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जिन तीन वैक्सीन का PM मोदी ने किया जिक्र, जानें क्‍या हैं उनके नतीजे और कहां तक पहुंचा ट्रायल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना के खिलाफ जिन तीन स्‍वदेशी वैक्सीन का अपने भाषण में जिक्र किया है जानें कैसे रहे हैं उनके नतीजे और कहां तक पहुंचा इनका ट्रायल...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 16 Aug 2020 06:02 AM (IST)Updated: Sun, 16 Aug 2020 03:29 PM (IST)
जिन तीन वैक्सीन का PM मोदी ने किया जिक्र, जानें क्‍या हैं उनके नतीजे और कहां तक पहुंचा ट्रायल
जिन तीन वैक्सीन का PM मोदी ने किया जिक्र, जानें क्‍या हैं उनके नतीजे और कहां तक पहुंचा ट्रायल

नई दिल्ली [जागरण स्‍पेशल]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकिले से जिन तीन वैक्सीन के परीक्षण का जिक्र किया है उनका देश के विभिन्न केंद्रों पर अलग-अलग चरणों में ट्रायल चल रहा है। इनके शुरुआती नतीजे काफी उम्मीद जगाने वाले रहे। इनका विवरण इस प्रकार है...

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बायोटेक/आइसीएमआर

देश की पहली स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन कोवाक्सिन को हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के साथ मिलकर ह्यूमन ट्रायल शुरू कर दिया है। कोवाक्सिन वैक्सीन निष्‍क्र‍िय वैक्सीन की श्रेणी में आती है। इस तरह की वैक्सीन रोगजनकों को निष्‍क्र‍िय कर देती है, जिसके कारण लंबे समय तक संक्रमण नहीं होता। यद्यपि वायरस के कुछ हिस्सों को शरीर के इम्यून सिस्टम के द्वारा पहचाना जा सकता है और वह प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को गति प्रदान कर सकता है। एक बार टीका लगवाने के बाद शरीर एंटीबॉडी का उत्पादन करता है, जो कोरोना वायरस के संक्रमण से लड़ सकता है। वैक्सीन को विकसित करने के लिए वैज्ञानिकों ने सार्स-सीओवी-2 के एक प्रकार का इस्तेमाल किया है, जिसे पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में अलग किया गया था। वैक्सीन ट्रायल जून में एक विवाद में फंस गया था। उस वक्त आइसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने कहा था कि 15 अगस्त के आसपास लांच तिथि देख रहे हैं। हालांकि बाद में भारत बायोटेक ने कहा था कि परीक्षण 15 महीनों से अधिक चलेंगे।

जायडस कैडिला

अहमदाबाद स्थित फार्मास्युटिकल कंपनी जायडस कैडिला वैक्सीन जायकोव-डी का भी ह्यूमन क्लीनिकल ट्रायल जारी है। कंपनी का कहना है कि वैक्सीन अगले साल तक लांच हो सकती है। इस तरह के टीकों में जेनेटिकली इंजीनियर्ड प्लाज्मिड होता है। यह एक छोटा डीएनए अणु होता है, जो कि स्वतंत्र रूप से प्रतिकृति बना सकता है। डीएनए आधारित वैक्सीन को सार्स सीओवी-2 वायरस के किसी अन्य संस्करण की आवश्यकता नहीं होती है। यह वायरस को काफी सामान्य बना देता है।

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया

पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्रा जेनेका द्वारा विकसित वैक्सीन के लिए भारत में परीक्षण शुरू करने के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की अनुमति ली है। वैक्सीन ने पहले ही अमेरिका और ब्राजील सहित दुनिया के कई हिस्सों में तीसरे चरण के परीक्षणों का दौर शुरू कर दिया है। नवंबर में यह ट्रायल खत्म होंगे। वैक्सीन में चिम्पैंजी को प्रभावित करने वाले सामान्य वायरस का कमजोर और गैर-प्रतिकृति संस्करण है, जिसे सार्स-सीओवी-2 स्पाइक प्रोटीन को व्यक्त करने के लिए डिजाइन किया गया है। कोरोना वायरस का स्पाइक प्रोटीन इसे मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने की अनुमति देता है। इस प्रोटीन की उपस्थिति शरीर में प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया बढ़ाती है। कंपनी वैक्सीन उत्पादन में तेजी लाने के लिए बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के साथ काम कर रही है और इसे कम लागत पर कम और मध्यम आय वाले देशों में आपूर्ति के लिए तैयार है। 


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