांसी की सजा के खिलाफ दाखिल पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को फैसला सुनाएगा। कोर्ट ने मुकेश, विनय और पवन की पुनर्विचार याचिका पर बहस सुनकर गत 4 मई को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। तब तक चौथे दोषी अक्षय की ओर से पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं हुई थी।
16 दिसंबर 2012 की रात फिल्म देख कर लौटते समय 23 वर्षीय पैरामेडिकल छात्रा निर्भया (बदला हुआ नाम) के साथ छह लोगों ने चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म किया और हैवानियत की सारी सीमाएं लांघ दी थीं। दोषियों ने निर्भया और उसके मित्र को नग्न हालत में चलती बस से नीचे फेक दिया था। यहां तक कि दोनों को कुचल कर मारने की भी कोशिश की गई थी। इस मामले में दिल्ली की निचली अदालत और हाईकोर्ट ने चार दोषियों मुकेश, पवन गुप्ता, अक्षय ठाकुर और विनय शर्मा को मौत की सजा सुनाई थी। एक अभियुक्त ने ट्रायल के दौरान जेल मे खुदकुशी कर ली थी जबकि एक अन्य नाबालिग था जो कि तीन साल की सजा पूरी होने के बाद छूट चुका है।
चारो अभियुक्तों ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट में अपील की थी और सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल पांच मई को चारों की फांसी पर अपनी मुहर लगा दी थी। जिसके बाद तीन अभियुक्तों ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी और कोर्ट के तय नियमों के मुताबिक फांसी की सजा पाए दोषियों की पुनर्विचार याचिका पर तीन न्यायाधीशों दीपक मिश्रा, आर भानुमति और अशोक भूषण की पीठ ने खुली अदालत में बहस सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रखा था।
पूरे देश को झकझोर कर रख देने वाले दिल्ली सामूहिक दुष्कर्म कांड के चारों दोषियों की मौत की सजा पर अपनी मुहर लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 'इस घटना से सदमे की सूनामी आ गई थी और इसने सभ्यता के तानेबाने को पूरी तरह नष्ट कर दिया था।' दोषियों की हैवानियत और अपराध की भयावहता का वर्णन करते हुए कोर्ट ने कहा था कि ऐसा लगता है कि ये कहानी किसी दूसरी दुनिया की है जहां इंसानियत का अनादर होता है।
हम निर्दोष, पुलिस ने फंसाया
तीनों दोषियों के वकील ने सजा पर पुनर्विचार का आग्रह करते हुए सुप्रीम कोर्ट से कहा कि पुलिस ने इन 'निर्दोषों' को फंसाया है, क्योंकि वह असली दोषियों को पकड़ने में विफल रही है। यह भी कहा कि मृत्युदंड की सजा इसका समाधान नहीं है, क्योंकि यह अहिंसा के सिद्धांत के खिलाफ है। दोषी आदतन अपराधी नहीं हैं, उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है।
पिछले साल कायम रखी थी सजा
ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट ने 5 मई 2017 को अपने फैसले में चारों दोषिषयों की फांसी की सजा कायम रखी थी। इससे पहले निचली कोर्ट की सजा की हाई कोर्ट ने पुष्टि कर दी थी। 16 दिसंबर 2012 की रात दिल्ली में चलती बस में एक पैरा मेडिकल छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ था। छात्रा अपने मित्र के साथ देर रात फिल्म देखकर लौट रही थी। दोषिषयों ने उसके साथ वहशियाना हरकत की थी। घटना के 13 दिन बाद निर्भया ने सिंगापुर के अस्पताल में दम तो़ड़ दिया था। मामले में कुल छह आरोपित थे। इनमें से एक नाबालिग था, जिसे तीन साल की सजा काटने के बाद रिहा कर दिया गया है।