Move to Jagran APP

पाकिस्तान ही नहीं अमेरिका और चीन की भी है भारत के लोकसभा चुनाव पर नजर, ये है वजह!

भारत में दो माह राजनीतिक दृष्टि से काफी अहम है। लेकिन यह समय सिर्फ भारत के लिए ही अहम नहीं है बल्कि कुछ अन्‍य देशों के लिए भी खास है। इन देशों की निगाह यहां के चुनाव पर लगी है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Thu, 28 Mar 2019 11:31 AM (IST)Updated: Fri, 29 Mar 2019 08:45 AM (IST)
पाकिस्तान ही नहीं अमेरिका और चीन की भी है भारत के लोकसभा चुनाव पर नजर, ये है वजह!
पाकिस्तान ही नहीं अमेरिका और चीन की भी है भारत के लोकसभा चुनाव पर नजर, ये है वजह!

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। भारत में होने वाले लोकसभा चुनाव पर यूं तो पूरी दुनिया की निगाहें लगी हुई हैं, लेकिन इनमें भी कुछ देश ऐसे हैं जो इन चुनावों पर विशेषतौर पर निगाह रखे हुए हैं। इसके पीछे एक नहीं कई वजह हैं। इनमें पहली और सबसे बड़ी वजह भारत का बढ़ता बाजार है, जिसको अपनी तरफ करने में कोई देश पीछे नहीं रहना चाहता है। बहरहाल, सबसे पहले हम उन देशों की बात कर लेते हैं जिनकी विशेष निगाह भारत के चुनाव पर लगी है और क्‍यों। गौरतलब है कि भारत में 11 अप्रैल से चुनाव होने हैं। पूरे देश में सात चरणों में मतदान करवाए जाएंगे। इसका अंतिम चरण का मतदान 19 मई को होगा 23 मई को चुनाव का परिणाम सभी के सामने आ जाएगा। 

loksabha election banner

पाकिस्‍तान
यूं तो भारत के सभी पड़ोसी देशों की निगाह यहां होने वाले लोकसभा चुनाव पर लगी हैं, लेकिन इनमें पाकिस्‍तान बेहद खास है। खुद पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इस बात की तसदीक कर चुके हैं। आपको यहां पर ये भी बता दें कि भले ही पिछले कुछ समय से भारत और पाकिस्‍तान के बीच संबंधों में गिरावट के बावजूद दोनों देशों के बीच वर्ष 2016-17 में भारत ने पाकिस्‍तान के साथ करीब 1821 मिलियन यूएस डॉलर का एक्‍सपोर्ट किया था जबकि इसी दौरान पाकिस्‍तान से करीब 454 मिलियन यूएस डॉलर का सामान इंपोर्ट किया गया था। यह आंकड़ा इस लिहाज से भी बेहद खास है क्‍योंकि इसी वर्ष सितंबर 2016 में जैश ए मुहम्‍मद के आतंकियों ने भारतीय सेना के कैंप पर हमले को अंजाम दिया था। इसमें 19 जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद से आज तक दोनों ही देशों के संबंध बेहद निचले स्‍तर पर आ गए थे, इसके बाद भी व्‍यापार बादस्‍तूर जारी रहा था। लिहाजा वजह साफ है कि दोनों ही देश एक दूसरे के बाजार को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। आपको यहां पर ये भी बताना जरूरी होगा कि वर्ष 2006 से लेकर वर्ष 2017 तक के बीच 2013-14 में दोनों देशों के बीच सबसे अधिक व्‍यापार हुआ था। इस दौरान भारत ने 2274 मिलियन यूएस डॉलर का एक्‍सपोर्ट किया था, जबकि 427 मिलियन यूएस डॉलर का इंपोर्ट किया गया था। भारत ने इस दौरान कॉटन, ऑर्गेनिक केमिकल, प्‍लास्टिक की चीजें, डाई, रंगाई के सामाना, तेल, न्‍यूक्लियर रिएक्‍टर, बॉयलर से जुडे सामान, मशीन, फल, दालें, मेडिकल प्‍लांट्स, चीनी, फार्मासूटिकल्‍स प्रोडेक्‍ट्स कॉफी, चाय, रबड़ आदि का व्‍यापार हुआ था। यहां पर ये भी बताना सही होगा कि पाकिस्‍तान को भारत ने पुलवामा हमले से पहले तक मोस्‍ट फेवर्ड नेशन का दर्जा दिया हुआ था। इसके तहत उसको कई तरह की रियायतें दी जाती थीं।

आने वाले समय में भारत में किसकी सरकार बनेगी उस पर भविष्‍य की नीतियां भी तय होती हैं। यह नीतियां न सिर्फ व्‍यापार के मद्देनजर होती हैं बल्कि रणनीतिक भी होती हैं। क्‍योंकि हम दोनों पड़ोसी मुल्‍क हैं इसलिए हमारे यहां की सुख, शांति और समृद्धि से कहीं न कहीं हमारे पड़ोसी मुल्‍क भी पूरी तरह से प्रभावित होते हैं। ठीक ऐसे ही यदि हमारे किसी भी पड़ोसी मुल्‍क में किसी भी सूरत से अस्थिरता का माहौल बनता है तो उससे भारत भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता है। इसके अलावा पाकिस्‍तान की नजरें भारत में होने वाले चुनाव पर इसलिए भी लगी हुई हैं क्‍योंकि वह लगातार नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व में बनी सरकार पर सवाल उठाता रहा है। वह भले ही कश्‍मीर का मसला रहा हो या फिर किसी भी आतंकी हमले या फिर मसूद समेत अन्‍य दूसरे आतंकियों का मसला रहा हो, हर मुद्दे पर उसने भारत की सरकार को घेरने की कोशिश की है। इसके अलावा वह लगातार भारत की मौजूदा सरकार और भाजपा को अल्‍पसंख्‍यकों के खिलाफ बताता रहा है। पाकिस्‍तान की निगाह इस वजह से भी भारत के चुनाव पर लगी है क्‍योंकि भारत ने बीते पांच वर्षों में पाकिस्‍तान की हर गलती का मुंहतोड़ जवाब दिया है। बात चाहे उरी हमले के बाद सर्जिकल स्‍ट्राइक की हो या फिर बालाकोट में एयर स्‍ट्राइक की या फिर पाकिस्‍तान की चौकियों को तबाह करने की बात, हर बार भारत ने पाकिस्‍तान को करारा जवाब दिया है। इस वजह से भी पाकिस्‍तान को मौजूदा सरकार के दोबारा सत्ता में वापस आने का डर सता रहा है। इसकी वजह से भी उसकी निगाह इन चुनावों पर लगी है।

चीन
भारत के दूसरे पड़ोसी मुल्‍क चीन की भी निगाह भारत के चुनाव पर लगी है। भारत और चीन के बीच करीब 4056 किमी की सीमा एक दूसरे से मिलती है। यह सीमा जम्‍मू कश्‍मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक है। इसके बीच में तीन अन्‍य राज्‍य भी आते हैं। वहीं चीन के साथ कई जगहों पर भारत का सीमा विवाद भी है। अक्‍साई चिन भी ऐसा ही हिस्‍सा है, जिस पर चीन ने अवैध रूप से कब्‍जा किया हुआ है। वहीं चीन अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्‍सा बताता रहा है। इसके अलावा धर्म गुरू दलाई लामा को भारत में शरण देने से भी चीन काफी खफा है। वहीं बीते पांच वर्षों के दौरान डोकलाम विवाद ने दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव को काफी बढ़ा दिया था। यह विवाद करीब दो माह से भी अधिक समय तक चला था। लेकिन इतने मतभेदों और विवादों के बीच भी दोनों देशों के बीच हुए व्‍यापार को एक नई दिशा मिली थी। आपको बता दें कि वर्ष 2018 में दोनों ही देशों के बीच 2017 के मुकाबले अधिक व्‍यापार हुआ था। भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक भारत ने चीन को 18.1584 बिलियन यूएस डॉलर का एक्‍सपोर्ट किया था जो वर्ष 2017 के मुकाबले करीब 15.2 फीसद अधिक था। पिछले दिनों चीन में एक बैठक के दौरान वाणिज्‍य सचिव अनूप वाधवन ने यह आंकड़ा पेश किया था। इस बैठक में दोनों ही देशों ने व्‍यापार को तरजीह दिए जाने और इसको अधिक करने पर भी रजामंदी जाहिर की थी।

भारत के चुनाव पर निगाह की बात करें तो चीन इस बात को बखूबी जानता है कि भारत का बढ़ता बाजार उसके लिए सोने की खान जैसा है। यही वजह है कि बीते पांच वर्षों में चीन ने अरबों डॉलर का निवेश भारत में किया है। वर्तमान में भारतीय बाजारों में मिलने वाले चीन के उत्‍पाद इस बात की साफतौर पर गवाही देते हैं। यही वजह है कि चीन इतने बड़े बाजार को हाथ से जाने नहीं देना चाहता है। वर्ल्‍ड बैंक भारत को पहले ही उभरती हुई अर्थव्‍यवस्‍था करार दे चुका है। उसके मुताबिक मौजूदा वर्ष में भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था में 7.3 फीसद की दर से वृद्धि करेगी, जो कई देशों के मुकाबले काफी बेहतर है। इतना ही नहीं वर्ल्‍ड बैंक के मुताबिक 2025 तक भारत चार खरब यूएस डॉलर के साथ दुनिया का तीसरा बड़ा बाजार होगा।

आपको यहां पर ये भी बता दें कि भारत का पाकिस्‍तान और चीन के साथ किसी भी तरह से सैन्‍य सामग्री की खरीद-फरोख्‍त को लेकर व्‍यापार नहीं होता है। वहीं दोनों ही देश भारत के लिए कई बाधा उत्‍पन्‍न करते रहते हैं। इसके अलावा चीन पाकिस्‍तान का बड़ा रणनीतिक साझेदार है। चीन पाकिस्‍तान को जेएफ 17 से लेकर पनडुब्बियां तक सौंप चुका है। इसके अलावा भी वह पाकिस्‍तान को दूसरे छोटे और बड़े हथियारों की सप्‍लाई करता रहता है। चीन हर उस मुद्दे पर पाकिस्‍तान का साथ देता रहा है जिस पर भारत का उससे विवाद है। इसके बाद भी दोनों देशों के बीच व्‍यापार को लेकर कोई सवाल नहीं उठा है। इस बात से जानकार भी इंकार नहीं कर सकते हैं कि आने वाले समय में किसी भी देश का बढ़ता बाजार वहां के लिए समृद्धि की कुंजी होगा। इस बात को चीन भलिभांति समझता है।

जहां तक चीन के इस आम चुनाव पर नजर की बात है तो आपको यहां पर ये भी बता देना सही होगा कि हर तरह के विवाद के बाद भी मौजूदा मोदी सरकार के दौरान दोनों देशों के बीच सबसे अधिक व्‍यापार दर्ज किया गया। 2017 में दोनों देशों के बीच 84.44 बिलियन यूएस डॉलर का व्‍यापार हुआ था। इस दौरान भारत से होने वाले एक्‍सपोर्ट में भी 2016 के मुकाबले करीब 40 फीसद की तेजी दर्ज की गई थी। मोदी सरकार ने वर्ष 2015 में कहा था कि इसको करीब सौ बिलियन यूएस डॉलर तक पहुंचाना है।

अमेरिका
बीते पांच वर्षों के दौरान अमेरिका के लिए भारत काफी मायने रखता है। इन वर्षों में दोनों देशों ने न सिर्फ रणनीतिक क्षेत्र में बल्कि दूसरे क्षेत्रों में भी अपनी साझेदारी बखूबी निभाई है। हाल ही में अमेरिका ने भारत को चार चिनूक हेलीकॉप्‍टर भी सौंपे हैं। इसके अलावा कई दूसरे डिफेंस से जुड़े समझौते जमीनी हकीकत बनने वाले हैं। अमेरिका की बात करें तो वह पूर्व में पाकिस्‍तान का काफी करीबी रह चुका है, लेकिन वर्तमान में ऐसा नहीं है। वहीं चीन से उसका कई मुद्दों पर 36 का आंकड़ा है। बीते पांच वर्षों में अमेरिका और भारत काफी करीब आए हैं। हालांकि भारत और अमेरिका के बीच भी विवाद कम नहीं हैं। आपको बता दें कि पेरिस समझौते में अमेरिका ने भारत के खिलाफ बयानबाजी की थी। इसके अलावा अमेरिका द्वारा छेड़े गए ट्रेड वार में भारत भी शामिल है। वहीं दूसरी तरफ एचवन बी वीजा मुद्दे पर भारत में नाराजगी है। इन मुद्दों का असर कहीं न कहीं दोनों देशों के बीच हुए व्‍यापार पर भी पड़ा है। दोनों देशों के बीच वर्ष 2018 में व्‍यापारिक घाटे में करीब डेढ़ बिलियन यूएस डॉलर से अधिक का इजाफा हुआ है। यह 2017 के मुकाबले करीब सात फीसद है। लेकिन इन सभी के बाद भी दोनों देश लगातार व्‍यापार को बढ़ाने की बात कर रहे हैं। इसकी वजह बेहद साफ है। अमेरिका के लिए भी भारत का बाजार काफी मायने रखता है। अपने सामान को खपाने के लिए इस बाजार की उसको भी उतनी ही जरूरत है जितनी चीन को। यही वजह है कि उसकी निगाहें भारत में होने वाले आम चुनावों पर लगी है। दरअसल, आने वाली सरकार ही दूसरे देशों के साथ होने वाले व्‍यापार की दिशा और दशा तय करेगी। लिहाजा ये तीनों देश भारत के चुनाव से निगाह नहीं चुरा सकते हैं।

ब्रेक्जिट के चलते ब्रिटेन, यूरोपियन यूनियन को होगा नुकसान, अमेरिका और चीन को हो सकता है फायदा


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.