टीकाकरण को लेकर बोले विशेषज्ञ, कोरोना की गंभीरता और मौतों को कम करती है वैक्सीन
विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि अभी तक क्लीनिकल या महामारी विज्ञान के किसी भी अध्ययन में यह साबित नहीं हुआ है कि टीकाकरण के बाद पैदा होने वाली स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों या मौतों और टीके के बीच कोई सीधा संबंध है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। देश के कुछ हिस्सों में टीकाकरण के बाद भी लोगों के दोबारा संक्रमित होने के मामलों के बीच विशेषज्ञों ने टीकाकरण और इस्तेमाल किए जा रहे टीकों को लेकर कई बातें स्पष्ट की हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कोई भी टीका कोरोना वायरस के संक्रमण को गंभीर नहीं होने देता। टीका लगवाने के बाद कोरोना वायरस के संक्रमण से मृत्यु की संभावना भी कम हो जाती है, लेकिन टीका वायरस के खिलाफ शील्ड का काम नहीं करता है।
विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि अभी तक क्लीनिकल या महामारी विज्ञान के किसी भी अध्ययन में यह साबित नहीं हुआ है कि टीकाकरण के बाद पैदा होने वाली स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों या मौतों और टीके के बीच कोई सीधा संबंध है। बता दें कि दिल्ली, चेन्नई जैसे महानगरों से लेकर मध्य और छोटे शहरों में भी टीकाकरण के बाद लोगों के संक्रमित होने के मामले सामने आ रहे हैं। कुछ लोगों की मौतें भी हुई हैं। इनमें से कई लोगों ने तो टीके की दोनों डोज भी ले ली थी। केंद्र का कहना है कि दोनों टीके-कोविशील्ड और कोवैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित हैं और लोगों को अफवाहों पर ध्यान नहीं देना चाहिए।
दोनों डोज लेने के बाद वैक्सीन पूरी तरह प्रभावी: विशेषज्ञ
नई दिल्ली में अपोलो अस्पताल में फेफड़ा रोग विशेषज्ञ डॉ. अवधेश बंसल ने कहा कि टीकाकरण के बाद भी लोगों के संक्रमित होने के मामले सामने आए हैं। दोनों डोज लेने वाले भी संक्रमित हुए हैं, लेकिन ऐसे लोगों में संक्रमण बहुत हल्का है। वैक्सीन संक्रमण की गंभीरता और मृत्यु की संभावना को कम करती है। उन्होंने कहा कि दोनों डोज लेने के बाद ही वैक्सीन पूरी तरह से प्रभावी होती है।
दोनों डोज लेने के बाद ही सक्रिय होती है एंटीबॉडी
फोर्टिस अस्पताल में फेफड़ा रोग विशेषज्ञ डॉ. रीचा सरीन ने डॉ. बंसल की बातों का समर्थन किया। उन्होंने कहा, 'दोनों डोज लेने के बाद ही एंटीबॉडी पूरी तरह से सक्रिय होती है। इसलिए पहली डोज लेने वाला व्यक्ति अगर संक्रमण के करीब जाता है तो उसका बीमार होना संभव है।'
दिल्ली के एक सरकारी अस्पताल में वरिष्ठ डॉक्टर ने अपना नाम गुप्त रखते हुए कहा कि वैक्सीन वायरस के खिलाफ पूर्ण सुरक्षा कवच नहीं है। टीके के साथ ही मास्क वायरस के खिलाफ लड़ाई को मजबूत बना सकती है, जो तेजी से बदल रहा है।
नाक और मुंह को अच्छी तरह से ढकना जरूरी
उन्होंने कहा, 'बहुत लोग समझते हैं कि टीका लगवाने के बाद वो वायरस से पूरी तरह सुरक्षित हो गए। इसलिए वो या ता मास्क पहनते नहीं या ढंग से नहीं पहनते। वायरस सबसे पहले नाक या मुंह से शरीर में प्रवेश करता है और फेफड़े तक पहुंचता है। इसलिए अगर नाक और मुंह खुला रहता है तो टीकाकरण के बाद भी व्यक्ति के संक्रमित होने की संभावना रहती है।'
हर साल कोरोना रोधी टीकाकरण की पड़ सकती है जरूरत
कोरोना वायरस के खिलाफ टीका बनाने वाली अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर के सीईओ अल्बर्ट बौरला ने कहा है कि हर साल कोरोना रोधी टीकाकरण की जरूरत पड़ सकती है। उन्होंने यह भी कहा है कि टीके की दोनों डोज लेने वालों को एक साल के भीतर तीसरी डोज भी लेनी पड़ सकती है।
एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में बौरला ने कहा कि अभी तक के जो आंकड़ें है उसके मुताबिक ऐसा लग रहा है कि कोरोना वायरस से बचने के लिए हर साल टीका लगवाना होगा। दो डोज लेने के बाद छह महीने से एक साल के भीतर तीसरी डोज लेने की जरूरत होगी। हालांकि, यह इस पर भी निर्भर करेगा कि वायरस में किस तरह के बदलाव होते हैं।