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दो दिवसीय यात्रा पर विशाखापट्टनम पहुंचा अमेरिकी नौसोना का जहाज, पारंपरिक तरीके से हुआ स्वागत

संयुक्त राज्य नौसेना पनडुब्बी समर्थन जहाज यूएसएस एमोरी एस लैंड दो दिवसीय सद्भावना यात्रा पर सोमवार को विशाखापत्तनम पहुंच गया है।

By Ayushi TyagiEdited By: Published: Tue, 15 Oct 2019 09:38 AM (IST)Updated: Tue, 15 Oct 2019 09:38 AM (IST)
दो दिवसीय यात्रा पर विशाखापट्टनम पहुंचा अमेरिकी नौसोना का जहाज, पारंपरिक तरीके से हुआ स्वागत
दो दिवसीय यात्रा पर विशाखापट्टनम पहुंचा अमेरिकी नौसोना का जहाज, पारंपरिक तरीके से हुआ स्वागत

 नई दिल्ली,एएनाआइ। यूएसएस एमोरी एस लैंड (एएस -39), संयुक्त राज्य नौसेना पनडुब्बी समर्थन जहाज पूर्वी नौसेना कमान की दो दिवसीय सद्भावना यात्रा पर सोमवार को विशाखापत्तनम पहुंच गया है। जहाज के आने पर  नौसेना ने अपने बैंड के साथ पारंपरिक तरीके से उसका स्वागत किया गया।

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दोनों नौसेनाओं के बीच हुआ ज्ञान का  आदान-प्रदान 

एक आधिकारिक बयान में बताया गया है कि इस जहाज की कमान कैप्टन माइकल लकनेट के पास है, जिन्हें पनडुब्बी मिशन के समर्थन में तैनात किया गया है। विशाखापत्तनम में जहाज के प्रवास के दौरान दोनों नौसेनाओं के अधिकारियों के बीच ज्ञान का आदान-प्रदान हुआ। साथ ही दोनों सेनाओं से सबसे अच्छा प्रैक्टिस को लेकर भी बातचीत की। साथ ही क्रॉस विज़िट को लेकर भी योजना बनाई गई।

अमेरिकी दूतावास के अधिकारी भी होंगे शामिल

माना जा रहा है कि नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास और अमेरिकी वाणिज्य दूतावास के अधिकारियों भी इस दो-दिवसीय कार्यक्रम में शामिल हो सकता हैं साथ ही उम्मीद है कि वह नौसेना और नागरिक गणमान्य व्यक्तियों के साथ आधिकारिक बातचीत करेंगे।

भारत, अमेरिका और जापान की नौसेनाओं ने किया अभ्या

बता दें कि इससे पहले सितंबर महीने में भारत, अमेरिका और जापान तीनों देशों की नौसेनाओं ने प्रशांत महासागर में 'मालाबार 2019' त्रिपक्षीय समुद्रीय अभ्यास किया था। इस अभ्यास में भारतीय नौसेने के दो जहाजों को शामिल किया गया था। चार अक्टूबर को इस अभ्यास का समापन किया गया था। इस अभ्यास में आईएनएस किल्टन और आईएनएस सहयाद्रि  को सैन्य शामिल किया गया था। इस दौरान  अमेरिकी नौसेना का प्रतिनिधित्व लॉस एजेंल्स का हमलावर यूएसएस मैक कैंपबेल पनडुब्बी ने किया था। इस दौरान विमान पी 8 ए को भी शामिल किया गया था जो कि लंबी दूरी से समुद्र की निगरानी कर सकता है। दरअसल, इस तरह के क्षेत्रों में युद्धाभ्यास करना नौसेनाओं के लिए काफी मददगार साबित होता है। ऐसा करने से उन्हें लड़ाई के वक्त आने वाली दिक्कतों का अंदाजा हो जाता है।


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