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टीके की फांस : वैक्सीन के कच्चे माल की आपूर्ति पर अमेरिका की चुप्पी, मई के तीसरे हफ्ते बाद घट सकती है उत्‍पादन क्षमता

अगर दो-तीन हफ्तों में अमेरिका व यूरोपीय देशों की सरकारों इस बारे में सकारात्मक फैसला नहीं करती हैं तो इसका असर देश में कोविड के खिलाफ लड़ाई पर भी पड़ सकता है। भारत में वैक्सीन बनाने के लिए 37 तरह के उत्पादों के आयात की जरूरत होती है।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Mon, 19 Apr 2021 09:14 PM (IST)Updated: Mon, 19 Apr 2021 09:55 PM (IST)
टीके की फांस : वैक्सीन के कच्चे माल की आपूर्ति पर अमेरिका की चुप्पी, मई के तीसरे हफ्ते बाद घट सकती है उत्‍पादन क्षमता
वैक्सीन के कच्चे माल की आपूर्ति पर अमेरिका की चुप्पी। फाइल फोटो।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। Vaccine trap: अमेरिका भारत को अपना रणनीतिक साझेदार घोषित कर चुका है। सैन्य क्षेत्र से लेकर स्वास्थ्य सेक्टर में सहयोग की कई योजनाओं पर काम भी चल रहा है लेकिन अभी भारत को जिस चीज की सबसे ज्यादा दरकार है उसको लेकर अमेरिका ने चुप्पी साध रखी है। वह है कोरोना महामारी के लिए वैक्सीन बनाने में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल। भारतीय कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट जो वैक्सीन बना रही है, उसमें इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल का बड़ा हिस्सा अमेरिका से आता है। अभी अमेरिका ने इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखा है।

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ज्यादा वैक्सीन बनाने की जरूरत होगी

अब जबकि केंद्र सरकार ने देश में 18 वर्ष से ज्यादा आय़ु के सभी लोगों को वैक्सीन लगाने का फैसला किया है तो और ज्यादा वैक्सीन बनाने की जरूरत होगी। अगर दो-तीन हफ्तों में अमेरिका व यूरोपीय देशों की सरकारों इस बारे में सकारात्मक फैसला नहीं करती हैं तो इसका असर देश में कोविड के खिलाफ लड़ाई पर भी पड़ सकता है।अमेरिकी सरकार की यह चुप्पी तब है जब भारत सरकार के साथ ही वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां लगातार आग्रह कर रही हैं। पिछले महीने जब अमेरिका के रक्षा मंत्री ऑस्टिन भारत की यात्रा पर आये थे तब भारत की तरफ से यह मुद्दा उनके समक्ष उठाया गया था। 

सीरम के सीईओ बाइडन से एक भावुक आग्रह भी किया था

उसके बाद सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला की तरफ से कई बार आग्रह किया जा चुका है। पिछले हफ्ते पूनावाला ने इस बारे में सोशल मीडिया साइट ट्विटर के जरिये अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से एक भावुक आग्रह भी किया था। उन्होंने लिखा था कि, 'आदरणीय राष्ट्रपति, अगर हम सच में इस वायरस को हराने में एक साथ हैं तो अमेरिका के बाहर स्थित वैक्सीन निर्माताओं की तरफ से मैं आपसे यह विनम्र निवेदन करता हूं कि कच्चे माल के निर्यात पर लगी रोक को हटाइये ताकि वैक्सीन के उत्पादन को तेज किया जा सके। आपकी सरकार के पास सारी जानकारी उपलब्ध है।' 

वैक्सीन बनाने के लिए 37 तरह के उत्पादों के आयात की जरूरत

असलियत में अमेरिका ही नहीं बल्कि यूरोपीय संघ ने भी वैक्सीन निर्माण में इस्तेमाल होने वाले कई तरह के कच्चे माल के निर्यात पर रोक लगा रखी है। भारत में वैक्सीन बनाने के लिए 37 तरह के उत्पादों के आयात की जरूरत होती है और अभी इन सभी की आपूर्ति बाधित है। एक तरफ देश में वैक्सीन की जरूरत को देखते हुए कंपनियों पर उत्पादन क्षमता बढ़ाने का दबाव है तो दूसरी तरफ इसके लिए जरूरी कच्चे माल की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। एयरफिनिटी नाम की एक कंपनी की रिपोर्ट बताती है कि अमेरिका से कच्चे माल की आपूर्ति नहीं होने पर भारत की 16 करोड़ वैक्सीन डोज बनाने की क्षमता मई, 2021 के तीसरे हफ्ते के बाद संकुचित हो सकती है।

भारत ने दूसरे देशों को निर्यात करने पर अघोषित पाबंदी लगाई

भारत की वैक्सीन निर्माण की क्षमता प्रभावित होने का असर पूरी दुनिया में कोरोना के खिलाफ लड़ाई में दिखाई दे सकता है। दुनिया के कई देश कोरोना में इस्तेमाल होने वाले वैक्सीन के लिए भारत का मुंह देख रहे हैं। शुरुआत में भारत ने कई देशों को इसकी आपूर्ति में काफी दरियादिली दिखाई लेकिन अब जब घरेलू स्तर पर जरूरत बढ़ गई है तो भारत ने दूसरे देशों को निर्यात करने पर अघोषित पाबंदी लगा दी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से भी भारत में वैक्सीन निर्यात के घटने को लेकर ¨चता जताई गई है।

विदेश मंत्री ने कुछ बड़े देशों से की बात 

  • विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि वैक्सीन निर्माण में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल को लेकर उनकी कुछ बड़े देशों से बात हो रही है। हालांकि, उन्होंने इसके बारे में विस्तार से नहीं बताया लेकिन यह संकेत जरूर दिया कि भारत वैक्सीन सप्लाई की ग्लोबल चेन का हिस्सा है और जिस तरह से दूसरे देश भारत को कच्चा माल देते हैं उसी तरह से भारत को दूसरे देशों को तैयार उत्पाद देना पड़ता है। जयशंकर ने दूसरे देशों को वैक्सीन निर्यात करने के सरकार के फैसले की आलोचना करने वालों को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग गंभीर नहीं हैं, उन्हें भारत की अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के बारे में भान नहीं है।
  • एक ऑनलाइन परिचर्चा में उन्होनें यह भी कहा कि भारत सरकार के लिए अपने नागरिकों को वैक्सीन लगाना हमेशा से सबसे पहली प्राथमिकता रही है। अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं की वजह से हमें दूसरे देशों को भी इसकी आपूर्ति करनी होती है। लेकिन अब हालात ज्यादा कठिन हो गये हैं और हमने दूसरे देशों को अपनी स्थिति के बारे में बताया है। लेकिन एक विदेश मंत्री के तौर पर दूसरे देशों को भारत को कच्चे माल की आपूर्ति करने के लिए मनाने की कोशिश कर रहा हूं। यह संभव नहीं है कि हम दूसरे देशों से कच्चा माल लें लेकिन उससे तैयार माल उन्हें नहीं दें। हालांकि अब हम ईमानदारी से दूसरे देशों को पूरी स्थिति स्पष्ट कर रहे हैं कि हमने पहले वैक्सीन आपूर्ति की लेकिन अभी हमारे देश में हालात बिगड़ गए हैं। ज्यादातर देश हमारी बात समझ रहे हैं।

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