अमेरिकी नौसेना के पोत ने समुद्री कानून तोड़ा, भारत ने जताया कड़ा एतराज, बाइडन प्रशासन को कराया अवगत
अमेरिकी नौसेना के सातवें बेड़े के कमांडर की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि उसने लक्षद्वीप के निकट समुद्री इलाके में बुधवार को पूर्व अनुमति लिए बिना फ्रीडम आफ नेवीगेशन कर समुद्री इलाकों को लेकर भारत के अत्यधिक दावे को चुनौती दी है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अमेरिकी नौसेना के सातवें बेड़े के नौसैनिक जहाज ने भारत की अनुमति के बिना ही लक्षद्वीप के निकट अरब सागर की सीमा पर अभ्यास कर नया विवाद पैदा कर दिया है। भारतीय समुद्री सीमा में अभ्यास करने के साथ ही अमेरिकी नौसेना ने यह कहा भी है कि उसके सातवें बेड़े ने भारत की पूर्व अनुमति के बिना ही फ्रीडम आफ नेवीगेशन आपरेशन किया। अमेरिकी नौसेना का यह आपरेशन भारत की समुद्री सुरक्षा नीति के खिलाफ है और इसीलिए भारत ने कूटनीतिक चैनल के जरिये समुद्री सीमा में हुए इस अतिक्रमण पर एतराज करते हुए अमेरिकी सरकार से अपनी चिंताएं जाहिर कर दी है।
अमेरिकी नौसेना के सातवें बेड़े के कमांडर की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि उसने लक्षद्वीप के निकट समुद्री इलाके में बुधवार को पूर्व अनुमति लिए बिना फ्रीडम आफ नेवीगेशन कर समुद्री इलाकों को लेकर भारत के अत्यधिक दावे को चुनौती दी है।
भारत से नहीं मांगी पूर्व अनुमति
सातवें बेडे़ के कमांडर की ओर से जारी इस बयान में कहा गया है कि समुद्र में भारत के विशेष आर्थिक जोन के भीतर फ्रीडम ऑफ नेवीगेशन के इस आपरेशन को गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रायर यूएसएस जान पाल जोंस ने सात अप्रैल को अंजाम दिया। आपरेशन लक्षद्वीप से 130 नाटिकल मील पश्चिम में भारत के विशेष आर्थिक जोन में हुआ, जिसके लिए सातवें बेड़े ने नेवीगेशन राइट्स और फ्रीडम के अधिकार का इस्तेमाल किया और भारत की पूर्व अनुमति नहीं मांगी। अमेरिकी नौसेना का यह भी कहना है कि भारतीय कानूनों के हिसाब से विशेष आर्थिक जोन में आवाजाही के लिए पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य है। मगर भारत का यह रुख अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानूनों के अनुरूप नहीं है।
अमेरिकी सेनाएं हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रोजाना करती हैं आपरेशन
भारत के समुद्री सुरक्षा कानूनों के खिलाफ अमेरिकी नौसेना का यह अभ्यास दोनों देशों के कूटनीतिक और रणनीतिक रिश्तों में विवाद का अध्याय खोल सकता है। भारत के समुद्री सुरक्षा कानूनों के अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुकूल नहीं होने का अमेरिकी बयान भी भारत को शायद ही मंजूर होगा। सातवें बेड़े की ओर से यह भी कहा गया है कि अमेरिकी सेनाएं हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रोजाना आपरेशन करती हैं और सभी आपरेशन अंतरराष्ट्रीय कानूनों के हिसाब से संचालित होते हैं। इस तरह के आपरेशन आगे भी जारी रखने की बात कहते हुए यह भी कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत जहां भी अनुमति है, वहां अमेरिकी सेनाएं समुद्री गश्त अभ्यास, उड़ान भरने से लेकर आपरेशन करती रहेंगी और यह किसी एक देश के बारे में नहीं है।
भारत के समुद्री सुरक्षा कानूनों को लेकर उठाए अमेरिकी नौसेना के सवालों को खारिज करते हुए विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को बयान जारी कर साफ कर दिया कि भारत सरकार का नजरिया स्पष्ट है कि संयुक्त राष्ट्र कनवेंशन दूसरे देश को बिना पूर्व अनुमति के विशेष आर्थिक जोन में सैन्य अभ्यास और आवाजाही की अनुमति नहीं देता। संबंधित तटीय राज्य से पूर्व अनुमति लिए बिना इस तरह की कोई भी गतिविधि नहीं की जा सकती।
विदेश मंत्रालय के अनुसार यूएसएस जान पाल जोंस को फारस की खाड़ी से मल्लका स्ट्रेटस की ओर बढ़ने तक लगातार मानिटर किया जाता रहा। भारत के विशेष आर्थिक जोन के रास्ते से इसके जाने से जुड़ी हमारी चिंताओं को कूटनीतिक चैनल के जरिये हमने अमेरिकी सरकार को रूबरू करा दिया है। मालूम हो कि कुछ समय पहले अमेरिकी नौसेना ने इसी तरह की हरकत जापान के समुद्री इलाके में भी की थी जिसको लेकर दोनों देशों के बीच कूटनीतिक स्तर पर काफी खींचतान भी हुई थी।