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एनडीए उपराष्ट्रपति उम्मीदवार वेंकैया ने पाक को चेताया, कहा न भूले 1971 की लड़ाई

उन्हें याद रखना चाहिए कि 1971 में क्या हुआ था। उन्हें अपने देश पर ध्यान देना चाहिए और वहां शांति बनाए रखना चाहिए।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Sun, 23 Jul 2017 03:52 PM (IST)Updated: Sun, 23 Jul 2017 04:24 PM (IST)
एनडीए उपराष्ट्रपति उम्मीदवार वेंकैया ने पाक को चेताया, कहा न भूले 1971 की लड़ाई
एनडीए उपराष्ट्रपति उम्मीदवार वेंकैया ने पाक को चेताया, कहा न भूले 1971 की लड़ाई

नई दिल्ली, एएनआई। पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर हमला करते हुए एनडीए की तरफ से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार वेंकैया नायडू ने पाकिस्तान को नसीहत दी है। नायडू ने रविवार को कहा कि इस्लामाबाद को 1971 की जंग को याद रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि आतंकवाद को बढ़ावा देने से पाकिस्तान को कोई फायदा नहीं मिलने वाला।

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करगिल पराक्रम परेड को संबोधित करते हुए नायडू ने कहा कि आतंकवाद मानवता का दुश्मन है। इसका कोई धर्म नहीं होता और दुर्भाग्य से यह पाकिस्तान की स्टेट पॉलिसी बन चुका है। नायडू ने कहा, 'हमारे पड़ोसी को समझना चाहिए कि आतंकवाद को मदद और बढ़ावा देने से उसे कोई फायदा नहीं होगा। उन्हें याद रखना चाहिए कि 1971 में क्या हुआ था। उन्हें अपने देश पर ध्यान देना चाहिए और वहां शांति बनाए रखना चाहिए।

आतंकवाद मानवता का दुश्मन है। इसका कोई धर्म नहीं होता। पाकिस्तान आतंकवाद और मजहब का घालमेल कर रहा है। दुर्भाग्य से यह पाकिस्तान की स्टेट पॉलिसी है।'

एनडीए की तरफ से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार नायडू ने आगे कहा कि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और इसका एक इंच भी किसी को लेने नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा, 'हम शांतिप्रिय लोग हैं, हमने कभी किसी देश पर आक्रमण नहीं किया और यह हमारी विशेषता है। हम युद्ध नहीं चाहते, हम टकराव नहीं चाहते, हम हिंसा नहीं चाहते। हम शांति चाहते हैं, हम पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध भी चाहते हैं लेकिन उन्हें भी ऐसा करना होगा।

उन्हें याद रखना चाहिए कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और उसका एक इंच भी, यहां तक कि PoK भी किसी को लेने नहीं दिया जाएगा।'


बता दें कि 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच जंग हुई थी। पूर्वी पाकिस्तान की आजादी की लड़ाई के दौरान 3 दिसंबर 1971 को भारत-पाक जंग की शुरुआत हुई। यह युद्ध महज 13 दिनों तक चला था। इस युद्ध में पाकिस्तान की करारी हार हुई थी और उसके सैनिकों को भारतीय सेना के सामने सरेंडर करना पड़ा था। इस युद्ध के परिणाम के तौर पर बांग्लादेश के रूप में नए देश का जन्म हुआ।

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