यूपी में आइपीएस अधिकारियों की कमी पड़ रही भारी
बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर भले ही उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार सवालों के घेरे में हो, लेकिन हकीकत का एक पहलू यह भी यह है कि यहां कानून-व्यवस्था के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार आइपीएस अधिकारियों की भारी किल्लत है। फिलहाल राज्य में 105 आइपीएस अधिकारियों की कमी है, जो देश में सबसे अधिक है।
नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर भले ही उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार सवालों के घेरे में हो, लेकिन हकीकत का एक पहलू यह भी यह है कि यहां कानून-व्यवस्था के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार आइपीएस अधिकारियों की भारी किल्लत है। फिलहाल राज्य में 105 आइपीएस अधिकारियों की कमी है, जो देश में सबसे अधिक है। इसके बाद पश्चिम बंगाल का नंबर आता है, जहां आइपीएस अधिकारियों के 96 पद खाली हैं।
गृह मंत्रालय के पास मौजूद आंकड़ों के अनुसार उप्र जैसे बड़े राज्य में कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए 489 आइपीएस अधिकारियों की जरूरत है, लेकिन फिलहाल यहां महज 384 आइपीएस अधिकारी तैनात हैं। इसी तरह पश्चिम बंगाल में आइपीएस अधिकारियों के कुल 347 पदों में 251 ही भरे हैं। इस समस्या से अन्य राज्य भी ग्रसित हैं। दरअसल, पूरे देश में आइपीएस अधिकारियों के कुल 4728 पद हैं, लेकिन मौजूदा समय में केवल 3798 आइपीएस अधिकारी ही तैनात हैं। यानी आइपीएस अधिकारियों के कुल 930 पद खाली हैं।
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आइपीएस अधिकारियों की यह कमी नई बात नहीं है। 2005 से ही इसे महसूस की जा रही है। यही कारण है कि यूपीएससी द्वारा 2005 तक जहां 80-85 आइपीएस अधिकारी चुने जाते थे, उसके बाद हर साल लगभग 150 आइपीएस चुने जा रहे हैं। लेकिन इससे आइपीएस अधिकारियों की कमी दूर होने में लंबा समय लग सकता है। इसी कारण पूर्व गृहमंत्री चिदंबरम ने केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों के अधिकारियों की विशेष परीक्षा लेकर आइपीएस में सीधे भर्ती की योजना बनाई थी, जो कानूनी पचड़े के कारण परवान नहीं चढ़ सकी। वहीं गृह मंत्रालय राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों को प्रोन्नति देकर आइपीएस बनाने की प्रक्रिया में तेजी लाने पर भी विचार कर रही है।
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