अमेरिकी जेवलिन मिसाइल की राह में रोड़े
अमेरिका से टैंक रोधी मिसाइल 'जेवेलिन' को हासिल करने की योजना परवान चढ़ती नजर नहीं आ रही है। अमेरिका न तो इसकी प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के लिए तैयार है और न ही जमीनी परीक्षण के लिए इसे भारतीय विशेषज्ञों को मुहैया करवा रहा है। इन दोनों समस्याओं के रहते इस सौदे पर पर आगे बढ़ना मुश्किल है।
नई दिल्ली। अमेरिका से टैंक रोधी मिसाइल 'जेवेलिन' को हासिल करने की योजना परवान चढ़ती नजर नहीं आ रही है। अमेरिका न तो इसकी प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के लिए तैयार है और न ही जमीनी परीक्षण के लिए इसे भारतीय विशेषज्ञों को मुहैया करवा रहा है। इन दोनों समस्याओं के रहते इस सौदे पर पर आगे बढ़ना मुश्किल है।
भारत ने अपनी पैदल सेना को दुश्मन की बख्तरबंद टुकड़ियों को नष्ट करने की ताकत से लैस करने के लिए इजरायल से स्पाइक मिसाइल के अलावा अमेरिका से तीसरी पीढ़ी की टैंक रोधी जेवलिन मिसाइलें खरीदने का फैसला किया है। लेकिन अमेरिकी अड़ंगेबाजी के कारण यह सिरे नहीं चढ़ पा रहा है। भारत की आपत्तियों पर अमेरिकी मिसाइल निर्माता कंपनी रेथियॉन का कहना है कि हम पूरी तरह सहयोग को तैयार हैं। जेवलिन मिसाइलों का निर्माण रेथियॉन और लॉकहीड मार्टिन के संयुक्त उपक्रम में किया जाता है लेकिन इसकी बिक्री अमेरिकी सरकार के जरिए की जाती है।
दोनों देशों के बीच इस मिसाइल को लेकर सौदा दो साल से अटका पड़ा है। अगस्त, 2010 में ही रक्षा मंत्री एके एंटनी ने अमेरिकी को इस संबंध में अनुरोध पत्र भेजे जाने की बात कही थी। हालांकि अमेरिका जबानी तौर पर यह कहता रहा है कि भारत को अहम प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण को सुगम बनाया जाएगा, लेकिन हकीकत में उसकी ओर से कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। हाल ही में यहां आए अमेरिकी रक्षा मंत्री लियोन पेनेटा ने भी आश्वासन दिया कि जेवलिन मिसाइल की प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण पर जल्द कदम उठाए जाएंगे।
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